Sansar डेली करंट अफेयर्स, 04 December 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 04 December 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies.

Topic : National Company Law Appellate Tribunal (NCLAT)

संदर्भ

सरकार राष्ट्रीय कम्पनी कानून अपीलीय पंचाट (NCLAT) की एक बेंच चेन्नई में स्थापित करने जा रही है.

  • राष्ट्रीय कम्पनी कानून अपीलीय पंचाट (NCLAT) का गठन (1 जून, 2016 से प्रभावी) कम्पनी अधिनियम, 2013 के अनुभाग 410 के अंतर्गत किया गया था.
  • इसका कार्य राष्ट्रीय कम्पनी कानून पंचाटों (NCLT) द्वारा पारित आदेशों के विरुद्ध अपील सुनना है.
  • यह संस्था NCLT द्वारा ऋणशोधन एवं दिवालियापन संहिता (Insolvency and Bankruptcy Code – IBC), 2016 के विभिन्न अनुभागों के अंतर्गत पारित आदेशों पर भी अपील सुनती है.
  • इसके अतिरिक्त यह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के द्वारा पारित किसी आदेश के विरुद्ध भी अपील की सुनवाई करती है.

NCLAT का गठन

राष्ट्रपति पंचाट के अध्यक्ष और न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श करके करते हैं.

पंचाट के अन्य सदस्यों और तकनीकी सदस्यों की नियुक्ति एक चयन समिति (selection committee) के सुझाव पर होती है जिसका स्वरूप निम्नलिखित होता है –

  1. भारत का मुख्य न्यायाधीश या उसके द्वारा नामित व्यक्ति – अध्यक्ष
  2. सर्वोच्च न्यायालय का एक वरिष्ठ न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश – सदस्य
  3. निगम मामलों के मंत्रालय का सचिव – सदस्य
  4. विधि एवं न्याय मंत्रालय का सचिव – सदस्य
  5. वित्त मंत्रालय के अधीन आर्थिक मामलों के विभाग का सचिव – सदस्य

GS Paper 2 Source: Down to Earth

down to earth

UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes.

Topic : Particularly Vulnerable Tribal Group (PVTG)

संदर्भ

जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री ने हाल ही में PVTG योजना के अंतर्गत जारी धनराशि की जानकारी संसद को दी.

PVTG कौन हैं?

यह जनजाति-समूह अन्य जनजातियों की तुलना में अधिक संकटग्रस्त हैं.

  • PVTG जनजातियों की आबादी या तो घट रही है या थमी हुई है.
  • इनमें साक्षरता की दर निम्न है –
  1. इनकी तकनीक कृषि के पहले के स्तर की होती है.
  2. आर्थिक रूप से ये पिछड़े होती हैं.
  3. ऐसी जनजातियों के लोग बीहड़ स्थानों में रहते हैं जहाँ इनकी अवसंरचना बहुत बुरी होती है और जहाँ इनको प्रशासनिक सहारा नहीं मिला करता है.

1975 में भारत सरकार ने ऐसे 52 समूहों को PVTG की श्रेणी में रखा था. 1993 में इस श्रेणी में 23 और समूह रखे गये थे. इस प्रकार देश के कुल 705 जनजातियों में से 75 जनजातियों को PVTG का दर्जा दिया गया. इनमें से सबसे अधिक PVTG ओडिशा (13) और आंध्र प्रदेश (12) में रहते हैं. जनजातीय कार्य मंत्रालय इन समूहों के लिए अलग से योजनाएँ चलाता है.

PVTG के विकास की योजना

  • PVTG लोगों के लिए भारत सरकार का जनजातीय कार्य मंत्रालय एक विशेष योजना चलता है जिसका नाम विशेष रूप से संकटग्रस्त जनजातीय समूह विकास (Development of Particularly Vulnerable Tribal Groups).
  • इस योजना के अन्दर प्रत्येक राज्य, संघीय क्षेत्र को PVTG जनजातियों की आवश्यकताओं के अनुसार संरक्षण-सह-विकास (Conservation-cum-Development – CCD)/वार्षिक योजना तैयार करनी होती है जिसका मूल्यांकन करते हुए मंत्रालय की परियोजना मूल्यांकन समिति (Project Appraisal Committee) अपना अनुमोदन देती है.
  • इसके अतिरिक्त निम्नलिखित योजनाओं में भी PVTG के लिए प्राथमिकता देने का प्रावधान है –
  1. जनजातीय उप-योजना (TSS) के अंतर्गत विशेष केन्द्रीय सहायता योजना (Special Central Assistance – SCA).
  2. संविधान के अनुच्छेद 275(1) के अंतर्गत दिए गये अनुदान योजना.
  3. अनुसूचित जनजाति कल्याण के लिए काम कर रही स्वयंसेवी संस्थाओं को दिए जाने वाले अनुदान योजना.
  4. कम साक्षरता वाले जिलों में जनजातीय बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए योजना.

PVTG के लिए अपनाए गये मानक

  • जनजातीय समूह की तकनीक का स्तर कृषि से पूर्व का होना चाहिए.
  • जनसंख्या या तो स्थिर हो अथवा कमती जा रही हो.
  • साक्षरता अत्यंत कम हो.
  • अर्थव्यवस्था जीवन-धारण तक सीमित हो.

GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes.

Topic : National Pension Scheme for Traders and Self Employed Persons

संदर्भ

प्रधानमंत्री लघु व्यापारिक मानधन योजना का लाभ उन सभी कारोबारियों को मिलेगा, जिनका जीएसटी के तहत सालाना टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये से कम है.

योजना के मुख्य तत्त्व

  • इस योजना के अंतर्गत सभी छोटे दुकानदारों, खुदरा विक्रेताओं और स्व-नियोजित व्यक्तियों को 60 वर्ष होने पर न्यूनतम 3,000 रुपये की मासिक पेंशन दी जायेगी.
  • इस योजना का लाभ उठाने के लिए वे ही व्यक्ति योग्य माने जाएँगे जिनकी आयु 18 से 40 के बीच है और जिनका GST टर्न ओवर डेढ़ करोड़ रु. से कम है.
  • इस योजना में उन लोगों को सम्मिलित नहीं किया जाएगा जिनको सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ मिल रहा है, जैसे – राष्ट्रीय पेंशन योजना, कर्मचारी राज्य बीमा योजना और कर्मचारी भविष्य निधि. इसके अतिरिक्त जो आयकर के दायरे में आते हैं, उनको इसका लाभ नहीं मिलेगा.
  • इस योजना के लिए लाभार्थी को प्रत्येक महीने एक विशेष राशि जमा करनी होगी और केंद्र सरकार उतनी ही राशि अपनी ओर से जमा करेगी.
  • यह योजना स्वघोषणा पर आधारित योजना है क्योंकि इसमें बैंक खाते और आधार कार्ड के अतिरिक्त कोई भी अभिलेख जमा करने की आवश्यकता नहीं है.

योजना के अंतर्गत लाभार्थी और केंद्र सरकार द्वारा दिए गये अंशदान से सम्बंधित तालिका नीचे द्रष्टव्य है –

Deen Dayal Upadhyaya Grameen Kaushalya Yojana or DDU-GKY


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to health and Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Bill banning e-cigarettes passed

संदर्भ

संसद ने 02 दिसंबर 2019 को ई-सिगरेट निषेध विधेयक- 2019 पारित कर दिया है. इस विधेयक को राज्‍यसभा ने व्‍यापक चर्चा के बाद मंजूरी दी. यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है. सांसदों ने राज्यसभा में चर्चा के दौरान इस पर रोक का समर्थन किया, लेकिन साथ में अन्य तंबाकू उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग भी उठाई.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के राज्यसभा में पेश किये गये ‘इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय, वितरण, भंडारण और विज्ञापन) प्रतिबंध विधेयक- 2019’ को व्‍यापक चर्चा के बाद ध्वनिमत से पास कर दिया गया. इस विधेयक पर राज्‍यसभा में बहस में कुल 28 सदस्‍यों ने भाग लिया.

विधेयक से संबंधित मुख्य तथ्य

  • विधेयक के अनुसार, ई सिगरेट का भंडारण भी दंडनीय होगा तथा इसके लिये छह महीने तक की सजा या 50 हजार रूपये तक जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान किया गया है.
  • विधेयक के अनुसार, इस कानून का पहली बार उल्लंघन करने वाले लोगों को एक साल तक की जेल और एक लाख रुपये का जुर्माना भरना होगा. इसके मुताबिक, दोबारा पकड़े जाने पर तीन साल तक की जेल या पांच लाख रुपये का जुर्माना, या दोनों लगाया जाएगा.
  • ई सिगरेट का उपयोग सक्रिय उपयोगकर्ता के लिये जोखिम वाला है. ई सिगरेट के घोल और उत्सर्जन को नुकसानदायक माना जाता है.
  • विधेयक में प्रावधान किया गया है कि इसमें प्राधिकृत अधिकारी को इलेक्ट्रॉनिक सिगरेटों के पैकेज रखे जाने वाले परिसर में प्रवेश करने तथा तलाशी लेने और ऐसे स्टाक को जब्त करने का अधिकार होगा.
  • यह विधेयक ऐसे वैकल्पिक धूम्रपान उपकरणों के निर्माण, उत्पादन, आयात, निर्यात, वितरण, परिवहन, बिक्री, भंडारण या विज्ञापनों को पूरी तरह संज्ञेय अपराध बनाता है.

ई-सिगरेट क्या है?

  • इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट अथवा ई-सिगरेट बैटरी से चलने वाली एक वाष्पोत्सर्जक (vaporizer) है जिसे देखने से लगता है कि उपभोक्ता तम्बाकू का सेवन कर रहा है. यह वाष्प ई-सिगरेट के अन्दर स्थित तरल निकोटिन (juice) के गर्म होने से निकलता है.
  • निकोटिन जूस भाँति-भाँति के स्वाद के होते हैं और इनमें निकोटिन की मात्रा भी कम-ज्यादा होती है. इस जूस में प्रमुख्य रूप से दो अवयव होते हैं – i) वेजिटेबल ग्लीसरिन (जो टूथपेस्ट और कई भोज्य पदार्थों में प्रयुक्त होता है) और ii) प्रोप्लीन ग्लाईकोल (propylene glycol) (जो fog machines में प्रयुक्त होता है).
  • ई-सिगरेट के पक्षधर यह पक्ष देते हैं कि इसे पीना सामान्य सिगरेट की तुलना में अधिक स्वास्थ्यकर है क्योंकि इसमें उपभोक्ता के शरीर में मात्र जलवाष्प और निकोटिन ही जाता है.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Blue flag programme

संदर्भ

वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ‘ब्लू फ्लैग’ प्रमाणन (Blue Flag Certification) के लिये भारत में कुछ समुद्र तटों का चयन किया है. इन तटों को स्वच्छता और पर्यावरण अनुकूलता के अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार किया जाएगा.

भारत के इन तटों का चयन किया गया हैं- शिवराजपुर (गुजरात), भोगवे (महाराष्ट्र), घोगला (दीव), मीरामार (गोवा), कासरकोड और पदुबिद्री (कर्नाटक), कप्पड (केरल), इडेन (पुदुचेरी), महाबलीपुरम (तमिलनाडु), रुशीकोन्डा (आंध्र प्रदेश), गोल्डेन (ओडिशा), बंगाराम (लक्षद्वीप) और राधानगर (अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह).

ब्लू फ्लैग कार्यक्रम क्या है?

  • बीचों के लिए अभिकल्पित ब्लू फ्लैग कार्यक्रम का संचालन डेनमार्क के कोपेनहेगन में स्थित “Foundation for Environmental Education (FEE)” नामक एक अंतर्राष्ट्रीय, गैर-सरकारी और लाभ-रहित संगठन करता है.
  • इसका आरम्भ सबसे पहले 1985 में फ़्रांस में हुआ था. 1987 में जाकर यह कार्यक्रम यूरोप में लागू हुआ और फिर जब इसमें दक्षिण अफ्रीका शामिल हुआ तो 2001 के पश्चात् यह कार्यक्रम यूरोप के बाहर भी कार्यशील हो गया.
  • जापान और दक्षिण कोरिया पूर्व एशिया के एकमात्र ऐसे देश हैं जहाँ ब्लू फ्लैग बीच अस्तित्व में है.
  • 566 बीचों के साथ स्पेन ब्लू फ्लैग प्रमाणपत्र के मामले में शीर्षस्थ देश है.
  • स्पेन के बाद ग्रीस और फ़्रांस का स्थान आता है जहाँ क्रमशः 515 और 395 ऐसे बीच हैं जिन्हें ब्लू फ्लैग प्रमाणपत्र मिला हुआ है.

ब्लू फ्लैग के लिए आवश्यक मानदंड

ब्लू फ्लैग का प्रमाणपत्र लेने के लिए किसी भी बीच में लगभग 33 विशेष गुण होने चाहिएँ. इनमें से मुख्य हैं – जल की गुणवत्ता के विशेष मानकों का पूरा होना, कचरा-प्रबंधन की सुविधा, दिव्यांगो के लिए अनुकूल परिवेश होना, प्राथमिक चिकित्सा का प्रबंध, बीच से पालतू पशुओं को दूर रखना. इन मानदंडों में स्वैच्छिक हैं और कुछ अनिवार्य हैं.


Prelims Vishesh

International Day of Persons with Disabilities :-

  • हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी 3 दिसंबर को दुनियाभर में विश्व विकलांगता दिवस (World Disability Day 2019) मनाया गया.
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1992 में हर वर्ष 3 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के रूप में मनाने घोषणा की गई.
  • इसका उद्देश्य समाज के सभी क्षेत्रों में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों को बढ़ावा देना और राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन में दिव्यांग लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना था.
  • इस साल दिव्यांग दिवस की थीम ”विकलांग व्यक्तियों के नेतृत्व और उनकी भागीदारी को बढ़ावा देना: 2030 के विकास के एजेंडे में एक्शन लेना” है.

Prithvi-II missile :-

  • भारत ने मंगलवार को ओडिशा तट से दूर स्वदेशी रूप से विकसित, परमाणु सक्षम सतह से सतह पर मारने वाली पृथ्वी- 2 मिसाइल का रात्रि परीक्षण किया.
  • इसकी मारक क्षमता 350 किलोमीटर है.
  • तरल प्रणोदन जुड़वाँ इंजनों से युक्त यह मिसाइल 500 से लेकर 1,000 किलो तक पारम्परिक एवं आणविक विस्फोटक का वहन कर सकती है.
  • इसे DRDO ने देश में ही बनाया है.

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