Sansar डेली करंट अफेयर्स, 03 June 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 03 June 2020


GS Paper 1 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Important Geophysical phenomena such as earthquakes, Tsunami, Volcanic activity, cyclone etc.

Table of Contents

Topic : Cyclonic Storm ‘NISARGA’

संदर्भ

अरब सागर से उठा चक्रवाती तूफान निसर्ग दो हफ्ते से भी कम समय के भीतर भारत में आया दूसरा चक्रवाती तूफान है.

तूफान को निसर्ग नाम किसने दिया?

इस तूफान का निसर्ग नाम बांग्लादेश ने दिया. अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बनने वाले तूफानों के नाम बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड देते हैं. भारतीय मौसम विभाग ने अप्रैल 2020 में चक्रवातों की नई सूची जारी की थी. इसमें निसर्ग, अर्णब, आग, व्योम, अजार, तेज, गति, पिंकू और लूलू जैसे 160 नाम शामिल हैं. पिछली लिस्ट का आखिरी नाम अम्फान था. यह नाम थाईलैंड ने दिया था.

तूफानों के नाम कौन रखता है?

  • यह जानना भी दिलचस्प है कि तबाही मचाने के लिए कुख्यात इन तूफानों का नाम कैसे रखा जाता है. बीबीसी के मुताबिक 1953 से अमेरिका के मायामी स्थित नेशनल हरीकेन सेंटर और वर्ल्ड मेटीरियोलॉजिकल ऑर्गनाइज़ेशन (डब्लूएमओ) की अगुवाई वाला एक पैनल तूफ़ानों और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम रखता था. डब्लूएमओ संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी है. हालांकि पहले उत्तरी हिंद महासागर में उठने वाले चक्रवातों का कोई नाम नहीं रखा जाता था. जानकारों के मुताबिक इसकी वजह यह थी कि सांस्कृतिक विविधता वाले इस क्षेत्र में ऐसा करते हुए बेहद सावधानी की जरूरत थी ताकि लोगों की भावनाएं आहत होने से कोई विवाद खड़ा न हो जाए.
  • 2004 में डब्लूएमओ की अगुवाई वाले अंतर्राष्ट्रीय पैनल को भंग कर दिया गया. इसके बाद संबंधित देशों से अपने-अपने क्षेत्रों में आने वाले चक्रवातों का नाम ख़ुद रखने के लिए कहा गया. कुछ साल तक ऐसा किये जाने के बाद इसी साल हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों ने भारत की पहल पर चक्रवाती तूफानों को नाम देने की एक औपचारिक व्यवस्था शुरू की है. इन देशों में भारत के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार, मालदीव, श्रीलंका, ओमान और थाईलैंड शामिल हैं. इन सभी देशों ने मिलकर तूफानों के लिए 64 नामों की एक सूची बनाई है. इनमें हर देश की तरफ से आठ नाम दिये गये हैं. इस नई व्यवस्था में चक्रवात विशेषज्ञों के एक पैनल को हर साल मिलना है और जरूरत पड़ने पर सूची में और नाम जोड़े जाने हैं.

नाम को लेकर भी होता है हमेशा विवाद

सदस्य देशों के लोग भी तूफानों के लिए नाम सुझा सकते हैं. जैसे भारत सरकार इस शर्त पर इन नामों के लिए लोगों से सलाह मांगती है कि वे छोटे, समझ में आने लायक और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील और भड़काऊ न हों. ‘निसर्ग’ नाम बांग्लादेश ने सुझाया है जिसका अर्थ है प्रकृति. ‘अम्फान’ का नामकरण थाईलैंड ने किया था जिसका शाब्दिक अर्थ है आकाश. वहीं बीते साल आए तूफान ‘फानी’ को यह नाम बांग्लादेश ने दिया था. वैसे बांग्ला में इसका उच्चारण फोनी होता है और इसका मतलब है सांप.

इतनी सावधानी के बावजूद विवाद भी हो ही जाते हैं. जैसे साल 2013 में ‘महासेन’ तूफान को लेकर आपत्ति जताई गई थी. श्रीलंका द्वारा रखे गए इस नाम पर इसी देश के कुछ वर्गों और अधिकारियों को ऐतराज था. उनके मुताबिक राजा महासेन श्रीलंका में शांति और समृद्धि लाए थे, इसलिए आपदा का नाम उनके नाम पर रखना गलत है. इसके बाद इस तूफान का नाम बदलकर ‘वियारु’ कर दिया गया.

चक्रवात की परिभाषा

चक्रवात निम्न वायुदाब के केंद्र होते हैं, जिनके चारों तरफ केन्द्र की ओर जाने वाली समवायुदाब रेखाएँ विस्तृत होती हैं. केंद्र से बाहर की ओर वायुदाब बढ़ता जाता है. फलतः परिधि से केंद्र की ओर हवाएँ चलने लगती है. चक्रवात (Cyclone) में हवाओं की दिशा उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई के विपरीत तथा दक्षिण गोलार्द्ध में अनुकूल होती है. इनका आकर प्रायः अंडाकार या U अक्षर के समान होता है. आज हम चक्रवात के विषय में जानकारी आपसे साझा करेंगे और इसके कारण,  प्रकार और प्रभाव की भी चर्चा करेंगे. स्थिति के आधार पर चक्रवातों को दो वर्गों में विभक्त किया जाता है –

  1. उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones)
  2. शीतोष्ण चक्रवात (Temperate Cyclones)

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones)                

उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों को कैरबियन सागर में हरिकेन, पूर्वी चीन सागर में टायफून, फिलीपिंस में “बैगयू”, जापान में “टायसू”, ऑस्ट्रेलिया में “विलिबिलि” तथा हिन्द महासागर में “चक्रवात” और “साइक्लोन” के नाम से जाना जाता है.

उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की अधिकतम बारंबारता पूर्वी चीन सागर में मिलती है और इसके बाद कैरिबियन, हिन्द महासागर और फिलीपिन्स उसी क्रम में आते हैं. उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के प्रमुख क्षेत्र निम्न्वित हैं –

  1. उत्तरी अटलांटिक महासागर– वर्ड अंतरीप का क्षेत्र, कैरबियन सागर, मैक्सिको की खाड़ी, पश्चिमी द्वीप समूह.
  2. प्रशांत महासागर– दक्षिणी चीन, जापान, फिलीपिन्स, कोरिया एवं वियतनाम के तटीय क्षेत्र, ऑस्ट्रेलिया, मैक्सिको तथा मध्य अमेरिका का पश्चिमी तटीय क्षेत्र.
  3. हिन्द महासागर– बंगाल की खाड़ी, अरब सागर, मॉरिसस, मेडागास्कर एवं रियूनियन द्वीपों के क्षेत्र.

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात की विशेषताएँ

  1. इनका व्यास 80 से 300 किमी. होता है. कभी-कभी इनका व्यास 50 किमी. से भी कम होता है.
  2. इसकी औसत गति 28-32 किमी. प्रतिघंटा होती है, मगर हरिकेन और टायफून 120 किमी. प्रतिघंटा से भी अधिक गति से चलते हैं.
  3. इनकी गति स्थल की अपेक्षा सागरों पर अधिक तेज होती है.
  4. सामान्यतः व्यापारिक हवाओं के साथ पूर्व से पश्चिम की ओर गति करते हैं.
  5. इसमें अनेक वाताग्र नहीं होते और न ही तापक्रम सम्बन्धी विभिन्नता पाई जाती है.
  6. कभी-कभी एक ही स्थान पर ठहरकर तीव्र वर्षा करते हैं.
  7. समदाब रेखाएँ अल्पसंख्यक और वृताकार होती है.
  8. केंद्र में न्यून वायुदाब होता है.
  9. इनका विस्तार भूमध्य रेखा के 33 1/2 उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों तक होता है.

निर्माण संबंधी दशाएँ

  1. एक विशाल गर्म सागर की उपस्थिति जिसके सतह का तापमान कम से कम 27°C हो.
  2. सागर के उष्ण जल की गहराई कम से कम 200 मी. होनी चाहिए.
  3. पृथ्वी का परिभ्रमण वेग उपर्युक्त स्थानों पर 0 से अधिक होनी चाहिए.
  4. उच्चतम आद्रता की प्राप्ति.
  5. उच्च वायुमंडलीय अपसरण घटातलीय अपसरण से अधिक होनी चाहिए.
  6. उध्वार्धर वायुप्रवाह (vertical wind flow) नहीं होनी चाहिए.
  7. निम्न स्तरीय एवं उष्ण स्तरीय विक्षोभ की उपस्थति.

शीतोष्ण चक्रवात

शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात को गर्त चक्र अथवा निम्न दाब क्षेत्र भी कहा जाता है. इनकी उत्पत्ति दोनों गोलार्धों में 30°C – 65°C अक्षांशों के बीच होती है. इन अक्षांशों के बीच उष्ण वायु राशियाँ एवं शीतल ध्रुवीय वायुराशियाँ जब मिलती है तो ध्रुवीय तरंगों के कारण गर्त चक्रों की उत्त्पति होती. इन चक्रवातों की उत्पत्ति के सन्दर्भ में वर्कनीम द्वारा ध्रुवीय सिद्धांत का प्रतिपादन किया गया. इस सिद्धांत को तरंग सिद्धांत के नाम से भी जाना जाता है.

एशिया के उत्तर-पूर्वी तटीय भागों में उत्पन्न होकर उत्तर-पूर्व दिशा में भ्रमण करते हुए अल्युशियन व उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तटीय भागों पर प्रभाव डालते हैं. उत्तरी अमेरिका के उत्तर-पूर्वी तटीय भाग से उत्पन्न होकर ये चक्रवात पछुवा हवाओं के साथ पूर्व दिशा में यात्रा करते हैं, तथा पश्चिमी यूरोपीय देशों पर प्रभाव डालते हैं. शीत ऋतु में भूमध्य सागर पर शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात सक्रीय हो जाते हैं.इसका प्रभाव दक्षिणी स्पेन, द.फ़्रांस, इटली, बाल्कन प्रायद्वीप, टर्की, इराक, अफ़ग़ानिस्तान तथा उत्तर-पश्चिमी भारत पर होता है.

प्रमुख विशेषताएँ 

  1. इनमें दाबप्रवणता कम होती है, समदाब रेखाएँ V अकार की होती है.
  2. जल तथा स्थल दोनों विकसित होते हैं एवं हज़ारों किमी. क्षेत्र पर इनका विस्तार होता है.
  3. वायुवेग उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों से कम होती है.
  4. अधिकतर शीत ऋतु में उत्पन्न होते हैं.
  5. तीव्र बौछारों के साथ रुक-रुक कर वर्षा होती है, जो कई दिनों तक चलती रहती है.
  6. शीत कटिबंधीय चक्रवातों के मार्ग को झंझा पथ  कहा जाता है.
  7. इसमें प्रायः दो वताग्र होते हैं एवं वायु की दिशा वताग्रों के अनुसार तेजी से बदल जाती है.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : One Nation-One Ration Card scheme

संदर्भ

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने एक राष्ट्र –  एक राशन कार्ड योजना में तीन और राज्यों – ओडिशा, सिक्किम और मिजोरम को शामिल करने की घोषणा की है.

एक राष्ट्र –  एक राशन कार्ड योजना क्या है?

यह एक राष्ट्रीय योजना है जो यह सुनिश्चित करती है कि कि जन-वितरण प्रणाली से लाभ लेने वाले सभी व्यक्ति, विशेषकर एक स्थान से दूसरे स्थान जाने वाले, देश के अन्दर किसी भी अपनी पसंद की PDS दुकान से अनाज आदि प्राप्त कर सकें.

अब तक यह सुविधा आंध्र प्रदेश, बिहार, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश,महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे 17 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में उपलब्ध कराई गई है.

लाभ

इस योजना का लाभ यह होगा कि खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत सब्सिडी युक्त अनाज पाने से कोई निर्धन व्यक्ति इसलिए वंचित न हो जाए कि वह एक स्थान से दूसरे स्थान चला गया है. इस योजना से एक अतिरिक्त लाभ यह होगा कि कोई व्यक्ति अलग-अलग राज्यों में जन-वितरण प्रणाली का लाभ लेने के लिए एक से अधिक राशन कार्ड नहीं बनवा पायेगा.

माहात्म्य

इस योजना से के फ़लस्वरूप लाभार्थी किसी एक PDS दुकान से बंधा नहीं रह जाएगा और ऐसी दुकान चलाने वालों पर उसकी निर्भरता घट जायेगी और साथ ही भ्रष्टाचार के मामलों में भी कटौती होगी.

चुनौतियाँ

  • प्रत्येक राज्य के पास जन-वितरण प्रणाली के विषय में अपने नियम होते हैं. यदि एक राष्ट्र – एक राशन कार्ड योजना लागू की गई तो संभावना है कि इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिले. वैसे भी सभी जानते हैं कि इस प्रणाली में भ्रष्टाचार होता रहता है.
  • इस योजना से जन-सामान्य का कष्ट बढ़ जाएगा और बिचौलिए तथा भ्रष्ट PDS दुकान के मालिक उसका शोषण करेंगे.
  • इन्हीं कारणों से तमिलनाडु ने इस योजना का विरोध किया है और कहा है कि इसको लागू करने से अवांछित परिणाम होंगे. साथ ही उसका कहना है कि यह योजना संघवाद पर कुठाराघात करती है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

इस योजना से कोरोना वायरस महामारी के कारण देश में लागू लॉकडाउन के दौरान पलायन करने वाले कामगारों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को रियायती दाम पर खाद्यान्न मिल सकेगा.

योजना को लागू करने के लिए सभी पीडीएस दुकानों पर PoS (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए.

योजना कागज पर तो अच्छी है, लेकिन इसे लागू करने में कई व्यावहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इसके लिए बड़े पैमाने पर राशन कार्डों को डिजिटल स्वरूप देना होगा. कई राज्य इस मामले में काफी पिछड़े हैं. इसके अतिरिक्त पीडीएस से जुड़े दुकानदार भी इस मामले में अड़ंगा लगा सकते हैं. सरकार को इस योजना को लागू करने के लिए एक ठोस निगरानी तंत्र की स्थापना करनी होगी. अगर राशन दुकान मालिकों के भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग सका तो इस योजना का मकसद पूरा नहीं होगा. पीडीएस में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं. राशन कार्ड के पोर्टेबल होने के बावजूद दुकानदारों की मनमानी पर अंकुश लगाने की राह में राजनीति समेत कई बाधाएँ हैं. सरकार के एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना लागू करने से पहले इन पहलुओं को भी ध्यान में रखना होगा.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) : यह अधिनियम भारत सरकार ने 10 सितम्बर, 2013 को अधिसूचित किया था.इसका उद्देश्य लोगों को उचित मात्रा में गुणवत्तायुक्त भोजन, सस्ते दामों में उपलब्ध कराते हुए उनकी खाद्य एवं पोषण से सम्बंधित सुरक्षा प्रदान करना है.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations. Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests

Topic : China-Pakistan Economic Corridor (CPEC)

संदर्भ

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China-Pak Economic Corridor – CPEC) के अंतर्गत चीन, भारत के विरोध के बाद भी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 1,124 मेगावाट का पावर परियोजना बनाने की तैयारी में है. इस परियोजना का नाम कोहला जलविद्युत् परियोजना रखा गया है.

कोहला जलविद्युत् परियोजना

  • यह जलवविद्युत् परियोजना PoK में बहने वाली झेलम नदी के ऊपर बनाई जायेगी.
  • इस परियोजना का उद्देश्य पाकिस्तान के लोगों को पांच अरब से ज्यादा साफ और कम लागत वाली बिजली की यूनिट उपलब्ध करानी है.
  • पाकिस्तान में स्वतंत्र पावर प्रोड्यूसर के रूप में होने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा निवेश है.

CPEC

  • CPEC चीन के One Belt One Road (OBOR) कार्यक्रम का एक अंग है.
  • CPEC 51 अरब डॉलर की कई परियोजनाओं का समूह है.
  • प्रस्तावित परियोजना के लिए पाकिस्तान सरकार को जिन संस्थाओं द्वारा धन मुहैया कराया जाएगा, वे हैं – EXIM बैंक ऑफ़ चाइना, चाइना डेवलपमेंट बैंक और इंडस्ट्रियल & कमर्शियल बैंक ऑफ़ चाइना.
  • चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का उद्देश्य पाकिस्तान के बुनियादी ढांचों को तेजी से विस्तार करना और उन्नत करना है जिससे चीन और पाकिस्तान के बीच आर्थिक संबंध मजबूत हो जाएँ.
  • CPEC अंततोगत्वा दक्षिणी-पश्चिमी पाकिस्तान के ग्वादर शहर को चीन के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र Xinjiang को राजमार्गों और रेलमार्गों से जोड़ेगा.
  • CPEC की लम्बाई 3,000 km है जिसमें राजमार्ग, रेलवे और पाइपलाइन बिछेगी.

भारत की चिंताएँ

  • गलियारा का हिस्सा PoK से होकर गुजरेगा जिसे भारत अपना अभिन्न अंग मानता है. भारत का कहना है कि यह गलियारा उसकी क्षेत्रीय अखंडता को आहत करता है.
  • CPEC के कारण हिन्द महासागर में चीन का दबदबा बढ़ सकता है जिससे भारतीय हितों को क्षति पहुँच सकती है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

भारत की स्थिति एक जैसी और साफ है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का क्षेत्र हमेशा से भारत का अभिन्न अंग है, था और रहेगा. भारत ने हमेशा चीन और पाकिस्तान दोनों देशों को इसपर अपना विरोध जताया है. भारत ने पहले गिलगित-बल्तिस्तान में बांध बनाने की पाकिस्तान की योजना का विरोध किया था. साथ ही, भारत का कहना है कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों में परियोजनाएं उचित नहीं हैं. यह पूरी तरह से हमारी संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता पर अतिक्रमण है, जो स्वीकार्य नहीं है. चीन इस मंहगी योजना पर यूँ ही निवेश नहीं कर रहा है. उसका उद्देश्य पाकिस्‍तान को भारी कर्ज देकर उसकी आवाज को दबाना है. चीन ने इस परियोजना के निर्माण में जो रणनीति अपनाई है उससे पाकिस्तान में बेरोजगारी बढ़ेगी. जिस तरह से परियोजना में केवल चीन के ही श्रमिक काम कर रहे हैं, उससे पाकिस्‍तान में भयंकर बेरोजगारी उत्‍पन्‍न होगी.

अमेरिका द्वारा पाकिस्तान पर शिकंजा कसते हुए उसकी आर्थिक सहायता में कमी कर दी गई है. दूसरी ओर, भारत की अमेरिका से बढ़ती निकटता के बीच चीन पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते और भी मीठे करने में लगा है. चीन, पाकिस्तान के विकास को बढ़ावा देकर भारत पर दबाव बढ़ाना चाहता है. वर्तमान में मध्यपूर्व, अफ़्रीका और यूरोप तक पहुंचने के लिए चीन के पास एकमात्र व्यावसायिक रास्ता मलक्का जलडमरू है; यह लंबा होने के अलावा युद्ध के समय बंद भी हो सकता है. चीन एक पूर्वी गलियारे के बारे में भी प्रयास कर रहा है जो म्यांमार, बांग्लादेश और संभवतः भारत से होते हुए बंगाल की खाड़ी तक जाएगा.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

मलक्का जलडमरूमध्य : यह विश्व की एक प्रमुख जलसन्धि हैं. इसकी लंबाई 805 किमी या 500 मील है. इसका नाम मलक्का के सल्तनत (सोलहवीं सदी) पर पड़ा है. यह जलसंधि अधिक गहरा नहीं (25 मीटर) जिसके कारण अधिक बड़े जहाज यहाँ से नहीं जा सकते. लेकिन प्रशांत महासागर और हिंदमहासागर के बीच के जलमार्ग में स्थित होने के कारण इसका बहुत महत्त्व है. सोलहवीं सदी में पुर्तगालियों ने इस महत्त्वपूर्ण मार्ग पर कब्ज़ा करने का अभियान चलाया था. सत्रहवीं सदी में डचों ने इसे पुर्तगालियो से छीन लिया और 80 सालों के पश्चात् इसे ब्रिटिशों को एक संधि के तहत दे दिया.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.

Topic : Social stock exchanges

संदर्भ

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति ने भारत में सोशल स्टॉक एक्सचेंज (Social Exchange Exchange – SSE) हेतु कर प्रोत्साहन, उदाहरणार्थ – प्रतिभूति लेनदेन कर और पूंजीगत लाभ कर से छूट देने की अनुशंसा की है.

सरल शब्दों में कहा जाए तो सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों (गैर-लाभकारी संगठनों) के पास अब पैसे जुटाने के लिए नवीन माध्यम भी होगा. यह माध्यम शेयर बाजार होगा. अब एक निजी फर्म के जैसा NGO भी स्वयं को शेयर बाजार में सूचीबद्ध करा सकेंगे और यहाँ से पूँजी जुटाने में समर्थ हो सकेंगे.

सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है?

  • सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) एक ऐसा मंच है जो निवेशकों को सामाजिक उद्यमों में शेयर क्रय करने की अनुमति देता है.
  • सोशल स्टॉक एक्सचेंज, ऐसे संगठनों को इक्विटी, डेट और म्यूचुअल फंड के माध्यम से पूँजी इकट्ठा करने की स्वीकृति प्रदान करता है.
  • इस प्रकार के स्टॉक एक्सचेंज यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, जमैका और केन्या में पहले से ही स्थापित हैं.

पृष्ठभूमि

टाटा समूह के दिग्गज इशात हुसैन की अध्यक्षता वाली 15 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन SEBI ने गत वर्ष सितंबर में किया था, जिसके लिए जुलाई में आम बजट में प्रस्ताव आया था. सोशल स्टॉक एक्सचेंज का प्रयोग वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली निवेश के लिए किया जाता है, जिसका उद्देश्य कुछ निश्चित सामाजिक उद्देश्य प्राप्त करना होता है.

मुख्य अनुशंसाएँ

  • बॉन्ड निर्गत करने तथा वित्तीय उपायों के जरिये गैर-लाभकारी संगठनों को सूचीबद्ध करने की अनुमति माँगी गयी है.
  • वित्तीय उपायों में वैकल्पिक निवेश निधियों के अंतर्गत सामाजिक उद्यम निधि (SVF) जैसे वित्तीय तंत्रों को सम्मिलित करने का सुझाव दिया गया है.
  • प्रतिभूति लेनदेन कर और पूंजीगत लाभ कर को समाप्त करने के अतिरिक्त समिति की अनुशंसा है कि परोपकारी दानकर्ताओं को 100% कर छूट दावा करने की अनुमति मिलनी चाहिए.
  • साथ ही सोशल स्टॉक एक्सचेंज म्युचुअल फंड ढांचे में प्रथम बार निवेश करने वाले खुदरा निवेशकों को 100% कर छूट की अनुमति मिलनी चाहिए, जिसकी कुल सीमा 1 लाख रुपये हो सकती है.
  • एक्सचेंज के माध्यम से फंडों में स्थायी बढ़ोतरी के लिए बहुआयामी नीतिगत हस्तक्षेप की दरकार है, जो सामाजिक क्षेत्र में फंड के अबाध प्रवाह के अवरोध को कम करेगा और सोशल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध समेत सोशल एंटरप्राइजेज के लिए धन का नवीन स्रोत सामने लाएगा.
  • समिति ने क्षमता तैयार करने वाली निधि के तौर पर 100 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया है जिससे कि क्षमता तैयार करने वाली इकाई का सृजन हो जो इस क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करेगा.
  • समिति ने भारत में सोशल स्टॉक एक्सचेंज हेतु कई मॉडल का सुझाव दिया है. इनमें मैचमेकिंग प्लेटफॉर्म और वर्तमान स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध वैकल्पिक निवेश प्रतिभूतियाँ सम्मिलित हैं.

लाभ

  • निजी मुनाफे के लिए काम न करने वाले संगठन अपने बांड सीधे सोशल स्‍‍‍‍‍‍टॉक एक्‍सचेंजों में सूचीबद्ध करा सकते हैं. इस तरह के सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) मौजूदा शेयर बाजारों में ही स्थापित किए जा सकते हैं.
  • सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर सुझाव देने के लिए गठित इस समिति का कहना है कि ऐसा होने से सोशल स्टॉक एक्सचेंज वर्तमान बाजारों की उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे. इन बाजारों की ग्राहक संपर्क सुविधाओं के माध्यम से निवेशकों, दानदाताओं और सामाजिक उद्यमों (मुनाफा कमाने और बिना मुनाफे वाले दोनों) से प्रत्यक्ष रूप से सम्पर्क साधा जा सकेगा.

उद्यमी कितने प्रकार के होते हैं?

उद्यमी के निम्नलिखित कुछ प्रकार है : –

नव-प्रवर्तक उद्यमी: ये वे उद्यमी होते हैं जो अपने व्यवसाय में लगातार खोज एवं अनुसन्धान करते रहते हैं और इन अनुसंधानों व प्रयोगों के परिणामस्वरूप व्यवसाय में परिवर्तन करके लाभ अर्जित करते हैं.

जागरूक उद्यमी : ये वे उद्यमी होते हैं जो अनुसंधान व खोज पर कोई धन खर्च नहीं करते हैं. ये सफल उद्यमियों द्वारा किये गए सफल परिवर्तनों को ही अपनाते हैं.

पूंजी संचय करने वाले उद्यमी : ये उद्यमी पूंजी संचय करने वाले कार्य जैसे कि बैंकिंग व्यवसाय, बीमा कम्पनी आदि में संलग्न होते है.

सामाजिक उद्यमी या आदर्श उद्यमी : इस प्रकार के उद्यमी खुद के हित के साथ-साथ सामाजिक हित पर भी ध्यान देते हैं. इनका उद्देश्य मात्र अधिकतम लाभ कमाना ही नहीं बल्कि सामाजिक दायित्व को पूर्ण करना भी है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

संयुक्त राष्ट्र जैसे विभिन्न वैश्विक निकायों द्वारा निर्धारित मानव विकास लक्ष्यों को पूर्ण करने हेतु आने वाले वर्षों में भारत को बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत होगी और यह मात्र सरकारी व्यय अथवा निवेश के जरिये नहीं किया जा सकता है. सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत निजी उद्यमों को भी अपनी गतिविधियों को आगे बढ़ाने की जरूरत है. आज की तिथि में, भारत में अनेक सामाजिक उद्यम कार्यशील हैं, हालाँकि उन्हें धन जुटाने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इन चुनौतियों में सबसे बड़ी चुनौती आम निवेशकों में विश्वास की कमी है. इस विषय पर प्रस्तुत एक प्रतिवेदन के अनुसार, भारत में एक संपन्न सामाजिक उद्यम पारिस्थितिकी तंत्र है पर फिर भी देश में अनेक संगठनों को स्वयं के लिए आवश्यक पूंजी को प्राप्त करने के लिये बहुत ही संघर्ष का सामना करना पड़ता है. सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) एक ऐसा मंच प्रदान करने का प्रयास करेगा जहाँ निवेशक स्टॉक एक्सचेंज द्वारा अधिकृत सामाजिक उद्यमों में निवेश करने में समर्थ हो सकेंगे. फलस्वरूप निवेशकों में विश्वास पैदा होगा. ऐसे सामाजिक उद्यमों को अपने निवेशों का विवरण और अन्य गतिविधियों को पारदर्शी रूप से आम जनता के साथ साझा करना पड़ेगा.

यदि आँकड़े देखे जाएँ तो भारत में 20 लाख से भी अधिक सामाजिक उद्यम हैं. इसलिए सामाजिक उद्यमों के लिए सोशल स्टॉक एक्सचेंज से सम्बंधित मॉडल या योजना बनाने के लिए अत्यंत सावधानी बरतने की आवश्यकता है. इस संबंध में हम विश्व के अन्य देशों द्वारा प्रयोग किये जा रहे मॉडल का अध्ययन कर सकते हैं और उन्हें भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप बदल सकते हैं.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

सेबी : भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) भारत में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड है. इसकी स्थापना 12 अप्रैल 1988 में हुई तथा सेबी अधिनियम 1992 के अंतर्गत वैधानिक मान्यता 30 जनवरी 1992 को मिली. सेबी का मुख्यालय मुंबई में बांद्रा कुर्ला परिसर के व्यावसायिक जिले में स्थित है और क्रमश: नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी व पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय हैं.

सेबी स्कोर्स : हाल ही में बाजार नियामक सेबी ने निवेशकों हेतु एक मोबाइल एप सेबी स्कोर्स का अनावरण किया है. इसके माध्यम से निवेशक सेबी की शिकायत निपटान प्रणाली में अपनी शिकायतें दर्ज करा पाएँगे. इस एप पर निवेशक सूचीबद्ध कंपनियों, पंजीकृत बिचौलियों और बाजार अवसंरचना से सम्बंधित संस्थानों के विरुद्ध सेबी से ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Cyber security related issues.

Topic : NPCI denies breach of BHIM app data

संदर्भ

सुरक्षा शोधकर्ताओं ने बताया कि मोबाइल भुगतान ऐप BHIM के लगभग लगभग 72.6 लाख यूजर्स का डेटा एक वेबसाइट द्वारा उजागर कर दिया गया था. VPN रिव्यू वेबसाइट vpnMentor की रिपोर्ट में कहा गया है कि उजागर किए गए डेटा में कई संवेदनशील जानकारी जैसे नाम, जन्मतिथि, उम्र, लिंग, घर का पता, जाति की स्थिति और आधार कार्ड का विवरण आदि जैसी शामिल हैं.

BHIM क्या है?

  • इसका पूरा नाम Bharat Interface for Money (BHIM) है.
  • इसमें UPI आधारित भुगतान की सुविधा होती है.
  • इसका निर्माण राष्ट्रीय भारतीय भुगतान निगम (NPCI) ने किया है और इसका अनावरण दिसम्बर, 2016 में हुआ था.
  • इसके अंतर्गत होने वाला निधि हस्तांतरण तत्क्षण होता है.

भारत का राष्ट्रीय भुगतान निगम

  • भारत का राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) भारत में सभी खुदरा भुगतान प्रणाली के लिए एकछत्र संगठन है.
  • दस बैंक इसके प्रोमोटर हैं.
  • निगम का प्रमुख उद्देश्य नकद रहित लेन-देन को बढ़ावा देना है.
  • इसे सफलतापूर्वक RuPay नामक का घरलू कार्ड भुगतान नेटवर्क विकसित किया है जिसके कारण विदेशी कार्डों पर निर्भरता घटी है.
  • NPCI को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) के मार्गदर्शन और समर्थन के साथ स्थापित किया गया था.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

उजागर किए गए डेटा का पैमाना असाधारण है. यह पूरे भारत में लाखों लोगों को प्रभावित करता सकता है. इसका लाभ उठाकर हैकर और साइबर अपराधी धोखाधड़ी, चोरी, और हमले को भी अंजाम दे सकते हैं. अगर किसी महिला का फोन नंबर या घर का पता सार्वजनिक हो जाता है तो इससे उसकी निजता कमज़ोर होती है.

गोपनीयता और निजता का अधिकार को बनाये रखना आवश्यक है. अतः सूचना अधिकार का प्रयोग निगरानी के एक साधन के रूप में नहीं किया जा सकता. सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा था कि पारदर्शिता से न्यायिक स्वतंत्रता को आँच नहीं आती. निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के अधीन जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का स्वाभाविक अंग है.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

  • vpnMentor : इजरायल का एक सिक्यूरिटी फर्म.
  • UPI : समेकित भुगतान इंटरफ़ेस  (UPI) NPCI और RBI द्वारा निर्मित एक प्रणाली है जो एक नकद रहित प्रणाली का उपयोग करते हुए धन का तत्काल स्थानान्तरण करने में सहायक होती है.

Prelims Vishesh

Fiscal deficit and associated terms :-

  • 2019-20 के बजट में राजकोषीय घाटा 3.8% रहने का अनुमान था, परन्तु अभी यह अनुमाना लगाया जा रहा है कि इस वित्तीय वर्ष में राजकोषीय घाटा 4.6% होगा.
  • इसमें भी प्रभावी राजकोषीय घाटा (effective revenue deficit) 2.36% रहेगा.
  • ज्ञातव्य है कि जब राजस्व व्यय, राजस्व प्राप्ति से अधिक होता है तो उसे राजकोषीय घाटा कहते हैं.

Core Sector :-

  • भारत के आठ कोर सेक्टर उद्योगों के सूचकांक से पता चलता है कि अप्रैल, 2020 में इस कोर सेक्टर के उत्पादन में पिछले वर्ष इसी महीने की तुलना में 38% की कमी आई.
  • उल्लेखनीय है कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में सम्मिलित वस्तुओं के सम्पूर्ण भार का 40.27 % इन्हीं आठ कर उद्योगों से आता है.

Rozgar Setu :

राज्य में लौटे कुशल कामगारों को नौकरी दिलाने में सहायता पहुँचाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने रोजगार सेतु नामक एक योजना शुरू की है.

Goa plans to bring back collector-approved travel pass system :-

  • गोवा में आने वाले लोगों के लिए आत्म-जनित ई-पास की प्रणाली पिछले सप्ताह आरम्भ हुई थी.
  • इसके परिणामस्वरूप पिछले दो दिनों में बहुत अधिक लोगों ने गोवा में प्रवेश किया है.
  • इसे देखते हुए निर्णय किया गया है कि इस नई प्रणाली को त्याग कर पहले वाली प्रणाली फिर से लागू की जाए जिसमें राज्य में प्रवेश के इच्छुक लोगों के लिए जिला समाहर्ता यात्रा पास निर्गत करते थे.

Rule 266 and 267 of the Lok Sabha :-

  • लोकसभा नियमवाली के नियम 267 के अनुसार, गृह कार्य स्थायी समिति की बैठक संसद भवन में होनी चाहिए. किन्तु लोक सभा अध्यक्ष को यह शक्ति है कि वह बैठक के स्थल को बदल सकता है.
  • नियम 266 के अनुसार, समिति की बैठक गुप्त होनी चाहिए.
  • इन दोनों नियमों को ध्यान में रखकर राज्यसभा सचिवालय ने उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है जिसमें मांग की गई थी कि समिति की बैठक विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से हो.
  • इसके लिए यह तर्क दिया गया कि विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग से होने वाली बैठक में गोपनीयता नहीं रहेगी क्योंकि समिति का कोई सदस्य अकेला बैठा हो, इसकी कोई गारंटी नहीं होगी.

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