Sansar डेली करंट अफेयर्स, 02 September 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 02 September 2020


GS Paper 2 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Particularly Vulnerable Tribal Groups (PVTGs)

संदर्भ

हाल ही में ग्रेट अंडमानी जनजाति (Great Andamanese Tribe) के दस से अधिक सदस्य COVID-19 से संक्रमित पाए गए है. यह एक अधिसूचित ‘विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह’ (Particularly Vulnerable Tribal Groups– PVTG) है, जिसकी कुल जनसंख्या मात्र 56 है.

इसके बाद से द्वीप प्रशासन द्वारा जनजातीय समूहों, ग्रेट अंडमानी जारवाओंगेशोम्पेंस और नॉर्थ सेंटीनल, में परीक्षण को तीव्र कर दिया है.

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs)

सभी जनजातीय समूहों में PVTGs सबसे अधिक कमजोर होते हैं.

  1. इन समूहों की जनसंख्या स्थिर अथवा घटती जा रही है, तथा इनमे साक्षरता का स्तर निम्न, इनकी तकनीके कृषि-पूर्व स्तर की होती है और इसके साथ ही ये समूह आर्थिक रूप से अत्याधिक पिछड़े हुए हैं.
  2. ये समूह प्रायः दूरदराज के इलाकों में निवास करते हैं, जहाँ बुनियादी सुविधाओं तथा प्रशासनिक सहायता का लगभग अभाव होता है.

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (पी.वी.टी.जी.) 

  • गृह मंत्रालय द्वारा 75 जनजातीय समूहों को विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (पी.वी.टी.जी.) के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
  • पी.वी.टी.जी. 18 राज्यों तथा अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह संघ राज्य-क्षेत्र में रहते हैं.
  • जनजातीय कार्य मंत्रालय “विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पी.वी.टी.जी.) का विकास” योजना कार्यान्वित करता है, जो विशेष रूप से उनके लिये ही है.
  • इस योजना के तहत प्रत्येक राज्य/संघ राज्य-क्षेत्र द्वारा उनकी आवश्यकता के आकलन के आधार पर अपने पीवीटीजी के लिये संरक्षण-सह-विकास (सी.सी.डी.)/वार्षिक योजनाएँ तैयार की जाती है. तत्पश्चात् इनका मंत्रालय की परियोजना आकलन समिति द्वारा आकलन तथा अनुमोदन किया जाता है.
  • पीवीटीजी के विकास के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका तथा कौशल विकास, कृषि विकास, आवास तथा अधिवास, संस्कृति का संरक्षण आदि क्षेत्रों में क्रियाकलाप किये जाते हैं.

जनजातीय कार्य मंत्रालय

  • जनजातीय कार्य मंत्रालय का गठन वर्ष 1999 में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के द्वि-विभाजन के उपरांत किया गया था.
  • इसका उद्देश्य एक समन्वित और सुनियोजित तरीके से भारतीय समाज के अत्यंत शोषित वर्ग अर्थात् अनुसूचित जनजातियों (एस.टी.) के समेकित सामाजिक-आर्थिक विकास पर अधिक ध्यान केन्द्रित करना है.
  • इस मंत्रालय के गठन से पहले जनजातीय मामले अलग-अलग समय में विभिन्न मंत्रालयों द्वारा निपटाये जाते थे.
  • जनजातीय कार्य मंत्रालय अनुसूचित जनजातियों के विकास कार्यक्रमों की समग्र नीति, आयोजना एवं समन्वयन के लिये एक नोडल मंत्रालय है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

आज दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा भारत ने हासिल तो कर लिया है लेकिन अब भी एक तबका ऐसा है जो हाशिये पर है. इस तबके के अंतर्गत वे जनजातियाँ आती हैं जो सुदूरवर्ती इलाकों में जीवन यापन कर रही हैं और कई समस्याओं को झेल रही हैं.

जनजातियाँ ऐसे क्षेत्रों में निवास करती हैं जहाँ तक बुनियादी सुविधाओं की पहुँच हो पाना बहुत ही कठिन है. इसलिए ये बहुत सारी समस्याओं को झेल रही हैं.

  • यदि बात करें सामाजिक समस्याओं की तो ये आज भी सामाजिक संपर्क स्थापित करने में अपने-आप को सहज नहीं पाती हैं. इस कारण ये सामाजिक-सांस्कृतिक अलगाव, भूमि अलगाव, अस्पृश्यता की भावना अनुभव करती हैं. इसी के साथ इनमें शिक्षा, मनोरंजन, स्वास्थ्य तथा पोषण संबंधी सुविधाओं से वंचन की स्थिति भी मिलती है.
  • आज भी जनजातीय समुदायों का एक बहुत बड़ा वर्ग निरक्षर है जिससे ये आम बोलचाल की भाषा को समझ नहीं पाती हैं. सरकार की कौन-कौन सी योजनाएँ इन समुदायों के लिये हैं इसकी जानकारी तक इनको नहीं रहती और यह इनके सामाजिक रूप से पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण है.
  • इनके आर्थिक रूप से पिछड़ेपन की बात की जाए तो इसमें प्रमुख समस्या गरीबी तथा ऋणग्रस्तता है. आज भी जनजातियों के समुदाय का एक तबका ऐसा है जो दूसरों के घरों में काम कर अपना जीवनयापन कर रहा है. माँ-बाप आर्थिक तंगी के कारण अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा नहीं पाते हैं तथा पैसे के लिये उन्हें बड़े-बड़े व्यवसायियों या दलालों को बेच देते हैं. इसलिए बच्चे या तो समाज के घृणित से घृणित कार्य को अपनाने हेतु विवश हो जाते हैं अन्यथा उन्हें मानव तस्करी का सामना करना पड़ता है. रही बात लड़कियों की तो उन्हें सामान्यतः वेश्यावृत्ति जैसे घिनौने दलदल में धकेल दिया जाता है. दरअसल जनजातियों के पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारक उनका आर्थिक रूप से पिछड़ापन ही है जो उन्हें उनकी शेष सुविधाओं से वंचित करता है.
  • धार्मिक भिन्नता भी जनजातियों की समस्याओं का एक बहुत बड़ा पहलू है. इन जनजातियों के अपने अलग देवी-देवता होते हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है समाज में अन्य वर्गों द्वारा इनके प्रति छुआछूत का व्यवहार. अगर हम थोड़ा पीछे जायें तो पाते हैं कि इन जनजातियों को अछूत तथा अनार्य मानकर समाज से बेदखल कर दिया जाता था; सार्वजनिक मंदिरों में प्रवेश तथा पवित्र स्थानों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया जाता था. आज भी इनकी स्थिति ले-देकर यही है.

यही सब पहलू हैं जिसके कारण जनजातियाँ आज भी बाहरी दुनिया से अपना संपर्क स्थापित नहीं कर पा रही हैं. इन्हीं सब समस्याओं का हल ढूंढने के लिये सरकार द्वारा अपनाए गए कुछ विकासात्मक पहलुओं पर चर्चा करना उचित होगा.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

PVTG : ग्रेट अंडमानी जनजाति के पाँच जनों को COVID-19 का संक्रमण होने का समाचार है. जैसा कि सर्वविदित है कि ये जनजाति विशेष रूप से संकटप्रवण जनजातीय समूह / Particularly Vulnerable Tribal Group (PVTG) के अन्दर आता है. यह जनजाति अंडमान द्वीपसमूह में रहने वाली पाँच PVTG जनजातियों में से एक है. इनकी पूर्ण संख्या मात्र 51 है और ये लोग जेरु बोली बोलते हैं. अंडमान द्वीपसमूह में बसी हुई पाँच PVTG जनजातियों के नाम इस प्रकार हैं – ग्रेट अंडमानी, जारवा, ओंगे, शोम्पेन और उत्तर सेंटनिल.


GS Paper 2 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : ASEAN

संदर्भ

भारत और आसियान, 17वीं आसियान-भारत वित्त मंत्रियों की बैठक (ASEAN-India Economic Ministries’ Meeting) के दौरान मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement – FTA) की समीक्षा करने पर सहमत हुए हैं.

पृष्ठभूमि

भारत ने वर्ष 2009 में वस्तुओं में व्यापार हेतु एक FTA पर हस्ताक्षर किए थे – जिसे आसियान (एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस) भारत मुक्त व्यापार समझौते (ASEAN-India Free Trade Area – AIFTA) के रूप में जाना जाता है. वर्ष 2014 में, सेवाओं में व्यापार हेतु FTA  को भी इसमें सम्मिलित किया गया था.

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समीक्षा की आवश्यकता क्यों हैं?

  • समीक्षा की आवश्यकता इसलिए है ताकि AIFTA को वर्तमान व्यापार सुविधाजनक प्रथाओं के अनुरूप आधुनिक बनाया जा सके तथा सीमा शुल्क और प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया जा सके.
  • भारत द्वारा उदमव के नियमों (rules of origin : ROO), गैर-प्रशुल्क बाधाओं की समाप्ति और बेहतर बाजार पहुंच के लिए सबल प्रावधान किए गए हैं. विदित हो कि ROO किसी उत्पाद के राष्ट्रीय स्रोत को निर्धारित करने के लिए आवश्यक मापदंड है.
  • नीति आयोग के एक अध्ययन के अनुसार, भारतीय निर्यातकों द्वारा क्षेत्रीय व्यापार समझौतों का उपयोग करने की दर बहुत कम रही है (5% और 25% के बीच). इसका कारण यह है कि इन्होंने नियमों के संबंध में वार्ता करने में कठिनाइयों का सामना किया है.
  • विगत कुछ वर्षों में संगठन के साथ भारत के व्यापार घाटे में वृद्धि हुई है.
  • भारत के घरेलू उद्योगों को क्षति पहुंचा रहे ASEAN देशों से चीन के उत्पादों की डंपिंग की जाँच करना भी अपरिहार्य हो गया है.
  • वस्तुओं की डंपिंग से तात्पर्य एक देश द्वारा वस्तुओं को उनके सामान्य मूल्य से अधिक निम्न मूल्य पर अन्य देशों को निर्यात करने से है.
  • औषध और सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम-सेवाओं जैसे कुछ उत्पादों में भारत को एक विनिर्माण केंद्र बनाने में सहायता प्रदान करना.

भारत-आसियान के रिश्ते

  1. 1992 में भारत ASEAN का सेक्टोरल साझेदार बना.
  2. 1996 में ASEAN ने भारत को वार्ता साझेदार बना दिया.
  3. 1996 से भारत हर साल ASEAN की बैठक में हिस्सा ले रहा है.
  4. 2002 में भारत को सम्मेलन साझेदार का दर्जा मिला.
  5. 2003 में ASEAN-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र पर एक महत्त्वपूर्ण करार हुआ.2009 में इस पर अंतिम सहमति बनी और तब से व्यापारिक गतिविधियाँ और तेज हुई हैं.
  6. 2012 में भारत रणनीतिक साझेदार बन गया.
  7. 2015 में भारत ने ASEAN देशों के साथ सम्बन्ध को और मजबूती देने के लिए विशेष राजदूत की नियुक्ति की.
  8. 2015-16 में भारत और आसियान देशों के बीच 65 अरब डॉलर का व्यापार हुआ.
  9. 2016-17 में व्यापार बढ़ कर 70 अरब डॉलर पहुँच गया है.
  10. 2017 में भारत और दोस्ती के 25 साल पूरे होने पर रजत जयंती मनाई जा रही है.

ASEAN के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ

  1. ASEAN का full-form है – Association of Southeast Asian Nations.
  2. ASEAN का headquarters जकार्ता, Indonesia में है.
  3. आसियान में 10 सदस्य देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम) हैं और 2 पर्यवेक्षक देश हैं (Papua New Guinea और East Timor).
  4. ASEAN देशों की साझी आबादी 64 करोड़ से अधिक है जो कि यूरोपियन यूनियन से भी ज्यादा है.
  5. अगर ASEAN को एक देश मान लें तो यह दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.
  6. इसकी GDP 28 हजार करोड़ डॉलर से अधिक है.
  7. आसियान के chairman Lee Hsien Loong हैं जो ब्रूनेई से हैं.
  8. आसियान में महासचिव का पद सबसे बड़ा है.पारित प्रस्तावों को लागू करने का काम महासचिव ही करता है. इसका कार्यकाल 5 साल का होता है.
  9. क्षेत्रीय सम्बन्ध को मजबूत बनाने के लिए 1997 में ASEAN +3 का गठन किया गया था जिसमें जापान, दक्षिण कोरिया और चीन को शामिल किया गया.
  10. बाद में भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड को भी इसमें शामिल किया गया. फिर इसका नाम बदलकर ASEAN +6 कर दिया गया.
  11. 2006 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने आसियान को पर्यवेक्षक का दर्जा दिया.
  12. आसियान की बढ़ती महत्ता को देखते हुए अब कई देश इसके साथ करार करना चाहते हैं.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

आसियान और भारत

  1. भारत की एक्ट एशिया नीति के लिए आसियान देश महत्त्वपूर्ण हैं. भारत के साथ उनके सांस्कृतिक और आर्थिक सम्बन्ध काफी पुराने हैं.
  2. भारत की दृष्टि से आसियान 2018 के प्रमुख पहलू हैं  क्षेत्रीय सुरक्षा और नौवहन सहयोग.
  3. इस शिखर सम्मेलन का मकसद ASEAN देशों के साथ सांस्कृतिक और धार्मिक रिश्तों को मजबूत करना है.
  4. बौद्ध धर्म और रामायण भारत और ASEAN को आपस में जोड़ते हैं.
  5. आसियान के देशों में बौद्ध धर्म और रामायण अलग-अलग रूपों में मौजूद हैं.
  6. दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते दखल के बीच आसियान देश भारत के साथ रिश्तों को मजबूत कर रणनीतिक संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
  7. आसियान क्षेत्र आर्थिक रूप से भी मजबूत है. तेजी से विकसित हो रहा भारत आसियान में मजबूत आर्थिक और वाणिज्यिक संभावनाओं का लाभ उठाना चाहता है.
  8. आसियान क्षेत्र भारत का चौथा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है और भारत उनका सातवाँ बड़ा व्यापारी हिस्सेदार है.
  9. पिछले दशक में आसियान देशों में भारत का निवेश 70 अरब डॉलर रहा है.
  10. यातायात सुगम बनाने के लिए भारत-म्यांमार-थाईलैंड के बीच राजमार्ग का निर्माण जारी है. आने वाले दिनों में इस सड़क को बढ़ाकर कम्बोडिया, लाओस और विएतनाम तक पहुंचाने की योजना है.
  11. ASEAN और भारत के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए कई साझे कोष बनाए गए हैं, जैसे – आसियान-भारत सहयोग कोष, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास कोष, हरित कोष.
  12. दोनों के बीच कृषि, अन्तरिक्ष, पर्यावरण, मानव संसाधन विकास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी समेत ऊर्जा, पर्यटन, यातायात के क्षेत्र में कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है.
  13. शिखर बैठक का आयोजन ऐसे वक्त में हो रहा है जब क्षेत्र में चीन की आर्थिक और सैन्य हठधर्मिता बढ़ी है. इसके अलावा उत्तर कोरिया परमाणु विवाद, दक्षिण चीन सागर विवाद और हिन्द महासागर में समुद्री जहाज़ों की सुरक्षा सम्बंधित सभी मुद्दे क्षेत्र की सुरक्षा और स्थायित्व के लिए खतरा बन रहे हैं.
  14. भारत का जोर इन देशों के साथ जल्द से जल्द मुक्त व्यापार समझौता करने पर है.

GS Paper 2 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and Bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.

Topic : UN releases its first-ever guidelines on access to social justice for people with disabilities

संदर्भ

दिव्यांगों (People with Disabilities :PwDs) की सामाजिक न्याय तक पहुंच के लिए पहली बार संयुक्त राष्ट्र ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

दिशा-निर्देश के मुख्य तत्त्व

इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य विश्व भर की न्याय प्रणालियों तक दिव्यांगों की पहुंच को सुगम बनाता है.

इन दिशा-निर्देश में 10 सिद्धांतों के एक समुच्चय की रूपरेखा तैयार की गई है.

दिव्यांगजनों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (Convention on Rights of Persons with Disabilities : CRPD) दिव्यांगता के संदर्भ में न्याय तक पहुंच के अधिकार को लागू करता है. भारत CRPD का एक हस्ताक्षरकर्ता राष्ट्र है.

PWDs के समक्ष बाधाएँ

मानदंड संबंधी (विधिक या नीतिगत) अवरोधः कई कानूनों में इनके अधिकारों को सुनिश्चित नहीं किया गया है अथवा अथवा विधि, नीति या कार्यप्रणालियां, CRPD प्रावधानों के विपरीत हैँ.

मनोवृत्तिक अवरोध: पुलिस, अधिवक्ताओं, न्यायाधीशों आदि की ओर से नकारात्मक दृष्टिकोण और भ्रांतिपूर्ण धारणा.

सूचना और संचार अवरोध: सुगम्य प्रारूपों में प्रदत्त सूचना तक सीमित पहुंच, उदाहरण के लिए- किसी के अधिकारों से संबंधित शैक्षिक सामग्री तक पर्याप्त पहुंच न होना.

भौतिक अवरोध: सुगम भौतिक परिवेश का अभाव, जिसमें न्यायालय, पुलिस स्टेशन और अधिवक्ताओं के कार्यालय भी शामिल हैं.

भारत और दिव्यांगता

  • दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (Rights of Persons with Disabilities Act, 2016) के तहत PwDs के लिए उच्च शिक्षा (5 प्रतिशत से कम नहीं) व सरकारी नौकरियों (4 प्रतिशत से कम नहीं) में आरक्षण का प्रावधान किया गया है.
  • PwDs को सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करने के लिए सुगम्य भारत अभियान का संचालन किया गया है.
  • हाल ही में, उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया है कि दिव्यांग व्यक्ति भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC/ST) के कोटे के समान लाभ प्राप्त करने के हकदार हैं.

संयुक्त राष्ट्र दिशा-निर्देशों में वर्णित 10 सिद्धांत

  1. किसी भी व्यक्ति को दिव्यांगता के आघार पर न्याय तक पहुंच से वंचित नहीं किया जाएगा.
  2. न्याय तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सुविधाएं और सेवाएं सार्वभौमिक रूप से उपलब्ध होनी चाहिए.
  3. दिव्यांगजनों को उपयुक्त प्रक्रियात्मक व्यवस्था की उपलब्धता का अधिकार प्राप्त होना चाहिए.
  4. दिव्यांगजनों को कानूनी नोटिस और सूचना को समय पर एवं सुगम तरीके से प्राप्त करने का अधिकार मिलना चाहिए.
  5. उन्हें अन्य लोगों के समान आधार पर अंतरराष्ट्रीय कानून में मान्यता प्राप्त सभी मूल और प्रक्रियात्मक रक्षोपायों का स्वत्वाधिकार (Entitled) प्राप्त होना चाहिए.
  6. उन्हें नि:शुल्क या वहनीय विधिक सहायता का अधिकार होना चाहिए.
  7. वे न्यायिक प्रशासन में भागीदारी करने हेतु भी अधिकृत होने चाहिए.
  8. उन्हें मानवाधिकारों के उल्लंघन और अपराधों से संबंधित शिकायतों की रिपोर्ट करने तथा कानूनी कार्यवाही आरंभ करवाने का अधिकार भी प्राप्त होना चाहिए.
  9. दिव्यांग व्यक्तियों की न्याय तक पहुंच में सहायता करने के लिए एक प्रभावी और सुदृढ़ निगरानी तंत्र होना आवश्यक है.
  10. दिव्यांगजनों को संबोधित करते हुए न्याय प्रणाली में कार्यरत सभी लोगों के लिए जागरूकता सृजन और प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन किया जाना चाहिए.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

एक सर्वेक्षण के अनुसार काफी संख्या तीस साल से कम उम्र के दिव्यांगजनों की है, पचास फीसदी निःशक्तों की मासिक आय पांच हजार रुपये से कम है, बहुत से लोगों को विकलांगता से राहत की कोई सहायता अब तक नहीं मिल पाई है, 40 प्रतिशत विकलांगों को इलाज और उपचार नहीं मिला, इनमें 40 प्रतिशत लोग निरक्षर हैं और 95 प्रतिशत को निजी बस किराए में कोई छूट नहीं मिलती है. उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट हो जाता है कि दिव्यांग जन किन कठिनाईयों का सामना कर रहे हैं और सरकार की ओर से उन्हे क्या सहायता मिल रही है.

गांव में दूर- दराज के इलाके में सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाओं का प्रभाव शून्य है. विकास के दौर में दिव्यांग जनों का जीना कठिन हो रहा है. उनके लिए अलग से कोई सरकारी अस्पताल नहीं जिससे अस्पताल में उपचार के लिए उन्हें परेशानी उठानी पड़ती है. पहाड़ी क्षेत्रों में तो से शहर तक पहुंचना आम आदमी के लिए आसान नहीं तो विकलांगों का क्या हाल होगा?

दिव्यांग जन भी सामान्य लोगों की तरह से इंसान ही हैं. कहीं राजनीति के शिकार और कहीं आकस्मिक आपदाओं की चपेट में आकर उनका जीवन वहीं रूक जाता है. दूसरो पर निर्भर होकर ये अपना जीवन-यापन करते हैं.

इसलिए आवश्यक है कि जिलों में विकलांगों के लिए एक विकलांग गृह का निर्माण किया जाए जहां रहने- सहने की स्थायी व्यवस्था हो. साथ ही हेल्पलाइन नंबर, शिल्प केंद्रों और जिला स्तर पर विकलांग संगठन की स्थापना के साथ स्वास्थ्य विभाग की ओर से विकलांगों को मेडिकल सर्टिफिकेट प्रदान किये जाएं, बस किराए में सुविधाएं दी जाएं. कल्याण विभाग विकलांगों को पेंशन देने में देरी न करे.


GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Infrastructure- energy.

Topic : India aims to achieve 100 MT coal gasification target by 2030

संदर्भ

भारत ने वर्ष 2030 तक 100 मीट्रिक टन कोयला गैसीकरण का लक्ष्य निर्धारित किया है.

यह लक्ष्य कैसे प्राप्त किया जाएगा?

  • कोयला गैसीकरण तीन चरणों में संपन्‍न होगा और इसमें 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जाएगा. वर्ष 2020–2024 के दौरान 4 मिलियन टन (MT), वर्ष 2020–2026 तक 6 MT और वर्ष 2022–2030 के मध्य 90 MT कोयले का गैसीकरण किया जाएगा.
  • इस संबंध में नीति आयोग के सदस्य वी.के.सारस्वत की अध्यक्षता में एक संचालन समिति (steering committee) का गठन किया गया है.

कोयला गैसीकरण प्रक्रिया

  • कोयला गैसीकरण प्रक्रिया में जीवाश्म ईंधन का दहन करने की बजाय उसे रासायनिक रूप से संश्लेषित प्राकृतिक गैस (Synthetic Natural Gas : SNG) में परिवर्तित कर दिया जाता है.
  • इस प्रक्रिया में उत्पादित SNG, हाइड्रोजन(H2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का मिश्रण होती है.
  • SNG गैस का उपयोग उर्वरकों, ईंधन, विलायकों (solvents) और संश्लेषित सामग्रियों का व्यापक उत्पादन करने के लिए किया जा सकता है.

संभावित लाभ

  • इससे ऊर्जा ईंधन के उत्पादन व उर्वरकों के लिए यूरिया और अन्य रसायनों के उत्पादन को प्रोत्साहन प्राप्त होगा.
  • कोयले के परिवहन की तुलना में गैस का परिवहन वहनीय होता है तथा साथ ही, इससे ऊर्जा आयात में भी कमी होगी एवं अन्य लाभ भी प्राप्त होंगे.

चिंता का विषय

  • कोयला गैसीकरण से वास्तव में एक पारंपरिक कोयला संयंत्र की तुलना में अधिक CO2, का उत्सर्जन होता है तथा इस प्रक्रिया में ऊर्जा उत्पादन हेतु अत्यधिक जल का व्यय किया जाता है.
  • भारतीय कोयले का अल्प कैलोरी मान और उसमें अकार्बनिक अशुद्धियों का उच्च स्तर (55-45%) होना भी एक चिंतनीय विषय है.

GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Economic growth and development

Topic : April-June GDP Estimates

संदर्भ

वर्ष 2020-21 की प्रथम तिमाही (अप्रैल-जून) के सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product – GDP) से सम्बंधित अनुमान जारी किये गये हैं.

ये अनुमान सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme) के तहत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office – NSO) द्वारा जारी किए गए हैं.

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मुख्य निष्कर्ष

  • वर्ष 2019-20 की प्रथम तिमाही (Q1) में 5.2 प्रतिशत वृद्धि की तुलना में वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में GDP में 23.9.% गिरावट आई है. विदित हो कि अर्थशास्त्र में निरंतर दो के दौरान आए संकुचन (contraction) को मंदी (recession) के रूप में परिभाषित किया जाता है (चित्र देखें).
  • सकल मूल्य वर्धित (Gross Value Added : GVA) में वर्ष 2020-21 के Q1 में 22.8 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि वर्ष 2019-20 के दौरान इसमें 48 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
  • विदित हो कि GVA का फार्मूला है : GVA = सकल घरेलू उत्पाद + उत्पादों पर सब्सिडी – उत्पादों पर कर. यह उत्पादन प्रक्रिया में श्रम एवं पूंजी के प्रतिनिधित्व करता है.
  • निजी उपभोग व्यय (Private Consumption) में 7 प्रतिशत और निवेश में 47.1 प्रतिशत की कमी हुई है. साथ ही, सरकारी व्यय में 16.4 प्रतिशत की वृद्धि है.
  • इस तिमाही से पूर्व समग्र GDP हेतु निजी उपभोग व्यय 56.4 प्रतिशत और निवेश 32 प्रतिशत था.

प्रभाव

  • आय और रोजगारों के सृजन में गिरावट.
  • उच्च सरकारी उधारियाँ.

क्या उपाय किये जा सकते हैं?

राजकोषीय उपाय: नकद सहायता, प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष कर की दरों में कमी और उच्च अवसंरचना व्यय के माध्यम से क्रय क्षमता में वृद्धि करना. हालांकि इससे राजकोषीय घाटे (fiscal deficit) में बढ़ोत्तरी हो सकती है.

मौद्रिक उपाय: RBI द्वारा ऋण की दरों में कटौती की जा सकती है, परन्तु इससे मुद्रास्फीति (inflation) में वृद्धि हो सकती है.


Prelims Vishesh

Kandhamal Haladi :-

  • पिछले दिनों यह चर्चा रही कि ओडिशा की जैविक कंधमाल हल्दी तालेबंदी के कारण GI टैग होते हुए भी इस बार बहुत कम बिक रही है.
  • ज्ञातव्य है कि इस हल्दी की खेती बिना किसी खाद या कीटनाशक के जनजातियाँ करती रही हैं.

Doklam and Naku La :-

  • यह समाचार आया है कि चीन दो वायु रक्षा ठिकानों का निर्माण कर रहा है जहाँ से डोकलाम और नाकुला पर नज़र रखी जा सकती है.
  • विदित हो कि डोकलाम/झोंग्लान/डोंगलोंग भारत के निकट भूटान-तिब्बत सीमा के पास अवस्थित है. इसके उत्तर में तिब्बत की चुम्बी घाटी, पूरब में भूटान की हा घाटी तथा पश्चिम में भारत का सिक्किम राज्य है.
  • नाकुला सिक्किम के अन्दर एक दर्रा है जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से 5,000 मीटर से अधिक है. इसके पास मुगुथांग/चो-ल्हामु नदी बहती है जिससे तीस्ता नदी निकलती है.

Channapatna Toys :-

Channapatna Toys

  • कर्नाटक राज्य के रामनगर जिले के चन्नपटना नगर में लकड़ी के खिलौने बनते हैं जो बहुत ही लोकप्रिय होते हैं.
  • इन खिलौनों को भौगोलिक संकेतक (GI Tag) मिला हुआ है..
  • इन खिलौनों के कारण चन्नपटना को गोम्बेगला ऊरु अर्थात् खिलौनों का नगर कहा जाता है.
  • यह नगर पिछले दिनों इसलिए चर्चा में रहा कि COVID-19 महामारी के कारण यहाँ के खिलौना-उद्योग को अच्छा-भला झटका लगा है.

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