Sansar डेली करंट अफेयर्स, 02 February 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 02 February 2021


GS Paper 1 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues.

Topic : Patharighat: The forgotten peasant uprising of Assam in 1894

संदर्भ

28 जनवरी, 1894 को असम में पाथरीघाट किसान विद्रोह (Patharighat peasant uprising) की घटना हुई थी.  

इस दिन, ब्रिटिश सेना ने औपनिवेशिक प्रशासन द्वारा लागू किए गए भू-राजस्व में वृद्धि का विरोध कर रहे निहत्थे किसानों पर गोलाबारी की थी.

उनकी याद में यहाँ एक शहीद स्तम्भ बनाया गया है, जहाँ हर वर्ष 29 जनवरी को उन्हें श्रद्धांजली दी जाती है.

पाथरीघाट किसान विद्रोह

  • पाथरीघाट (Patharighat) भारत के असम राज्य के दरंग ज़िले में स्थित एक गाँव है.
  • 28 जनवरी 1894 को असम के दिरांग जिले के अन्तर्गत पथरूघाट में 1894 ई॰ में ब्रिटिश सरकार द्वारा भू-राजस्व वृद्धि के विरोध में हुए किसान विद्रोह में 140 किसानों की मौत हो गई थी. इसलिए पाथरीघाट को असम का जलियाँवाला बाग कहा जाता है.

घटना का महत्त्व

  • असम के वृहद समुदाय के लिए, पाथरीघाट का स्थान सरायघाट के युद्ध के बाद आता है, जब अहोम लोगों ने मुगलों को 1671 में हरा दिया था.
  • यह असमी समुदाय के लिए काफी प्रेरणास्पद घटना है, जो उनके लिए राष्ट्रीय जागृति थी.
  • यह एक शांतिपूर्ण विरोध था और नागरिक अवज्ञा आंदोलन का अग्रदूत था, जिसे बाद में महात्मा गांधी ने प्रचारित किया.

GS Paper 2 Source : The Hindu

UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.

Topic : Chabahar Port Project

संदर्भ

ईरान की चाबहार बंदरगाह परियोजना (Chabahar Port Project) को विकसित करने के अपने नवीनतम प्रयास में, भारत ने ईरान को उपकरण लोड करने और उतारने के लिए 140 टन की दो क्रेनें सौंपीं हैं.

  • दरअसल भारत, ईरान को छह मोबाइल हार्बर क्रेन (Mobile Harbour Cranes-MHC) सौंपेगा जिनकी कीमत लगभग 25 मिलियन डॉलर है.
  • हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति ने ऐसे संकेत दिये हैं कि वह फिर से ईरान परमाणु समझौता को करने के पक्ष में हैं. इस स्थिति में अमेरिका द्वारा ईरान के ऊपर लगाए गए प्रतिबंधों में कुछ ढील दी जाती है तो भारत सरकार चाबहार बंदरगाह परियोजना में और निवेश बढ़ा सकती है.

पृष्ठभूमि

भारत सरकार ने 24 दिसंबर 2018 को चाबहार त्रिपक्षीय समझौता बैठक के दौरान ईरान में शाहिद बेहिश्ती बन्दरगाह, चाबहार के एक भाग के प्रचालन का दायित्व ग्रहण कर लिया था. चाबहार स्थित भारतीय एसपीवी – इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल चाबहार फ्री जोन (आईपीजीसीएफजेड) के कार्यालय का भारत, ईरान और अफगानिस्तान के शिष्टमंडलों के प्रमुखों ने संयुक्त रूप से उद्घाटन किया था . टर्मिनल एरिया, कार्गो हैंडलिंग इक्विप्मेंट और कार्यालय की इमारत को वास्तविक रूप से नियंत्रण में लेने का कार्य 29 दिसंबर 2018 को पूरा हुआ था.

भारत ने चाबहार बन्दरगाह के बारे में ईरान के साथ 2003 के आसपास बातचीत शुरू की थी, लेकिन इसे महत्त्वपूर्ण बल 2014 की आखिरी छिमाही में मिला, जिसके परिणामस्वरूप चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए मई 2015 में दोनों देशों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुए. इस एमओयू को चाबहार बंदरगाह को उपकरणों से लैस करने और उसका प्रचालन करने के लिए 10 साल के औपचारिक समझौते में परिवर्तित किया गया, जिसे 23 मई 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान कार्यरूप प्रदान किया गया. उक्त समझौते को कार्यशील बनाने की राह में चुनौतियां थीं, इसलिए ईरान के राष्ट्रपति डॉ. हसन रुहानी की फरवरी 2018 की भारत यात्रा के दौरान एक अंतरिम अवधि के समझौते की आधारशिला रखी गई. इसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के बीच 6 मई 2018 को औपचारिक अल्पावधि समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.

चाबहार बंदरगाह

  • भारत ने ही चाबहार बंदरगाह बनाया है.
  • इसका उद्देश्य है कि चारों तरफ जमीन से घिरे अफगानिस्तान को फारस की खाड़ी (Persian Gulf) तक पहुँचने के लिए एक ऐसा यातायात गलियारा मिले जो पाकिस्तान होकर नहीं गुजरे क्योंकि पाकिस्तान से इसकी अक्सर ठनी रहती है.
  • आशा है कि इस गलियारे के चालू हो जाने से अरबों रुपयों का व्यापार हो सकता है.
  • ईरान का चाबहार बंदरगाह ओमान की खाड़ी पर स्थित उस देश का एकमात्र बन्दरगाह है.
  • चाबहार के बंदरगाह से भारत को मध्य एशिया में व्यापार करने में सुविधा तो होगी ही, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारे (International North-South Transport Corridor) तक उसकी पहुँच भी हो जाएगी.
  • चाबहार बंदरगाह चालू होने के बाद भारत में लौह अयस्कचीनी और चावल के आयात में महत्त्वपूर्ण वृद्धि होगी.
  • इसके अतिरिक्त खनिज तेल के आयात की लागत भी बहुत कुछ घट जायेगी.
  • ज्ञातव्य है कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारा ईरान से लेकर रूस तक जाता है और इसमें यह एक भूमि मार्ग है जिसमें समुद्र, रेल, सड़क यातायात का सहारा लिया जायेगा.
  • विदित हो कि चीन ने खाड़ी तक अपनी पहुँच बनाने के लिए पाकिस्तान को ग्वादर नामक बंदरगाह बनाने में मदद की है जिससे उसका क्षेत्र में दबदबा हो जाए.
  • चाबहार बंदरगाह भारत को चीन के इस दबदबे का प्रतिकार करने में सक्षम बनाएगा.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Appointment to various Constitutional posts, powers, functions and responsibilities of various Constitutional Bodies. Separation of powers between various organs dispute redressal mechanisms and institutions.

Topic : Additional Judges

संदर्भ

बॉम्बे हाई कोर्ट की अतिरिक्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति पुष्पा वी गणेदीवाला के द्वारा दो हालिया निर्णयों में बाल यौवनाचार सुरक्षा अधिनियम, 2012 (POCSO अधिनियम) के तहत यौन उत्पीड़न की विवादास्पद व्याख्या की बारीकी से जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बॉम्बे हाई कोर्ट में उन्हें स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के लिए की गयी अपनी सिफारिश वापस लेने की बात कही है.

अतिरिक्त न्यायाधीश के विषय में जानकारी

संविधान के अनुच्छेद 224 के अंतर्गत

(1) यदि किसी उच्च न्यायालय के कार्य में किसी अस्थायी वॄद्धि के कारण या उसमें कार्य की बकाया के कारण राष्ट्रपति को यह प्रतीत होता है कि उस न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या को तत्समय बढ़ा देना चाहिए  तो राष्ट्रपति  सम्यक् रूप  से अर्हित  व्यक्तियों को दो वर्ष से अनधिक की ऐसी  अवधि के लिए जो वह विनिर्दिष्ट  करे, उस न्यायालय के अपर  न्यायाधीश नियुक्त  कर सकेगा .

(2) जब किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायमूार्ति से भिन्न कोई न्यायाधीश अनुपस्थिति  के कारण या अन्य कारण से अपने  पद  के कर्तव्यों  का पालन  करने में असमर्थ है या मुख्य न्यायमूार्ति के रूप  में अस्थायी रूप  से कार्य करने के लिए नियुक्त  किया जाता है तब राष्ट्रपति  सम्यक् रूप  से अर्हित  किसी व्यक्ति  को तब तक के लिए उस न्यायालय के न्यायाधीश के रूप  में कार्य करने के लिए नियुक्त कर सकेगा जब तक स्थायी न्यायाधीश अपने  कर्तव्यों  को फिर से नहीं  संभाल लेता है.

(3) उच्च न्यायालय के अपर या कार्यकारी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कोई व्यक्ति 62 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने के पश्चात् पद धारण नहीं करेगा.

POCSO अधिनियम क्या है?

बाल यौन अपराध सुरक्षा अधिनियम (POCSO Act) 2012 में पारित हुआ था. इसका उद्देश्य बच्चों के प्रति यौन अपराध पर कारगर ढंग से कार्रवाई सुनिश्चित करना था. इस अधिनियम के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को “बच्चा” कहा गया है. अधिनियम में दी गई परिभाषा के अनुसार यौन अपराध के कई रूप हो सकते हैं, जैसे – यौन उत्पीड़न, अश्लील चित्रण, शारीरिक बलात्कार आदि. इसमें यह भी कहा गया है कि उन यौन अपराधों को भीषण माना जाएगा जिनमें किसी मानसिक रूप से अस्वस्थ बच्चे का उत्पीड़न किया जाएगा और जब इस प्रकार का अपराध ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाएगा जो अन्यथा विश्वास के पात्र होते हैं, यथा – परिवार का सदस्य, पुलिस अधिकारी, शिक्षक अथवा चिकित्सक.

POCSO अधिनियम के कानूनी प्रावधान

POCSO के अनुच्छेद 19 में बच्चों के विरुद्ध किये गए यौन अपराध की सूचना देने के बारे में प्रक्रिया का वर्णन है. किन्तु इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि ऐसी सूचना देने के लिए कोई समय-सीमा भी है.

ज्ञातव्य है कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) में विभिन्न ऐसे अपराधों के लिए मामला दायर करने हेतु अलग-अलग समय-सीमा निर्धारित की गई है जिनमें अधिकतम तीन वर्ष की सजा हो सकती है. किन्तु जिन अपराधों के लिए तीन वर्ष से अधिक की सजा हो सकती है उसके लिए CrPC में मामला दायर करने के लिए समय की सीमा निर्धारित नहीं है.


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources, issues relating to poverty and hunger.

Topic : Neglected Tropical Diseases-NTDs

संदर्भ

30 जनवरी, 2021 को दूसरे वार्षिक विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (एनटीडी) दिवस के रूप में चिन्हित किया जाएगा. दुनिया में सबसे ज्यादा हाशिए पर रहने वाले समुदायों के जीवन में कष्ट लाने वाली इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के रूप में ये दिन मनाया जाता है. साथ ही इन उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियों को समाप्त करने के लिए वैश्विक समुदाय की प्रतिबद्धता को भी ये दिन उजागर करता है. इसी कड़ी में दुनिया भर के अन्य स्थलों के साथ भारत में कुतुब मीनार को भी रोशन किया जाएगा.

विश्व एनटीडी दिवस के रूप में 30 जनवरी, 2021 को 25 देशों के 50 से अधिक ऐतिहासिक स्थलों को रोशनी से जगमगाया गया जिससे इन रोगों के खिलाफ आपसी एकता और प्रतिबद्धता को बल दिया जा सके. अपनी यही वैश्विक प्रतिबद्धता दर्शाते हुए भारत भी अपनी युनेस्को विश्व धरोहर कुतुब मीनार को रोशन किया गया.

आज विश्व में हर पांच में से एक व्यक्ति एनटीडी रोगों से पीड़ित है. दुनिया में इन 11 बीमारियों का भारी बोझ भारत पर भी है. इन रोगों से रोगी में दुर्बलता तो आती ही है, कई स्थितियों में ये पीड़ित व्यक्ति की मौत का कारण भी बनती हैं.

उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग

  • WHO के अनुसार उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD), वे बीमारियाँ होती हैं, जो उष्ण व उपोष्ण कटिबंध में स्थित ग्रामीण क्षेत्रों तथा शहरी क्षेत्रों की मलिन बस्तियों में निवास करने वाले गरीब लोगों को प्रभावित करती हैं.
  • जापानी इंसेफलाइटिस, डेंगु बुखार, कुष्ठ रोग, क्लेमाइडिया, बुरुलाई अल्सर, चैगास बीमारी आदि NTD के उदाहरण हैं. राष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्तर पर इन बीमारियों का प्रभाव इतना भयंकर होता है कि इन्हें गरीबी के चिरस्थायीकरण के लिये उत्तरदायी माना जाता है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

UPSC Syllabus : Changes in industrial policy and their effects on industrial growth.

Topic : Startup India Seed Fund to be operational from April 1, 2021

संदर्भ

केंद्र ने 945 करोड़ रुपये के आरंभिक कोष के साथ स्टार्ट-अप इंडिया सीड फंड योजना (SISFS) को अधिसूचित किया. स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना (SJSFS) अवधारणा के प्रमाण, आद्यरूप (प्रोटोटाइप) विकास, उत्पाद परीक्षण, बाजार-प्रवेश और वाणिज्यीकरण के लिए स्टार्ट-अप को वित्तीय सहायता दी जायेगी.

हाल ही में इसकी घोषणा “प्रारम्भ: स्टार्टअप इंडिया इंटरनेशनल समिट” में की गई थी.

स्टार्ट-अप इंडिया सीड फंड योजना

  • स्टार्ट-अप इंडिया सीड फंड योजना वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) द्वारा लागू की जाएगी.
  • स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना (SISFS), सभी क्षेत्रों में स्टार्टअप का समर्थन करेगी. वर्ष 2021-25 में भारत में चयनित इनक्यूबेटरों के माध्यम से धन का वितरण किया जाएगा.
  • सामाजिक प्रभाव, अपशिष्ट प्रबंधन, वित्तीय समावेशन, शिक्षा, खाद्य प्रसंस्करण, जैव प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, अंतरिक्ष आदि जैसे क्षेत्रों में अभिनव समाधान प्रस्तुत करने वाले स्टार्टअप को प्राथमिकता दी जाएगी.

स्टार्टअप के वित्तपोषण के लिए अन्य पहलें

  • वर्ष 2020 के बजट में राष्ट्रीय स्‍तर के फंड की घोषणा की गई थी, जिससे प्रारंभिक स्तर के स्टार्ट-अप पर विचार किया जा सके और उसके विकास में सहयोग प्रदान की जा सके.
  • स्टार्ट-अप इंडिया योजना के जरिये 10,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ स्टार्टअप के लिए फंड ऑफ फंड्स निर्मित किया गया था.
  • इस निधि का प्रबंधन भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) द्वारा किया जाता है.
  • वेंचर कैपिटल स्कीम, गुणक अनुदान योजना (मल्टीप्लायर ग्रांट्स स्कीम), मुद्रा योजना आदि.

ज्ञातव्य है कि भारत में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप तंत्र है. इस तंत्र ने कई नवोदित उद्यमियों को नवीन तकनीकों के साथ प्रारम्भ करने और बड़े निगमों के रूप में परिवर्तित होने में सहायता की है.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

  • स्टार्टअप इंडिया वर्ष 2016 में देशव्यापी स्तर पर लागू किया गया सरकार का एक बहुत ही महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम है.
  • इसका मुख्य उद्देश्य स्टार्टअप को बढ़ावा देते हुए अर्थव्यवस्था में अधिक रोज़गार का सृजन करना है.
  • वर्तमान आँकड़ों के अनुसार, देश की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या कार्यशील है और उन्हें काम देना सरकार की ज़िम्मेदारी है.
  • सरकार ने इस कार्य के लिये 2500 करोड़ रुपए का आरंभिक कोष बनाया है, जिसे भविष्य में चार चरणों के माध्यम से 10,000 करोड़ करने की योजना है.
  • कर के बोझ को कम करने के लिये स्टार्टअप को शुरू के तीन साल में कर से छूट प्रदान की गई है.

Prelims Vishesh

Sigur Plateau :-

  • हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व के माध्यम से एक हाथी गलियारे को अधिसूचित करने के तमिलनाडु सरकार के अधिकार को बरकरार रखा.
  • यह गलियारा पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील सिगुर पठार में मसिनागुड़ी क्षेत्र में स्थित है.
  • सिगुर का पठार तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के उत्तरी भाग में स्थित है.
  • यह पठार पश्चिमी और पूर्वी घाट को जोड़ता है.
  • इसके दक्षिण-पश्चिम की ओर नीलगिरी की पहाड़ियाँ तथा इसके उत्तर-पूर्वी भाग में मोयार नदी घाटी अवस्थित है.

A68g iceberg :-

  • A68g हिमशैल का हिस्सा है, जो विशाल हिमशैल A68a (5,800 वर्ग किलोमीटर) से अलग हो गया था.
  • वर्ष 2017 में यह हिमखंड अंटार्कटिका से पृथक हो गया था.
  • A68g तब से 6 छोटी इकाइयों में विभाजित हो गया है.
  • इस वर्ष हिमशैल दक्षिण अटलांटिक महासागर में प्रवाहित हो गया था और यह दक्षिण जॉर्जिया के दूरस्थ उप-अंटार्कटिक द्वीप के तट की ओर गतिमान है.
  • ये हिमशैल अपने भार के कारण छोटी समुद्री प्रजातियों को नष्ट कर सकते हैं या उन भू-खंडों को भी विनष्ट कर सकते हैं जहाँ उनके लिए खाद्य विकसित होता है.

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