Sansar डेली करंट अफेयर्स, 02 April 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 02 April 2020


GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies.

Topic : Price Monitoring & Resource Unit (PMRU)

संदर्भ

जम्मू और कश्मीर संघ शासित क्षेत्र देश का ऐसा 12वां राज्य बन गया है, जहां राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (Price Monitoring and Resource Unit – PMRU) द्वारा मूल्य निगरानी और संसाधन इकाई (PMRU) की स्थापना की गई है. PMRU किफायती कीमतों पर दवाओं की उपलब्धता और पहुंच सुनिश्चित करने में एनपीपीए और स्टेट ड्रग कंट्रोलर की सहायता करेगी.

और कहाँ-कहाँ NPPA ने PMRU की स्थापना की है?

केरल, ओडिशा, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, नागालैंड, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और मिज़ोरम.

मूल्य निर्धारण एवं संसाधन इकाई क्या है?

  • यह दवा मूल्य की निगरानी के लिये स्थापित एक पंजीकृत सोसायटी है और संबंधित राज्यों के राज्य औषधि नियंत्रक (State Drug Controller) के प्रत्यक्ष नियंत्रण एवं पर्यवेक्षक के तहत कार्य करेगी.
  • इस पंजीकृत सोसायटी का अध्यक्ष राज्य के स्वास्थ्य सचिव होंगे तथा सहयोगी सचिव औषध नियंत्रक (Drugs Controller) होंगे.
  • इसके अन्य सदस्यों में एक राज्य सरकार का प्रतिनिधि, निजी दवा कंपनियों के प्रतिनिधि तथा उपभोक्ता अधिकार संरक्षण मंचों के लोग शामिल किये जाएंगे.
  • इस इकाई को राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) द्वारा अपने आवर्ती एवं गैर-आवर्ती खर्चों के लिये वित्त पोषित किया जाएगा.

मूल्य निर्धारण एवं संसाधन इकाई के कार्य

  • सस्ती कीमतों पर दवाओं की उपलब्धता एवं पहुँच सुनिश्चित करने में राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) और राज्य औषधि नियंत्रक की मदद करना.
  • सभी के लिये दवाओं की उपलब्धता एवं सामर्थ्य सुनिश्चित करने के लिये शिक्षा एवं संचार (Education & Communication- IEC) गतिविधियाँ के साथ-साथ सेमिनार का आयोजन, प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं अन्य जानकारी उपलब्ध करना.
  • दवाओं के नमूने एकत्र करना, दवाओं से संबंधित डेटा एकत्र करना एवं उसका विश्लेषण करना तथा औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश (Drug Price Control Order- DPCO) के प्रावधानों के तहत कार्रवाई करने के लिये दवाओं की उपलब्धता एवं अधिक मूल्य निर्धारण के संबंध में रिपोर्ट बनाना.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Functions and responsibilities of the Union and the States, issues and challenges pertaining to the federal structure, devolution of powers and finances up to local levels and challenges therein.

Topic : J&K domicile rules

संदर्भ

केंद्र द्वारा हाल ही में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के आठ महीने बाद कोरोना संकट के बीच केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए नए डोमिसाइल नियमों का ऐलान किया गया और राज्य/यूटी के निवासी होने की परिभाषा तय की गई है.

  • विदित हो कि 5 अगस्त से पहले जम्मू-कश्मीर में संविधान की धारा 35ए के अंतर्गत तय होता था कि कौन व्यक्ति राज्य का निवासी है और कौन नहीं.
  • जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (राज्य कानूनों का अनुकूलन) आदेश 2020 – गृह मंत्रालय, जम्मू-कश्मीर विभाग द्वारा जारी किया गया. 
  • आदेश के तहत अधिवासियों को जम्मू और कश्मीर सिविल सेवा अधिनियम के तहत परिभाषित किया गया है.

नए डोमिसाइल नियम में क्या हैं?

  • अब जम्मू-कश्मीर में 15 साल तक रहने वाला व्यक्ति अब वहां का निवासी कहलाएगा.
  • जिस भी शख्स ने जम्मू-कश्मीर में 15 साल बिताए हैं या जिसने यहां सात साल पढ़ाई की और 10वीं-12वीं की परीक्षा यहीं के किसी स्थानीय संस्थान से दी, वह यहां का निवासी होगा.
  • इसमें उन केंद्र सरकार के अधिकारियों के बच्चे, अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी, सार्वजनिक उपक्रम के अधिकारी और केंद्र सरकार के स्वायत्त निकाय, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, वैधानिक निकायों के अधिकारी, केंद्रीय विश्वविद्यालयों के अधिकारी और केंद्र सरकार के मान्यता प्राप्त अनुसंधान संस्थान शामिल हैं जिन्होंने दस वर्षों की कुल अवधि के लिए जम्मू और कश्मीर में सेवाएं दी है.
  • इस कानून ने तहसीलदारों को निवास प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अपने क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के भीतर अधिकार दिया है.
  • जम्मू कश्मीर यूटी की सरकार को भी अधिवास प्रमाण पत्र जारी करने के लिए किसी अन्य अधिकारी को सक्षम प्राधिकारी के रूप में सूचित करने का अधिकार दिया गया है.
  • उपर्युक्त शर्तों को पूरा करने वाले किसी भी व्यक्ति को जम्मू-कश्मीर के केंद्र के स्तर-4 (25500) से अधिक के वेतनमान वाले किसी भी पद की नियुक्ति के उद्देश्य से जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के निवासी के रूप में समझा जाएगा. हालाँकि, यह प्रावधान जम्मू-कश्मीर में सेवारत केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के बच्चों और दस साल से अधिक समय से जम्मू-कश्मीर में रहने वाले सभी गैर-स्थानीय लोगों के लिए भी उपलब्ध होगा.
  • जम्मू और कश्मीर सिविल सेवा अधिनियम के 5A के मुताबिक, “इस अधिनियम के प्रावधानों के अधीन, कोई भी व्यक्ति जब तक वह जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश का निवासी नहीं है, तब तक स्तर – 4 (25500) से अधिक के वेतनमान वाले पद पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा.”
  • स्तर 4 में जूनियर सहायक, कांस्टेबल जैसे पद शामिल हैं, जिन्हें गैर-राजपत्रित पदों की सबसे निचली श्रेणी के रूप में माना जाता है. यह इंगित करता है कि जम्मू और कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेशों के अधिवासों को वर्ग -4 और गैर-राजपत्रित पदों पर अनन्य अधिकार होगा. 
  • जम्मू और कश्मीर निवासी सहित सभी भारतीय नागरिक शेष अराजपत्रित और राजपत्रित पदों के लिए पात्र होंगे. 
  • विदित हो कि 5 अगस्त से पहले, जम्मू और कश्मीर के पूर्ववर्ती राज्य में सभी नौकरियाँ विशेष रूप से राज्य के स्थायी निवासियों के लिए आरक्षित थीं.

पृष्ठभूमि

5 अगस्त, 2019 को केंद्र द्वारा जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द कर दिया गया.  धारा 370 के तहत जम्मू और कश्मीर का अलग संविधान था और अनुच्छेद 35A ने बाहर के लोगों को जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीदने और बाहरी निवासियों के लिए नौकरी पर रोक लगा रखा थी. 1954 में घोषित अनुच्छेद 35A को भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत बनाए गए एक राष्ट्रपति के आदेश द्वारा भारत के संविधान में शामिल किया गया था.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Counter cyclical capital buffer (CCyB) for banks

संदर्भ

भारतीय रिज़र्व बैंक ने पिछले दिनों प्रतिचक्रीय पूँजी बफर (Counter cyclical capital buffer – CcyB) योजना के कार्यान्वयन को टाल दिया और निर्यात से होने वाले लाभ के लिए वसूली की अवधि बढ़ा दी.

पृष्ठभूमि

प्रतिचक्रीय पूँजी बफर योजना भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 5 फ़रवरी, 2015 को आरम्भ की गई थी जिसमें यह कहा गया था कि CCyB को परिस्थितियों के अनुसार समय-समय पर सक्रिय बनाया जाएगा.

प्रतिचक्रीय पूँजी बफर योजना (Counter cyclical capital buffer – CcyB) क्या है?

  • इस योजनाका उद्देश्य बैंकिंग प्रक्षेत्र को समय-समय पर अर्थव्यवस्था को होने वाले जोखिमों से उत्पन्न हानियों से सुरक्षित रखना है.
  • इसके अंतर्गत बैंकों को उस समय के लिए पूँजी बनाये रखना होता है जब आर्थिक एवं वित्तीय परिवेश बुरी अवस्था में हो.
  • इस बफर पूँजी का उपयोग बैंक भविष्य में होने वाले घाटे के समय कर सकते हैं.

पृष्ठभूमि

2007-09 में घटित वित्तीय संकट के समय प्रतिचक्रीय पूँजी बफर की परिकल्पना की गई थी और विश्व के सभी केन्द्रीय बैंकों ने सहमति से कतिपय उपाय सुझाए थे. इन उपायों को BASEL III का नाम दिया गया था क्योंकि इनकी रेखा Bank of International Settlements’ Basel Committee के द्वारा तैयार की गई थी.

पढ़ें BASEL के बारे में विस्तार से >

https://www.sansarlochan.in/basel-3-tier-1-tier-2-meaning-hindi/


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Pollution related issues.

Topic : Anti-smog guns

संदर्भ

उच्चतम न्यायालय द्वारा 13 जनवरी, 2020 को दिये गए आदेश के बाद राजधानी दिल्ली में 14 बड़ी निर्माण परियोजना स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन (Anti-smog Gun) उपकरण लगाए गए हैं.

एंटी स्मॉग गन क्या है?

  • एंटी स्मॉग गन बड़ी निर्माणाधीन स्थलों, जैसे- खनन गतिविधियों वाले स्थल, सड़क परियोजना, सार्वजनिक सभा स्थल व पार्किंग क्षेत्र, विध्वंस गतिविधियों वाले स्थल, धूल भरे ट्रैफिक कॉरिडोर आदि पर स्थापित किये जाएँगे.
  • एंटी स्मॉग गन करीब 50 मीटर ऊंचाई तक पानी की बौछार करती है. एक घंटे में दो क्यूसेक मीटर पानी का छिड़काव कर सकती है. इसकी मोटर 15 किलोवॉट की है. गन में केवल एसटीपी के ट्रीटेड पानी का प्रयोग किया जाएगा.
  • यह एक प्रकार की कृत्रिम वर्षा होती है जिससे छोटे धूलकणों (मुख्य प्रदूषक पीएम 5) को नीचे भूमि पर लाने में मदद मिलती है.

यह कैसे काम करता है?

मशीन का प्रयोग उन जगहों पर होता है जहां प्रदूषण की मात्रा 70 पीपीएम तक पहुंच जाती है. यहां प्रदूषण खास तौर से गाड़ियों और फैक्ट्रियों में निकलने वाला और जहरीला धुआं है. भारी-भरकम तोप जैसा दिखने वाला ये स्मॉग गन एक बार में 70 से 100 मीटर के दायरे में प्रदूषण सोख सकता है. दरअसल रिमोट से चलने वाला ये स्मॉग गन आसमान में तेजी से पानी का बौछार करता है. पानी की बौछारों की वजह से वायुमंडल में मौजूद प्रदूषण के कण भीग जाते हैं और भारी होकर जमीन पर गिर जाते हैं. इस स्मॉग गन को पानी की सप्लाई देने के लिए वाटर टैंकर का इस्तेमाल किया जाता है.

स्मॉग टावर

  • वायु प्रदूषण को ठीक करने के लिए दिल्ली में पहली बार एक स्मॉग टावर लगाया गया है.
  • ऐसे टावर बड़े पैमाने पर वायु को साफ़ करने का काम करते हैं.
  • इनसे गुजरने वाली वायु प्रदूषक तत्त्वों से रहित हो जाती हैं.
  • टावर में लगे फ़िल्टर अपने कार्बन नैनोफाइबर के द्वारा वायु में स्थित पार्टिकुलेट मैटर को घटा देते हैं.

Prelims Vishesh

Himalayan Ibex :-

  • पिछले दिनों भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में यह सिद्ध किया कि हिमालयी आईबेक्स सीबेरियाई आईबेक्स से एक अलग प्रजाति का आईबेक्स है.
  • विदित हो कि हिमालयी आईबेक्स जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में पाया जाता है.

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