Sansar डेली करंट अफेयर्स, 01 November 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 01 November 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to health.

Topic : Lymphatic filariasis

संदर्भ

पिछले दिनों राष्ट्रीय हाथी-पाँव (Lymphatic Filariasis) सम्मेलन का भारत में आयोजन हुआ जिसकी थीम थी – “हाथी पाँव के उन्मूलन के लिए एकत्र”/ ‘United to Eliminate Lymphatic Filariasis’.

हाथी-पाँव का कारण

  • यह रोग लसीका प्रणाली (lymphatic system) में रहने वाले परजीवी कीटाणुओं के संक्रमण से होता है.
  • इस परजीवी के लार्वे रक्त के साथ-साथ देह में संचरित होते रहते हैं और मच्छर के काटने से एक व्यक्ति से यह रोग दूसरे व्यक्ति में संचरित हो जाता है.
  • हाथी-पाँव के परजीवियों को संचारित करने वाले चार प्रकार के मच्छर होते हैं, वे हैं – Culex, Mansonia, Anopheles और
  • संचरण के पश्चात् रोग के लक्षण उभरने में समय लग जाता है. इस कारण लसीका प्रणाली में बदलाव हो जाता है और इससे कुछ अंगों में असामान्य वृद्धि हो जाती है.
  • अंग-वृद्धि के कारण रोगी विकट रूप से अशक्त तो होता ही है, अपितु समाज की ओर से लांछित भी अनुभव करता है.

भारत में हाथी-पाँव की समस्या

  • भारत में हाथी-पाँव के मामले विश्व में सबसे अधिक होते हैं. वस्तुतः विश्व के 40% ऐसे मामले भारत में ही पाए जाते हैं.
  • भारत को हाथी-पाँव को 2017 तक समाप्त कर देना था पर ऐसा नहीं हो सका. इसलिए पूरे विश्व के लिए हाथी-पाँव के सम्पूर्ण उन्मूलन के लिए 2020 का लक्ष्य रखा गया है. आशा है कि तीन दवाओं के मिश्रित प्रयोग से यह लक्ष्य पूरा हो जायेगा.

तीन दवाओं का यह उपचार (Triple Drug Therapy) क्या है?

  • हाथी-पाँव के उपचार के लिए तीन दवाओं का एक मिश्रण दिया जाता है. ये दवाएँ हैं – ivermectin, diethylcarbamazine citrate और
  • इसमें जो तीसरी दवा है अर्थात् albendazole वह हाथी-पाँव के वयस्क कीटाणुओं को नियंत्रित करने में सहायता करता है. पहले ऐसे कीटाणुओं को दवा देकर शांत कर दिया जाता था जिससे वे एक वर्ष के लिए निष्क्रिय हो जाते थे. तीसरी दवा देने से निष्क्रियता की यह अवधि बढ़कर दो वर्ष हो जायेगी.
  • वयस्क कीटाणुओं की आयु चार वर्ष तक होती है. इसलिए इन तीनों दवाओं को दो लगातार वर्ष खिलाने का सुझाव दिया जाता है. इससे यह होगा कि कीटाणु अपनी आयु पूरा करके मर जायेंगे और रोगी को कोई हानि भी नहीं पहुँचेगी.
  • विश्व-भर में हाथ-पाँव रोग के उन्मूलन में तीव्रता लाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने तीन दवाओं से इसके उपचार की अनुशंसा की है.

GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources.

Topic : Programme for International Students Assessment (PISA)

संदर्भ

भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री ने PISA 2021 (Programme for International Students Assessment) के लिए की गई तैयारियों की पिछले दिनों समीक्षा की. उन्होंने सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया कि भारत को इस परीक्षा में सफल बनाने के लिए परिश्रम करें.

विदित हो कि 28 जनवरी, 2019 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने OECD के साथ एक समझौता किया था जिसके अनुसार 2021 में होने वाली PISA परीक्षा में भारतीय परीक्षार्थी शामिल होंगे.

पृष्ठभूमि

भारत ने PISA 2009 ई. में भाग लिया था परन्तु इसमें भागीदारी करने वाले 74 देशों में इसका स्थान 72वाँ आया था. तत्कालीन भारत सरकार का विचार था कि इसमें संदर्भ से हटकर प्रश्न पूछे गये थे जिसके कारण भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. इसलिए सरकार ने PISA का बहिष्कार कर दिया था.

2016 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार ने बहिष्कार के निर्णय पर पुनर्विचार किया और इसके लिए एक समिति गठित की. समिति ने सुझाव दिया कि 2018 में होने वाले PISA में भारत को सम्मिलित होना चाहिए परन्तु तब तक इसके निमित्त आवेदन देने की तिथि पार हो चुकी थी, इसलिए 2018 के PISA में भारत नहीं जा पाया.

PISA क्या है?

  • PISA छात्रों का एक मूल्यांकन कार्यक्रम है जिसमें 15 वर्ष के बच्चों की पढ़ने, गणित हल करने और विज्ञान की जानकारी परीक्षा हर तीसरे वर्ष ली जाती है.
  • सबसे पहली बार PISA 2000 ई. में आयोजित हुई थी.
  • मूल्यांकन परीक्षा में अलग-अलग चक्रों में कभी पढ़ने की क्षमता, कभी गणित हल करने की क्षमता तो कभी विज्ञान की समझ की क्षमता पर मुख्य बल दिया जाता है.
  • PISA में मिल-जुलकर समस्या के हल की क्षमता को भी शामिल किया जाता है.
  • PISA की रूपरेखा ऐसी बनाई गई है कि उन छात्रों की क्षमता की जाँच हो सके जो स्कूल की पढ़ाई लगभग पूरी करने के कगार पर हैं.
  • पीसा का समन्वयन औद्योगिकृत देशों के एक अंतर-सरकारी संगठन – Organization for Economic Cooperation and Development (OECD)– द्वारा किया जाता है और इसका संचालन अमेरिका में NCES द्वारा किया जाता है.
  • 2012 के PISA परीक्षा में चीन के शंघाई नगर के स्कूल शीर्ष पर रहे और उसके ठीक पीछे सिंगापुर का स्थान था.
  • 2015 की परीक्षा में शीर्ष पर सिंगापुर, जापान और एस्टोनिया के शहर रहे.

GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Issues related to health.

Topic : National Health Profile, 2019

संदर्भ

केन्द्रीय स्वास्थ्य बुद्धि ब्यूरो (Central Bureau of Health Intelligence – CBHI) ने 2020 का राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल प्रतिवेदन (14वाँ संस्करण) प्रकाशित कर दिया है.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल क्या है?

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल (NHP) एक व्यापक सूचना संग्रह है जिसमें देश की जनसांख्यिक, सामाजिक-आर्थिक स्वास्थ्य दशा, स्वास्थ्य-वित्त संकेतक, स्वास्थ्य से सम्बंधित अवसरंचना एवं मानव संसाधन स्वास्थ्य के विषय में जानकारी होती है.

NHP का उद्देश्य स्वास्थ्य से सम्बंधित भाँति-भाँति के डाटा देना और उसे स्वास्थ्य सेवा से जुड़े प्रक्षेत्र से सम्बंधित सभी हितधारकों को उपलब्ध कराना है.

NHP के मुख्य संकेतक

  1. जनसांख्यिक संकेतक – जनसंख्या और जीवन से सम्बंधित आँकड़े.
  2. सामाजिक-आर्थिक संकेतक – शिक्षा, आजीविका, आवास और सुविधाएँ, पेयजल और स्वच्छता.
  3. स्वास्थ्य दशा संकेतक – सामान्य संक्रामक और असंक्रामक रोग, प्रजनन बाल स्वास्थ्य (RCH)
  4. स्वास्थ्य वित्त संकेतक – जीवन बीमा, स्वास्थ्य पर सरकारी और रोगी का अपना खर्च.
  5. मानव संसाधन संकेतक – स्वास्थ्य प्रक्षेत्र में लगे हुए कार्यबल की उपलब्धता.
  6. स्वास्थ्य अवसंरचना संकेतक – चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा महाविद्यालय, आयुष संस्थान, नर्सिंग और पैरा-मेडिकल पाठ्यक्रम आदि.

प्रतिवेदन के मुख्य निष्कर्ष

  • भारत में जीवन प्रत्याशा 1970-75 (49.7 वर्ष) से बढ़कर 2012-16 में 68.7 वर्ष हो गई है. इनमें महिलाओं की जीवन प्रत्याशा 70.2 वर्ष है जबकि पुरुषों की जीवन प्रत्याशा 67.4 वर्ष है.
  • भारत में मधुमेह और उच्च रक्तचाप की दर ऊँची है.
  • देश में डेंगी और चिकुनगुनिया लोक स्वास्थ्य के लिए एक बहुत बड़ी चिंता का विषय हैं.
  • प्रतिवेदन के अनुसार दिल्ली-राजधानी क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व 11,320 प्रति वर्ग किलोमीटर है जोकि सर्वोच्च है. दूसरी ओर, 17 जनसंख्या घनत्व के साथ अरुणाचल प्रदेश सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाला राज्य है.
  • 1991 से लेकर 2017 तक भारत की जन्म-दर, मृत्यु-दर और प्राकृतिक वृद्धि दर लगातार घटती जा रही है. फिर भी जनसंख्या बढ़ती जा रही है क्योंकि जन्म दर में कमी उतनी तेज़ नहीं है जितनी मृत्यु दर में होने वाली कमी की दर.
  • शिशु मृत्यु दर में अच्छा-ख़ासा ह्रास हुआ है. 2016 में जीवित जन्म की दर 33 प्रति 1,000 थी.
  • 2016 ई. में देश में कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate – TFR) 2.3 थी. यह दर गाँवों में 2.5 और शहरों में 1.8 थी.   

GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Important aspects of governance, transparency and accountability, e-governance- applications, models, successes, limitations, and potential; citizens charters, transparency & accountability and institutional and other measures.

Topic : Electoral Bond Scheme

संदर्भ

लोकतांत्रिक सुधार संघ (Association for Democratic Reforms – ADR) के द्वारा निर्गत डाटा के अनुसार विगत अक्टूबर महीने में ₹232 करोड़ के चुनावी बांड बिके. इस प्रकार मार्च, 2018 से लेकर अब तक 12,313 चुनावी बांड बिक गये हैं जिनका मूल्य ₹6,128 करोड़ होता है.

सबसे अधिक बांड मुंबई (₹1,880 करोड़) में बिके. उसके पश्चात् कलकत्ता (₹1,440 करोड़), दिल्ली (₹919 करोड़) और हैदराबाद (₹838 करोड़) का नंबर रहा. अन्य सभी शहरों में कुल मिलाकर ₹1,051 करोड़ के चुनावी बांड बिके.

चुनावी बांड योजना से सम्बंधित प्रमुख तथ्य

  • ये चुनावी बांड भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से मिलेंगे.
  • चुनावी बांड की न्यूनतम कीमत 1000 और अधिकतम एक करोड़ रुपये तक होगी.
  • इलेक्टोरल बांड 1,000 रु., 10,000 रु., 1 लाख रु, 10 लाख रु. और 1 करोड़ रु. के होंगे.
  • हर महीने 10 दिन बांड की बिक्री होगी.
  • परन्तु जिस वर्ष लोक सभा चुनाव होंगे उस वर्ष भारत सरकार द्वारा बांड खरीदने के लिए अतिरिक्त 30 दिन और दिए जायेंगे.
  • बांड जारी होने के 15 दिनों के भीतर उसका इस्तेमाल चंदा देने के लिए करना होगा.
  • चुनाव आयोग में पंजीकृत दल से पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% वोट मिले हों, उसे ही बांड दिया जा सकेगा.
  • चुनावी बांड राजनैतिक दल के रजिस्टर्ड खाते में ही जमा होंगे और हर राजनैतिक दल को अपने सालाने प्रतिवेदन में यह बताना होगा कि उसे कितने बांड मिले.
  • चुनावी बांड देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी.
  • चुनावी बांड पर कोई भी ब्याज नहीं मिलेगा.

चुनावी बांड के फायदे

अक्सर ब्लैक मनी वाले लोग पार्टी को चंदा दिया करते थे. अब यह संभव नहीं होगा क्योंकि अब कैश में लेन-देन न होकर बांड ख़रीदे जायेंगे. पार्टी को बांड देने वालों की पहचान बैंक के पास होगी. अक्सर बोगस पार्टियाँ पैसों का जुगाड़ करके चुनाव लड़ती हैं. इस पर अब रोक लग सकेगी क्योंकि उन्हें पार्टी फण्ड के रूप में बांड तभी दिए जा सकेंगे जब उनको पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% वोट मिले हों.

इस व्यवस्था से चुनाव में धन के उपयोग में पारदर्शिता आएगी क्योंकि सभी दानकर्ता को अपने खातों में उनके द्वारा खरीदे बांड की राशि को दिखलाना होगा और सभी दलों को भी यह घोषित करना होगा कि उनको कितने बांड मिले हैं.

चुनावी बांड के बारे में और भी विस्तार से बढ़ें > चुनावी बांड


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Major crops cropping patterns in various parts of the country, different types of irrigation and irrigation systems storage, transport and marketing of agricultural produce and issues and related constraints; e-technology in the aid of farmers.

Topic : Polavaram project

संदर्भ

पोलावरम वृहद् सिंचाई परियोजना में पिछले दिनों एक नए ठेकेदार के हाथों काम फिर से आरम्भ हुआ. इस ठेकेदार का नाम है – मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, हैदराबाद.

पोलावरम परियोजना क्या है?

  • पोलावरम परियोजना एक बहु-उद्देशीय सिंचाई परियोजना है. यह बाँध गोदावरी नदी पर बनाया जा रहा है और यह आंध्र प्रदेश के पश्चिमी और पूर्वी गोदावरी जिलों में अवस्थित है.
  • इस परियोजना के अंतर्गत आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले एवं पूर्वी गोदावरी जिले में गोदावरी नदी पर एक बाँध का निर्माण चल रहा है.
  • इस बाँध के लिए बनाया गए विशाल जलाशय के कुछ अंश छतीसगढ़ और ओडिशा राज्यों में भी पड़ते हैं.
  • इस प्रयोजना के अधीन सिंचाई, पनबिजली एवं पेय-जल की सुविधा आंध्र प्रदेश के पूर्वी-गोदावरी, पश्चिमी-गोदावरी एवं कृष्णा जिले के अतिरिक्त विशाखापत्तनम को मुहैया की जायेगी.
  • इस परियोजना के चलते 222 गाँवों के 1 लाख 88 हजार लोग विस्थापित हो गये हैं. इनमें से 1,730 लोगों का पुनर्वास किया जा चुका है.

परियोजना से सम्बंधित विवाद

पोलावरम बहु-उद्देशीय परियोजना की स्थिति से सम्बंधित एक याचिका की सुनवाई के क्रम में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को आदेश दिया था कि परियोजना से प्रभावित ओडिशा एवं छत्तीसगढ़ के क्षेत्रों में जाकर जन-सुनवाई करे. केंद्र सरकार ने भी अपने उत्तर में कहा था कि वह इस प्रकार की सुनवाई करने के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी नियुक्त करने के लिए तैयार है.

पोलावरम परियोजना पर आपत्ति क्यों?

जब 2014 में आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ तो पोलावरम परियोजना को राष्ट्रीय दर्जा देते हुए उसकी रुपरेखा में परिवर्तन किया गया था. याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया था कि क्योंकि बाँध की रूपरेखा बदल दी गई है और इसमें नए-नए अवयव जोड़े गये हैं इसलिए इसको इसके लिए नई पर्यावरणीय अनुमति लेनी चाहिए.

केन्द्रीय सिंचाई एवं ऊर्जा बोर्ड (CBIP)

  • केन्द्रीय सिंचाई एवं ऊर्जा बोर्ड (CBIP) भारत सरकार की एक प्रमुख संस्था है जिसकी स्थापना 1927 में हुई थी.
  • यह बोर्ड ऊर्जा, जल संसाधन एवं नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों जुड़े हुए देश के व्यावसायिक संगठनों, अभियंताओं और व्यक्तियों को आठ से अधिक दशकों से अपनी समर्पित सेवाएँ प्रदान करता है.

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