Sansar डेली करंट अफेयर्स, 01 April 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 01 April 2019


GS Paper  2 Source: PIB

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Topic : Community Radio Stations and SVEEP

संदर्भ

आगामी आम चुनाव के सन्दर्भ में भारतीय निर्वाचन आयोग ने देश में फैले 150 से अधिक सामुदायिक रेडियो (Community Radio) केन्द्रों से आह्वान किया है कि SVEEP पोर्टल के माध्यम से वे मतदाताओं को शिक्षित करने एवं उन्हें जानकारी देने में सहायता करें.

सामुदायिक रेडियो क्या है?

  • सामुदायिक रेडियो एक प्रकार की सामुदायिक रेडियो सेवा है जो किसी क्षेत्र विशेष में रहने वाले लोगों के लिए प्रसारण करती है.
  • सामुदायिक रेडियो एक छोटे भौगोलिक क्षेत्र तक सीमित होती है . यह उस समुदाय के लिए होती है जिनके जीविका के साधन एक समान होते हैं और जिनके विकास से सम्बंधित विषय भी सामान होते हैं. फिर भी ये विषय राष्ट्रीय और क्षेत्रीय विकास लक्ष्यों से जुड़े होते हैं.
  • भारत में 180 से अधिक सामुदायिक रेडियो केंद्र हैं जो ऐसी भाषाओं में प्रसारण करते हैं जिनके लिए दूरदर्शन में बहुत कम ही जगह मिलती है, जैसे – बुन्देलखंडी, गढ़वाली, अवधि, संथाली आदि.

सामुदायिक रेडियो के समक्ष चुनौतियाँ

  • पत्रकारिता कौशल और तकनीकी कौशल का अभाव होने के कारण प्रशिक्षण की माँग सदैव बनी रहती है.
  • सामुदायिक प्रतिभागिता सामुदायिक रेडियो की शक्ति और लोकप्रियता का आधार होती है. व्यवहार में प्रतिभागिता सुनिश्चित करना कठिन होता है क्योंकि इसके लिए बहुत श्रमबल की आवश्यकता होती है और साथ ही सही मनोवृत्ति, कौशल और चलायमान उपकरण भी अपेक्षित होते हैं.
  • समुचित प्रबंधन कौशल्य तथा वित्तीय प्रबंधन और आय वृद्धि के ज्ञान के बिना सामुदायिक रेडियो चलना कठिन होता है. इसके लिए दाताओं से धनराशि इकठ्ठा करना आवश्यक हो जाता है.
  • सामुदायिक रेडियो अपेक्षाकृत छोटे और आधारभूत सेवाओं से वंचित स्थलों पर होते हैं जहाँ बिजली आती-जाती रहती है. ऐसी दशा में इसके उपकरण बिगड़ जाते हैं और उनका तत्परता से संधारण करना और नियमित रूप से उनमें बदली करना आवश्यक होता है.
  • सामुदायिक रेडियो के संचालन के लिए अभी तक कोई स्पष्ट नियामक ढाँचा बना नहीं है.

सामुदायिक रेडियो केंद्र खोलने के लिए योग्यता

  • यदि कोई संगठन सामुदायिक रेडियो केंद्र खोलना चाहता है तो उसके पास स्थानीय समुदाय की सेवा करने का कम से कम तीन वर्षों का इतिहास होना चाहिए.
  • सामुदायिक रेडियो केंद्र को किसी विशेष सुपरिभाषित स्थानीय समुदाय के लिए प्रसारण करना होगा.
  • सामुदायिक रेडियो का स्वामित्व और प्रबंधन का ढाँचा ऐसा होना चाहिए जिसमें सम्बंधित समुदाय का प्रतिनिधित्व दिख जाए.
  • सामुदायिक रेडियो केंद्र को चाहिए कि वह मात्र वैसे ही प्रोत्साहन कार्यक्रम करे जो समुदाय की शैक्षणिक, विकासात्मक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अपेक्षाओं के अनुरूप हों.
  • किसी सामुदायिक रेडियो केंद्र का सोसाइटीज अधिनियम अथवा किसी अन्य सम्बद्ध अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत होना आवश्यक है.

प्रसारण की विषय-वस्तु

  • कम से कम आधी विषय-वस्तु ऐसी हो जो उस स्थानीय समुदाय की प्रतिभागिता से तैयार हुई हो जिसके लिए केंद्र स्थापित हुआ हो.
  • प्रयास होना चाहिए कि प्रसारित कार्यक्रम स्थानीय भाषा और बोली में ही हों.

सामुदायिक रेडियो सेवा का प्रसारण क्षेत्र

सामुदायिक रेडियो सेवा केंद्र 100 वॉट पर चलता है और यह 12 किलोमीटर के व्यास के भौगोलिक क्षेत्र में प्रसारण भेज सकता है. इसकी अन्टेना हद से हद 30 मीटर ऊँची होनी चाहिए.

SVEEP क्या है?

  • SVEEP का full-form है – Systematic Voters Education and Electoral Participation.
  • चुनाव आयोग ने एक पोर्टल बनाया है जो आयोग के मतदाता-प्रशिक्षण एवं चुनाव में भागीदारी कार्यक्रम (SVEEP) से सम्बंधित है.
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य विभिन्न तरीकों से और मीडिया का सहारा लेते हुए नागरिकों को मतदान के विषय में प्रशिक्षित किया जाना है जिससे कि वे चुनाव-प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकें और मतदान में अधिक-से-अधिक भाग ले सकें.
  • इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की रुपरेखा सम्बंधित राज्य के सामाजिक-आर्थिक, संस्कृति एवं जनसंख्या के स्वरूप को देखते हुए तथा वहाँ के नागरिकों के द्वारा पिछले चुनावों में मतदान में भाग लेने के इतिहास को देखते हुए तैयार की गई है.
  • इस कार्यक्रम (SVEEP) में सोशल मीडिया का प्रयोग करते हुए ऑनलाइन प्रतियोगिता और साथ ही मतदाता-उत्सव (voters’ festivals) भी आयोजित किये जायेंगे.
  • इस कार्यक्रम में इस बात पर बल दिया जाएगा कि अधिक-से-अधिक महिलाएँ, युवा, शहरी लोग और वंचित-वर्ग के लोग मतदान में शामिल हों.
  • यह भी ध्यान रखा जायेगा कि मतदान के लिए सैनिकों, प्रवासी भारतीयों (NRI), दिव्यांगों और शीघ्र ही मतदान की उम्र को प्राप्त करने वाले छात्रों को भी प्रेरित किया जाए.

GS Paper  2 Source: PIB

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Topic : Comprehensive Convention on International Terrorism (CCIT)

संदर्भ

विश्व-भर में आतंक की घटनाओं में होती लगातार वृद्धि के संदर्भ में भारत और बोलिविया ने आह्वान किया है कि अंतर्राष्ट्रीय आतंक पर व्यापक संधि (Comprehensive Convention on International Terrorism – CCIT) को शीघ्र से शीघ्र अंतिम रूप दिया जाए.

CCIT क्या है?

CCIT एक प्रस्तावित संधि है जिसका उद्देश्य सभी प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को अपराध घोषित करना तथा आतंकवादियों, उन्हें पैसा और समर्थन देने वालों को धन, हथियार और सुरक्षित अड्डे की सुविधा से वंचित करना है. भारत द्वारा इस विषय में 1996 में दिए गए प्रारूप का संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया जाना अभी भी शेष है.

CCIT क्या चाहता है?

  • आतंकवाद की एक सार्वभौम परिभाषा : अच्छा आतंकी अथवा बुरा आतंकी नहीं होता अर्थात् आतंकी आतंकी होता है.
  • आतंकवाद में संग्लन सभी समूहों पर प्रतिबन्ध लगाना और उन्हें धन प्राप्त करने और सुरक्षित अड्डे की सुविधा का लाभ उठाने से रोकना.
  • सभी आतंकवादी समूहों (सीमा-पार समूहों समेत) पर मुकदमा चलाना.
  • सीमा-पार के आतंक को ऐसा अपराध घोषित करना जिसके लिए अपराधी को दूसरे देश को सौंपने में कोई रुकावट न हो. इसके लिए हर देश अपने घरेलू कानूनों में आवश्यक संशोधन करे.
  • CCIT में दक्षिण एशिया में पाकिस्तान द्वारा सीमा-पार के आतंकवाद को समर्थन दिए जाने का विशेष उल्लेख है.

संधि के विषय में कुछ देशों की चिंताएँ

  • अमेरिका और उसके मित्र देशों को यह चिंता है कि आतंक की परिभाषा कहीं ऐसी न निर्धारित हो जाए जिसके अंतर्गत अमेरिकी सैनिको द्वारा संयुक्त राष्ट्र की अनुमति के बिना विश्व में कुछ स्थानों में की जाने वाली कार्रवाई भी सम्मिलित न हो जाए.
  • दक्षिण अमेरिका के देशों को यह चिंता है कि प्रस्तावित संधि में अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी कानूनों की उपेक्षा न हो.
  • कुछ लोगों को शंका है कि संधि का प्रयोग फिलिस्तीन, कश्मीर आदि स्थानों में आत्म-निर्णय के लिए संघर्ष कर रहे गुटों के अधिकारों को सीमित किया जा सकता है.

GS Paper  2 Source: Livemint

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Topic : International Solar Alliance

संदर्भ

अंतर्राष्ट्रीय सौर संघ (ISA) के ढाँचे से सम्बंधित समझौते पर हस्ताक्षर कर बोलिविया उस संघ में सम्मिलित हो गया है.

पृष्ठभूमि

COP22 के दौरान माराकेश में नवम्बर 15, 2016 अंतर्राष्ट्रीय सौर संघ समझौते को हस्ताक्षर के लिए रख दिया गया था. इस पर अभी तक जिन देशों ने हस्ताक्षर किये हैं, उनमें भारत, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अमीरात, इंग्लैंड, जापान आदि हैं.  

ISA क्या है?

  • ISA (International Solar Alliance) की स्थापना CoP21 पेरिस घोषणा के अनुसार हुई है.
  • इस संघ का उद्देश्य है सौर ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना जिससे पेट्रोल, डीजल पर निर्भरता कम की जा सके.
  • सौर संघ का प्रधान लक्ष्य विश्व-भर में 1,000 GW सौर ऊर्जा का उत्पादन करना और इसके लिए 2030 तक सौर ऊर्जा में 1,000 बिलियन डॉलर के निवेश का प्रबंध करना है.
  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय, अंतर-सरकारी संघ है जो आपसी समझौते पर आधारित है.
  • अब तक 19 देशों ने इस समझौते को अपनी मंजूरी दे दी है और 48 देशों ने इसके फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.
  • यह 121 ऐसे देशों का संघ है जो सौर ऊर्जा की दृष्टि से समृद्ध हैं.
  • ये देश पूर्ण या आंशिक रूप से कर्क और मकर रेखा के बीच स्थित हैं.
  • इसका मुख्यालय भारत में है और इसका अंतरिम सचिवालय फिलहाल गुरुग्राम में बन रहा है.

GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : Article 370

संदर्भ

हाल ही में PDP की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती ने यह बयान दिया है कि यदि संविधान की धारा 370 हटाई जायेगी तो भारतीय संघ और जम्मू-कश्मीर राज्य के बीच रिश्ता ख़त्म हो जाएगा.

धारा 370 का इतिहास

1947 ई. जब भारत का विभाजन हुआ तो अंग्रेजों ने रजवाड़ों को स्वतंत्र कर दिया था. उस समय जम्मू-कश्मीर का राजा हरि सिंह स्वतंत्र रहना चाहता था और भारत में विलय होने का विरोध करने लगा. उस समय सभी अन्य राज्य जो रजवाड़े के अन्दर आते थे उन्होंने भी भारत देश में विलय का छुटपुट विरोध किया पर सरदार पटेल के भय से  सब भारत में  मिल गए. मगर कश्मीर का मामला नेहरु ने अपने हाथ में ले लिया और पटेल को इससे अलग रखा. उस वक़्त नेहरु और अब्दुल्ला के बीच बातचीत हुई और जम्मू-कश्मीर की समस्या शुरू हो गयी.

  • जम्मू-कश्मीर में पहली अंतरिम सरकार बनाने वाले नेशनल कॉफ्रेंस के नेता शेख़ अब्दुल्ला ने भारतीय संविधान सभा से बाहर रहने की पेशकश की थी.
  • इसके बाद भारतीय संविधान में धारा370 का प्रावधान किया गया जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार प्राप्त हैं.
  • 1951 में राज्य को संविधान सभा को अलग से बुलाने की अनुमति दी गई.
  • नवंबर, 1956 में राज्य के संविधान का कार्य पूरा हुआ. 26 जनवरी, 1957 को राज्य में विशेष संविधान लागू कर दिया गया.

धारा 370 क्या है?

  • भारतीय संविधान की धारा 370 एक प्रावधान है जो जम्मू-कश्मीर को एक विशेष स्वायत्ता प्रदान करता है. संविधान के भाग XXI के अनुसार यह प्रावधान अस्थायी है.
  • धारा 370 के अनुसार राज्य में केन्द्रीय कानून लागू करने के पहले संसद को राज्य सरकार से सहमति लेना आवश्यक है. यद्यपि यह प्रावधान रक्षा, विदेशी मामलों, वित्त और संचार के मामलों में लागू नहीं होता है.
  • भारत के नागरिक जम्मू-कश्मीर में भूमि अथवा सम्पत्ति नहीं खरीद सकते हैं.
  • यदि केंद्र धारा 360 (Article 360के अंतर्गत भारत में वित्तीय आपातकाल लागू करता है तो यह आपातकाल जम्मू-कश्मीर पर प्रभावी नहीं होगा. हालाँकि यदि युद्ध हो अथवा बाहारी आक्रमण हो तो जम्मू-कश्मीर में भी आपातकाल लागू किया जा सकता है.
  • भारत सरकार जम्मू-कश्मीर की सीमाओं को न तो बढ़ा सकती है अथवा घटा सकती है.
  • भारतीय संसद का जम्मू-कश्मीर के मामले में क्षेत्राधिकार केन्द्रीय सूची और समवर्ती सूची के मामलों तक सीमित है. जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए कोई राज्य सूची नहीं है.
  • भारतीय संविधान में यह प्रावधान है कि जो कार्य केन्द्रीय, समवर्ती अथवा राज्य सूची में नहीं शामिल है वह स्वतः केंद्र का कार्य मान लिया जाता है, परन्तु जम्मू-कश्मीर के मामले में ऐसा नहीं है. यह अवश्य है कि कुछ ऐसे मामले हैं जिसमें संसद का क्षेत्राधिकार इस राज्य पर होता है जैसे देशद्रोह अथवा देश-विभाजन अथवा संप्रभुता पर आँच अथवा भारत की एकता से सम्बन्धित मामले.
  • भारत में एहतियात के तौर पर बंदीकरण का क़ानून बनाने का काम संसद का होता है, परन्तु जम्मू-कश्मीर में ऐसा कानून वहाँ की विधान सभा ही बना सकती है.
  • राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्व (Part IV) तथा मौलिक कर्तव्य (Part IVA) जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होते हैं.

GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : Generalised System of Preferences (GSP)

संदर्भ

अमेरिका सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (GSP) के अंतर्गत भारत को प्राप्त लाभार्थी विकासशील देश की पदवी को समाप्त करने जा रहा है क्योंकि उसका कहना है कि भारत वैधानिक योग्यता मानदंडों का अनुपालन नहीं कर रहा है. अमेरिका के इस निर्णय से भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर प्रभाव पड़ेगा. जिन वस्तुओं के निर्यात दुष्प्रभावित होंगे, वे हैं – प्लास्टिक के कच्चे माल, उपभोग के घरेलू सामान और पोलिएस्टर फिल्में.

पृष्ठभूमि

  • अमेरिका के इस निर्णय के पीछे भारत द्वारा ई-वाणिज्य से सम्बन्ध में बनाए गये वे नए नियम हैं जो com और Walmart-Flipkart को भारत में व्यवसाय करने को बाधित करते हैं. विदित हो कि भारत में ऑनलाइन बाजार बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है और संभावना है कि यह 2027 तक 200 बिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगा.
  • ज्ञातव्य है कि भारत मास्टर कार्ड और वीजा जैसी वैश्विक कार्ड भुगतान कंपनियों को अपने डाटा भारत को देने के लिए विवश कर रहा है. यह भी अमेरिका के द्वारा की गई कार्रवाई का एक कारण है.
  • भारत ने इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों और स्मार्ट फ़ोनों पर पहले से अधिक चुंगी बढ़ा दी है जिससे अमेरिका रुष्ट होकर भारत को मिलने वाली GSP की छूट हटा रहा है.

सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली क्या है?

सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (GSP) अमेरिका का एक व्यापार कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत 129 विकासशील देशों से अमेरिका के अंदर आने वाले 4,800 उत्पादों पर कोई कर नहीं लगता है. यह प्रणाली विकासशील देशों में आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई थी.

निहितार्थ

सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली के हट जाने से भारत को आर्थिक धक्का पहुँच सकता है क्योंकि इस प्रणाली के अंतर्गत मिली छूट के कारण उसे अमेरिका को भेजे गये 5.6 बिलियन डॉलर के ऊपर कोई शुल्क नहीं देना पड़ता था. विदित हो कि इस प्रणाली के तहत भारत कुल मिलाकर 1,937 उत्पाद अमेरिका को भेजा करता है. भारत अमेरिका के साथ व्यापार में 11वाँ सबसे बड़ा व्यापार-अधिशेष (2017-18 में 21 बिलियन डॉलर) वाला देश है.


GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : Environment Pollution (Prevention and Control) Authority (EPCA)

संदर्भ

पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) ने दिल्ली के लिए वाहनों को ठहराने से सम्बंधित प्रबंधन की एक योजना बनाई है. सम्बंधित प्रतिवेदन में बताया गया है कि दिल्ली में सार्वजनिक भूमि पर वाहन लगाने के लिए कोई शुल्क नहीं होगा. साथ ही यह बताया गया है कि राजधानी में वाहन लगाने की जो विकट समस्या है उसके मूल में कई एजेंसियों का होना है.

प्रतिवेदन में दिए गये मुख्य सुझाव

  • आवासीय पार्किंग को विनियमित करना आवश्यक है.
  • आवासीय भवनों से बाहर रखे हुए वाहनों के लिए भी प्रबंधन की आवश्यकता है.
  • आवासीय पार्किंग का दाम क्या होगा उसका निर्धारण स्थानीय एजेंसी और आवासीय कल्याण संघ अथवा दुकानदार मिलकर करेंगे. परन्तु इसके लिए उनको एक से अधिक वाहनों के लिए अधिक ऊँची दर सुनिश्चित करने का सिद्धांत अपनाना होगा.
  • स्थानीय वाहन ठहराव योजना में आपातकालीन वाहनों की आवाजाही को सुचारू रखना होगा. साथ ही हरित क्षेत्रों, उद्यानों और फुटपाथों पर पार्किंग की छूट नहीं मिलनी चाहिए.

EPCA क्या है?

राजधानी में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्राधिकृत एक संस्था है, जिसका नाम पर्वावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (Environment Pollution Control Authority – EPCA) है. यह प्राधिकरण प्रदूषण के विभिन्न स्तरों के लिए एक क्रमिक प्रतिक्रिया कार्ययोजना (Graded Response Action Plan – GRAP) पर काम करता है.

क्रमिक प्रतिक्रिया कार्ययोजना क्या है?

  • जब प्रदूषण “ठीक-ठाक” और “खराब” के बीच की श्रेणी में होता है तो पराली जलाने पर रोक लगा दी जाती है.
  • यदि वायुप्रदूषण “बहुत खराब” श्रेणी में पहुँच जाता है तो ये उपाय किये जाते हैं – डीजल जनरेटर बंद कराना, पार्किंग शुल्क को बढ़ाना और मेट्रो तथा बसों की पारियों में वृद्धि लाना.
  • जब वायु की गुणवत्ता “भीषण” हो जाति है तो ये कदम उठाने पड़ते हैं – मशीन से सड़कों को बार-बार साफ़ करना और पानी का छिड़काव करना, शहर में ट्रकों के आने पर रोक लगाना, निर्माण के कार्यों की रोकथाम करना और स्कूल बंद कराना आदि.

EPCA का स्वरूप

EPCA में एक अध्यक्ष और 14 सदस्य होते हैं. ये सदस्य हैं – राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के पर्यावरण सचिव, नई दिल्ली नगर परिषद् के अध्यक्ष, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के परिवहन आयुक्त, दिल्ली के विभिन्न नगर निगमों के आयुक्त तथा IIT दिल्ली और JNU के सदस्य.


Prelims Vishesh

Toluene :-

  • Toluene एक पेट्रो-रासायनिक अवशिष्ट है जो कुछ औद्योगिक कारखानों से बिना उपचारित हुए बाहर निकलकर फ़ैल जाता है, जैसे – तेलशोधक संयंत्र तथा रंग, कपड़े, कागज़ और रबर के कारखाने आदि.
  • वैज्ञानिकों के अनुसार टोल्यूनि जलजीवों के लिए खतरा है. साथ ही मनुष्यों के लिए यह जेनो-टॉक्सिक और कैंसरकारक होता है.

Eurasian Lynx :-

  • यूरेशियाई बनबिलाव के बारे में एक प्रतिवेदन में कहा गया है वह कश्मीर घाटी में पहुँच चुका है.
  • विदित हो कि यह बनबिलाव केवल लद्दाख और गुलाम कश्मीर के कुछ भागों में पाया जाता है. इस प्रकार कश्मीर घाटी में पाई जाई वाली छोटी बिलाव प्रजातियों में इस बनबिलाव के आने से बिलाव की तीन प्रजातियाँ हो गई हैं. पहले से दो प्रजातियाँ हैं, उनके नाम जंगली बिल्ली और गुलदार बिल्ली हैं.
  • यूरेशियाई बनबिलाव लद्दाख के हिमाच्छादित पहाड़ों पर 18,000 फुट की ऊँचाई पर पाया जाता है और वहाँ उसे “ई” (Ee) कहते हैं.
  • इसकी संख्या अच्छी-खासी है अतः IUCN लाल सूची में 2008 से इसे सबसे कम चिंता वाली प्रजाति की सूची (Least Concern ) में रखा गया है.

Two new bird species spotted in Kerala Sanctuary :

  • उत्तरी केरल के अरलाम वन्यजीव आश्रयणी में हुए एक पक्षी सर्वेक्षण में हाल ही में दो नए पक्षी पाए गये हैं जिनके नाम ऊनी ग्रीवा वाला सारस तथा श्वेत पेट वाला ड्रोंगो हैं.
  • ये दोनों शुष्क भूमि में रहने वाली प्रजातियाँ हैं.

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