सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 2 (एच) एवं RTI के तहत ‘पब्लिक अथॉरिटी’ क्या है?

RuchiraIndian Constitution

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने आरटीआई अधिनियम के तहत दायर एक आवेदन में मांगी गई सूचना को साझा करने से यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 2 (एच) के अंतर्गत PM CARES FUND ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ (public authority) नहीं है.

पृष्ठभूमि

आरटीआई आवेदन 1 अप्रैल को हर्षा कंदुकुरी द्वारा किया गया था, जो प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपात स्थिति राहत कोष (PM CARES FUND) के संविधान के बारे में जानकारी मांग रही थीं. बेंगलुरु में अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में एलएलएम की एक छात्रा ने PM CARES FUND के ट्रस्ट डीड, और इसके निर्माण और संचालन से संबंधित सभी सरकारी आदेशों, अधिसूचनाओं और परिपत्रों की प्रतियाँ माँगी थी.

RTI के तहत ‘पब्लिक अथॉरिटी ‘क्या है?

  • आरटीआई अधिनियम की धारा 2 (एच) के अनुसार, “पब्लिक अथॉरिटी” का अर्थ है किसी भी प्राधिकरण या निकाय या स्व-सरकार की संस्था स्थापित या गठित, – (क) संविधान द्वारा या उसके तहत; (ख) संसद द्वारा बनाए गए किसी अन्य कानून द्वारा; (ग) राज्य विधानमंडल द्वारा बनाए गए किसी अन्य कानून द्वारा; (घ) उपयुक्त सरकार द्वारा जारी अधिसूचना या आदेश द्वारा.
  • ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ की परिभाषा में सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा स्वामित्व, नियंत्रित या पर्याप्त रूप से वित्तपोषित निकाय और उपयुक्त सरकार द्वारा प्रदान किए गए धन द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वित्तपोषित शामिल हैं.
  • सरल भाषा में कहें तो, सार्वजनिक प्राधिकरण में वो संस्थान या निकाय आते हैं, जिनका गठन खुद सरकार करती है या फिर वह संविधान या संसद के कानून द्वारा या फिर विधानसभा के किसी कानून द्वारा गठित किए जाते हैं.

पीएम केयर्स फंड क्या है?

  • पीएम केअर्स फंड 28 मार्च, 2020 को किसी भी तरह की आपातकालीन या संकट की स्थिति जैसे कोविड-19 महामारी से निपटने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ बनाया गया था.
  • प्रधानमंत्री, पीएम केअर्स फंड के पदेन अध्यक्ष और रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री, भारत सरकार निधि के पदेन न्यासी होते हैं.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

एक ट्रस्ट के लिए, जो चार कैबिनेट मंत्रियों द्वारा अपनी पूर्व-सरकारी क्षमताओं में बनाया और चलाया जाता है, ‘लोक प्राधिकरण’ का दर्जा देने से इनकार करना पारदर्शिता के लिए एक बड़ा झटका है और हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लेख नहीं करना है.

पीएम केअर्स फंड को ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ का दर्जा देने से अस्वीकार करते हुए, यह अनुमान लगाना उचित है कि यह सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं है. यदि ऐसा है तो इसे कौन नियंत्रित कर रहा है? ट्रस्ट का नाम, रचना, नियंत्रण, प्रतीक का उपयोग, सरकारी डोमेन नाम सब कुछ दर्शाता है कि यह एक सार्वजनिक प्राधिकरण है. बस यह निर्णय लेते हुए कि यह एक सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है और आरटीआई अधिनियम के आवेदन को सिरे से अस्वीकार कर दिया गया, सरकार ने इसके चारों ओर गोपनीयता की दीवारों का निर्माण किया है. पारदर्शिता और निधि के लिए आरटीआई अधिनियम के आवेदन को अस्वीकार करने से, हमें इस बात के बारे में भी चिंतित होना चाहिए कि निधि कैसे संचालित की जा रही है. हमें विश्वास और सुरक्षा उपायों की निर्णय लेने की प्रक्रिया के बारे में नहीं पता है, ताकि निधि का दुरुपयोग न हो.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

  • नेशनल इन्टरनेट एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया को आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा 2 (एच) के तहत एक सार्वजनिक प्राधिकरण घोषित किया गया है.
  • तदनुसार अधिनियम की धारा 4 (बी) के अंतर्गत इसे अपने संगठन, कार्यों और कर्तव्यों आदि के विवरण प्रकाशित करना होगा और इन्हें नियमित आधार पर अपडेट करना होगा. .
  • सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 पूरे भारत वर्ष में 12 अक्टूबर, 2005 से प्रभावी है.
  • सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 2 (एच) में दी गई व्यवस्था के अनुसार किसी “लोक प्राधिकरण (Public Authority)” का अर्थ ऐसा प्राधिकरण या निकाय या स्वायत्त सरकारी संस्था है- (a) जो संविधान या उसके अधीन बनाया गया हो, (b) संसद द्वारा बनाई गई किसी अन्य विधि द्वारा बनाया गया हो, (c) राज्य विधान मण्डल द्वारा बनाई गई किसी अन्य विधि द्वारा बनाया गया हो, (d) समुचित सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना या किये गये आदेश द्वारा स्थापित या गठित किया गया हो,

और इसके अन्तर्गत-

  • केन्द्र सरकार या किसी राज्य सरकार के स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन या आंतरिक रूप से वित्तपोषित निकाय और केन्द्र सरकार या किसी राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित गैर-सरकार संगठन भी लोक प्राधिकरण की परिभाषा में आते हैं. सरकार द्वारा किसी निकाय या गैर-सरकारी संगठन का वित्तपोषण प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष हो सकता है.
  • अधिनियम के प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए रिकार्डों का समुचित प्रबन्धन बहुत ही महत्वपूर्ण है. इसलिए लोक प्राधिकरणों को अपने सभी रिकार्ड ठीक तरह से रखने चाहिए. उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके सभी रिकार्ड सम्यक्‌ रूप से सूचीपत्रित और अनुक्रमणिकाबद्ध हों, ताकि सूचना के अधिकार को सुकर बनाया जा सके.
  • लोक प्राधिकरणों को कम्प्यूटरीकृत करने योग्य सभी रिकार्डों को कम्प्यूटरीकृत करके रखना चाहिए.
  • इस तरह कम्प्यूटरीकृत किए गए रिकार्डों को विभिन्‍न प्रणालियों पर नेटवर्क के माध्यम से जोड़ देना चाहिए, ताकि ऐसे रिकार्डों तक पहुंच को सुकर बनाया जा सके.
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