2022 में भारत को रिकार्ड 100 बिलियन डॉलर धन प्रेषण की संभावना

Sansar LochanEconomics Current AffairsLeave a Comment

हाल ही में, विश्व बैंक द्वारा निर्गत रेमिटेंस ब्रेव ग्लोबल हेडविंड्स नामक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में भारत को रिकॉर्ड 100 बिलियन डॉलर धन प्रेषण (Remittance) प्राप्त होने की संभावना है।

यह पहली बार है जब कोई देश 100 बिलियन डॉलर के आँकड़े तक पहुँचेगा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021 में भारत ने 89.4 बिलियन डॉलर रेमिटेंस प्राप्त किया था।

धन प्रेषण (Remittance) के बारे में

  • जब विदेश में काम करने वाला कोई प्रवासी अपने मूल देश में बैंक, डाकघर या ऑनलाइन ट्रांसफर के ज़रिये धन भेजता है, तो उसे धन प्रेषण (रेमिटेंस / remittance) कहते हैं।
  • भारत जैसे विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था में इसका महत्त्वपूर्ण योगदान माना जाता है। इसके अलावा यह विदेशी मुद्रा अर्जित करने का भी प्रमुख तरीका होता है।

भारत को मिलने वाले रेमिटेंस संबंधी प्रमुख तथ्य

  • भारत के लिये रेमिटेंस का सबसे बड़ा स्रोत ‘खाड़ी सहयोग परिषद्‌’ (GCC) के देश (यूएई, बहरीन, सऊदी अरब, ओमान, कतर, कुवैत) और अमेरिका एवं यूनाइटेड किंगडम में कार्य कर रहे भारतीय प्रवासी है।
  • पिछले कुछ समय में भारत को मिलने वाले रेमिटेंस में अमेरिका, ब्रिटेन और पूर्वी एशियाई देशों (सिंगापुर, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड) में उच्च-कुशल नौकरियों का योगदान बढ़ा है। इससे पूर्व खाड़ी देशों के कम कुशल एवं अनौपचारिक रोजगार रेमिटेंस के प्रमुख खोत होते थे।
  • रेमिटेंस में वृद्धि के लिये डॉलर की तुलना में रूपये का लगातार होने वाला मूल्यह्रास भी एक प्रमुख जिम्मेवार कारक है।
  • विश्व बैंक की हालिया रिपोर्ट में उच्च आय वाले देशों में मंदी के कारण प्रवासियों के वेतन लाभ में कमी के परिणामस्वरूप वर्ष 2023 में रेमिटेंस की वृद्धि में 2% गिरावट की संभावना है। लेकिन इसी दौरान भारत में रेमिटेंस में 4% तक वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।

अन्य तथ्य

  • वर्ष 2022 में विश्व रेमिटेंस के 794 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की संभावना है जो वर्ष 2021 में 781 बिलियन डॉलर था। इसमें से 626 बिलियन डॉलर रेमिटेंस निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMICs) को प्राप्त होगा.
  • वर्ष 2022 में शीर्ष पाँच रेमिटेंस प्राप्तकर्ता देशों में भारत (100 बिलियन डॉलर), मेक्सिको (60 बिलियन डॉलर), चीन (50 बिलियन डॉलर), फिलीपींस (38 बिलियन डॉलर) और मिस्र (32 बिलियन डॉलर) के होने की आशा जताई गई है।
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