रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए, सरकार द्वारा एक योजना शुरू करने की संभावना है जिसका नाम होगा – PM प्रणाम योजना (PM Pranam Scheme in Hindi). इसका पूरा नाम है – (पीएम प्रमोशन ऑफ अल्टरनेटिव न्यूट्रिशियंस फॉर एग्रीकल्चर मैनेजमेंट योजना).
योजना कब शुरू की जाएगी?
7 सितम्बर, 2022 को रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने पीएम-प्रणाम योजना के विषय में शीर्ष अधिकारियों से बातचीत की और उनकी राय माँगी.
PM Pranam Scheme
- पिछले पाँच वर्षों में समग्र उर्वरक उपयोग में तेज वृद्धि के चलते सरकार पीएम प्रणाम योजना शुरू करने की योजना बना रही है.
- प्रस्तावित योजना से सरकार को रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी का बोझ कम करने में मदद मिलेगी. क्योंकि केंद्र सरकार को रासायनिक उर्वरकों पर बहुत ही ज्यादा सब्सिडी देना पड़ता है जिससे सरकारी खजाने पर नकारात्मक असर पड़ता है. पिछले साल रासायनिक उर्वरकों पर सरकार को 1.62 लाख करोड़ रुपये सब्सिडी देनी पड़ी थी. ऐसा अनुमाब है कि 2022-23 में 39 प्रतिशत बढ़कर यह 2.25 लाख करोड़ रुपये हो जायेगी.
- सब्सिडी बचत का 50 प्रतिशत केंद्र सरकार उन राज्यों को अनुदान के रूप में देगी जो उर्वरक का प्रयोग करके सरकार की सब्सिडी बचाने में योगदान देंगे.
- इसके लिए आवश्यक है कि वह राज्य इस राशि का 70% भाग वैकल्पिक खादों एवं वैकल्पिक खाद के उत्पादन के लिए जिला, प्रखंड और ग्रामीण स्तर पर उत्पादन इकाइयों को लगाने हेतु आस्तियाँ सृजित करने में करेगा.
- शेष 30% का उपयोग राज्य उन किसानों, पंचायतों, कृषि उत्पादक संगठनों तथा स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को पुरस्कृत और प्रोत्साहित करने में लगा सकते हैं जो खाद के प्रयोग को घटाने के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने में लगे हुए हों.
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सरकार राज्य में एक साल में रासायनिक खाद के इस्तेमाल में हुई बढ़ोतरी या कमी की तुलना पिछले तीन साल में उसकी औसत खपत से करेगी। डेटा की तुलना करने के लिए सरकार उर्वरक मंत्रालय के डैशबोर्ड iFMS का उपयोग करेगी।
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पीएम प्रणाम योजना के लिए अलग से कोई बजट नहीं होगा। इसे विभिन्न योजनाओं के तहत उर्वरक विभाग द्वारा प्रदान की जाने वाली “मौजूदा उर्वरक सब्सिडी की बचत” के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री प्रणाम योजना की आवश्यकता क्यों?
- पिछले पांच वर्षों में, चार उर्वरकों – यूरिया, एमओपी (पोटाश का म्यूरेट), डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) और एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम) का कृषि में बहुत ही अधिक प्रयोग हो रहा है। 2021-22 में 640.27 लाख मीट्रिक टन (LMT) इन उर्वरकों का प्रयोग किया गया।
- भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला रासायनिक उर्वरक यूरिया है, जिसने 2017-18 से 19.64 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जो 2021-22 में 356.53 लाख मीट्रिक टन (LMT), हो गई।
- सरकार उर्वरकों या वैकल्पिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए पीएम प्रणम योजना शुरू करने की योजना बना रही है।
सरकार उर्वरकों की वैश्विक कीमतों में वृद्धि के कारण बढ़ी कीमतों से किसानों को बचाने के लिए सब्सिडी प्रदान करती है। मई में, वित्त मंत्रालय ने इस साल 1.10 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त उर्वरक सब्सिडी की घोषणा की।
आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, सरकार ने केंद्रीय बजट 2021-22 में उर्वरक सब्सिडी के रूप में 79,530 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो संशोधित अनुमान (आरई) में बढ़कर 1.40 लाख करोड़ रुपये हो गए हैं। 2021-22 में अंतिम आंकड़ा 1.62 लाख करोड़ रुपये को छू गया।
2022-23 में सरकार ने 1.05 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा है। हालांकि, उर्वरक मंत्री ने कहा है कि साल के दौरान सब्सिडी का आंकड़ा 2.25 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकता है।
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