तेजाब के विक्रय पर कठोर नियंत्रण क्यों होना चाहिए?

Sansar LochanSocialLeave a Comment

HC seeks govt. stand on plea to ban acid sale 

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार से एक तेजाब आक्रमण (acid attack) से बच जाने वाली लड़की की याचिका पर सरकार का दृष्टिकोण स्पष्ट करने का निर्देश दिया है. याचिका में शिकायत है कि सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा तेजाब के विक्रय को नियंत्रित करने का निर्देश दिए जाने पर भी तेजाब सरलता से मिल जाता है. याचिका करने वाली का आरोप है तेजाब के विक्रय से सम्बंधित वैधानिक नियमों का पालन नहीं हो रहा है.

तेजाब के विक्रय पर कठोर नियंत्रण क्यों होना चाहिए?

सर्वविदित है कि आज तेज़ाब स्त्रीविद्वेष का एक हथियार बन गया है और यह पितृसत्तात्मक समाज के द्वारा स्त्रियों के विरुद्ध धड़ल्ले से प्रयोग में आ रहा है. जो स्त्री दहेज़ से मना करती है या सम्पत्ति पर अपना अधिकार मानती है अथवा किसी धार्मिक या सामाजिक रीति की अवहेलना करती है अथवा जोरो से हंसती है अथवा हिजाब पहनने से मना करती है अथवा जींस पहनती है अथवा किसी प्रेम प्रस्ताव को अस्वीकार करती है तो तेज़ाब को उसके विरुद्ध हथियार के रूप में प्रयोग होता है.

लक्ष्मी की याचिका

  • ये निर्देश 2013 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तेज़ाब के हमले के एक मामले में दिए गये थे जिसमें लक्ष्मी नामक एक स्त्री के मुंह और शरीर पर तेज़ाब फेककर उसे विकृत कर दिया गया था.
  • लक्ष्मी ने एक जनहित याचिका दायर कर के माँग की थी कि इस विषय में एक नया कानून बनाया जाए अथवा भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और आपराधिक प्रक्रिया संहिता जैसे वर्तमान कानूनों में संशोधन किये जाएँ जिससे ऐसे मामलों से निबटा जा सके और पीड़िता को उपयुक्त क्षतिपूर्ति मिल सके.
  • अपनी याचिका में लक्ष्मी ने यह माँग की थी कि तेज़ाब की खुदरा बिक्री पर सम्पूर्ण रोक लगाई जाए.

तेज़ाब के बारे में सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देश

  1. तेज़ाब उसी व्यक्ति को बेचा जाए जिसके पास एक वैध पहचान पत्र हो.
  2. खरीदने वाले को बताना होगा कि उसको तेज़ाब क्यों चाहिए.
  3. बेचने वाले को भी बिक्री के बारे में पुलिस को बताना होगा.
  4. पीड़ित व्यक्ति को पहले से अधिक क्षतिपूर्ति राशि दी जायेगी.

आगे की राह

भारत के अतिरिक्त दक्षिण एशिया के अन्य देशों में भी तेज़ाब के हमले होते रहते हैं, जैसे – बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में. भारत में एक वर्ष में ऐसे एक हजार हमले होते हैं. ये हमले अधिकतर स्त्रियों पर ही होते हैं और तेज़ाब फेकने वाले बहुधा ईर्ष्यालु प्रेमी होते हैं. हमले के पश्चात् चेहरा बिगड़ जाता है जिससे पीड़ितों को एक बहुत बड़ी स्थायी त्रासदी से गुजरना पड़ता है.

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