स्थायी विदेशी कार्यालय क्या है? Permanent Foreign Establishment in Hindi

Sansar LochanPIB Hindi, Sector of EconomyLeave a Comment

Profit Attribution to Permanent Establishment(PE) in India / विदेशी कम्पनियों के भारत में स्थित स्थायी कार्यालयों से होने वाली आय पर करारोपण

भारत में स्थायी कार्यालय को लाभ-वितरण (Profit Attribution to Permanent Establishment – PE) के विषय में तैयार एक प्रतिवेदन पर केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने सभी हितधारकों से मंतव्य माँगा है.

पृष्ठभूमि

दोहरा कराधान निवारण समझौते (Double Tax Avoidance Agreement – DTAA) की धारा 7 के अधीन स्थायी कार्यालयों को लाभ वितरित करने विषयक वर्तमान योजना की जाँच करने तथा आयकर नियम 1962 के नियम 10 में परिवर्तन लाने के बारे में सुझाव देने के लिए एक समिति का गठन हुआ था जिसका मुख्य उद्देश्य कराधान व्यवस्था में अधिक स्पष्टता तथा पूर्वानुमान की सुविधा लाना था एवं स्थायी कार्यालयों को लाभ वितरित करने से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना था. इस समिति ने अपना प्रतिवेदन जमा कर दिया है और सरकार ने निर्णय लिया है कि इस पर हितधारकों और जनसामान्य से मंतव्य प्राप्त किया जाए.

स्थायी कार्यालयों की प्रासंगिकता

सामान्यतः यह होता है कि विदेशी कंपनियाँ दोहरा कराधान निवारण संधियों के अधीन कर में छूट पाते हैं और अपने देश में ही कर चुकाते हैं. परन्तु यदि उनका स्थायी कार्यालय भारत में है तो उनको चाहिए कि वे भारत में प्राप्त की गई आय के लिए कर चुकाएँ. इस प्रकार, स्थायी कार्यालय के कारण विदेशी कंपनियों को भारत में होने वाली आय कर-योग्य हो जाती है.

स्थायी कार्यालय क्या है?

भारत में स्थायी कार्यालय (permanent establishment) व्यवसाय के उस निश्चित स्थल को कहते हैं जहाँ कोई विदेशी उपक्रम पूर्णतः अथवा आंशिक रूप से भारत में व्यवसाय कर रहा होता है. यह कार्यालय एक शाखा कार्यालय हो सकता है अथवा प्रबंधन का स्थल हो सकता है. कारखाने, गोदाम, कार्यशाला आदि भी स्थायी कार्यालय के अन्दर आते हैं. परन्तु प्रत्येक कर संधि में स्थायी कार्यालय की परिभाषा एक समान नहीं होती.

लागू होने वाले प्रावधान

अनिवासियों पर भारत में जो कर लगता है वह 1961 के आयकर अधिनियम के प्रावधानों तथा दोहरा कराधान निवारण समझौतों के अनुसार लगाया जाता है. दोहरा कराधान निवारण समझौते केंद्र सरकार द्वारा आयकर अधिनियम के अनुभाग 90 अथवा 90A के अंतर्गत तैयार किये जाते हैं अथवा अंगीकृत किये जाते हैं. आयकर अधिनियम के अंतर्गत अनिवासी भारतीयों पर कर लगाने के लिए कुछ मानक निर्धारित हैं. यदि  किसी अनिवासी भारतीय को व्यवसाय से होने वाली आय इन मानकों पर खरी उतरती है तो सरकार उसपर कर लगा सकती है. सम्बन्धित कर संधियों में भी ऐसी आय पर कर लगाने के लिए कुछ मानक निर्धारित हैं.

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