भुगतान अवसंरचना विकास कोष

Sansar LochanBanking

हाल ही में भारत भर में डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से RBI (Reserve Bank of India-RBI) ने 500 करोड़ रुपए का ‘भुगतान अवसंरचना विकास कोष’ (Payments Infrastructure Development Fund-PIDF) स्थापित किया है.

भुगतान अवसंरचना विकास कोष का उद्देश्य

भुगतान अवसंरचना विकास कोष का उद्देश्य देश के टियर-3 से लेकर टियर-6 तक के केन्द्रों और पूर्वोत्तर राज्यों में हाथ से और डिजिटल दोनों प्रकार के चलने वाले पॉइंट ऑफ़ सेल (PoS) से सम्बंधित अवसंरचना के निर्माण को प्रोत्साहन देना है.

कोष में अंशदान

भुगतान अवसंरचना विकास कोष के लिए RBI प्रारम्भ में इसका आधा भाग अर्थात् 250 करोड़ का अंशदान करेगा. शेष पैसा कार्ड निर्गत करने वाले बैंक और देश में कार्यरत कार्ड नेटवर्क मुहैया कराएँगे.

कोष का प्रबंधन

कोष का प्रबंधन एक परामर्शी परिषद् करेगी जिसका प्रबंधन और प्रशासन RBI के अधीन होगा.

भुगतान अवसंरचना विकास कोष का माहात्म्य

  • देश में पिछले कई वर्षों से भुगतान की प्रणाली में परिवर्तन हुए हैं. आज भुगतान के लिए कई विकल्प हैं, जैसे – बैंक खाते, मोबाइल फ़ोन, कार्ड आदि.
  • डिजिटल भुगतान को और सुगम बनाने के लिए यह आवश्यक है कि भुगतान लेने से सम्बंधित अवसंरचना को देश-भर में, विशेषकर पिछले क्षेत्रों में बढ़ावा दिया जाए.
  • उल्लेखनीय है कि 2019-20 के भुगतान सम्बंधित विजन में ऐसे कोष की स्थापना की अभिकल्पना थी. यदि PoS अवसंरचना सुदृढ़ हो जाती है तो धीरे-धीरे नकद की माँग में गिरावट आएगी. अनुमान है कि 2021 तक देश में 50 लाख PoS काम करने लगेंगे.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

बड़ा सवाल यह है कि क्या पूरे भारत में अबाध डिजिटल गेटवे तैयार हो चुका है? इसका उत्तर “नहीं” में है. आज की तिथि में गाँवों की बात तो दूर है, शहरों तक के कुछ मोहल्लों और गलियों में इंटरनेट और मोबाइल फोन की निर्बाध सेवा उपलब्धनहीं है. गाँवों में आज भी लोगों को मोबाइल फोन से बात करने के लिए उन जगहों पर जाना पड़ता है, जहाँ नेटवर्क की पहुँच उपलब्ध हो. अतः आवश्यक यह भी है कि डिजिटल गेटवे की व्यवस्था को भी समानांतर तरीके से सुलभ और दृढ किया जाए. जब तक इंटरनेट की निर्बाध सेवा उपलब्ध नहीं होगी, डिजिटल गेटवे की सहज सुविधाएँ नहीं दी जाएँगी, डिजिटल भुगतान को कामयाबी के साथ लागू नहीं किया जा सकेगा.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा भारतीय शहरों को उनकी जनसंख्या के आधार पर अलग-अलग टियर में बाँटा गया है-

  1. टियर I – 1,00,000 या उससे अधिक
  2. टियर II – 50,000 से 99,999
  3. टियर III – 20,000 से 49,999
  4. टियर IV – 10,000 से 19,999
  5. टियर V – 5,000 से 9,999
  6. टियर VI – 5000 से कम
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