[Sansar Editorial] NIA संशोधन विधेयक 2019 : जाँच एजेंसी का सशक्तीकरण

RuchiraSansar Editorial 2019

लोकसभा ने सोमवार को ‘एनआईए संशोधन विधेयक 2019’ को स्वीकृति दे दी जिसमें राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigating Agency – NIA) को भारत से बाहर होने वाले किसी गंभीर अपराध के संबंध में मामले का पंजीकरण करने और जाँच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है. अभी इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाना शेष है.

एनआईए संशोधन विधेयक 2019 क्यों लाया गया?

  • प्रस्तावित विधेयक से एनआईए की जाँच के दायरे को विस्तारित किया जाएगा और वह विदेशों में भी भारतीय एवं भारतीय परिसंपत्तियों से जुड़े उन मामलों की जांच करने में समर्थ हो सकेगी जिनमें आतंकवाद का निशाना बनाया गया हो.
  • इस कानून का प्रयोग आतंकवाद को समाप्त करने के लिए किया जाएगा.
  • आज आतंकवाद बहुत बड़ी समस्या है. देश में ऐसे उदाहरण हैं जिनमें आम नागरिक, धार्मिक स्थल, यहाँ तक कि संसद भी आतंकवाद के शिकार हुई है. आतंकवाद आज अंतरराज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय समस्या है. ऐसे में हमें एनआईए को सशक्त बनाना जरुरी है.
  • आतंकवाद के विषय पर केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर कार्य करेगी. दोनों में तालमेल कायम रहेगा.
  • यह कानून देश की इस एजेंसी को आतंकवाद के विरुद्ध लड़ने की शक्ति प्रदान करेगा. यह समझना होगा कि श्रीलंका में हमला हुआ और वहाँ भारतीय लोग मारे गए, बांग्लादेश में भी कई भारतीयों की हत्या हुई. परन्तु दुर्भाग्यवश देश से बाहर जाँच करने का अधिकार एजेंसी को नहीं है. ऐसे में यह संशोधन एजेंसी को ऐसा अधिकार प्रदान करेगा.

राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (NIA)

  • राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी भारत में आतंकवाद का मुकाबला करने हेतु भारत सरकार द्वारा स्थापित एक संघीय जाँच एजेंसी है.
  • यह केन्द्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करती है. यह केन्द्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करती है और गृह मंत्रालय के अधीन आती है.
  • एजेंसी राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों में आतंक संबंधी अपराधों से निपटने के लिए सशक्त है.
  • एजेंसी 31 दिसम्बर 2008 को भारत की संसद द्वारा पारित अधिनियम राष्ट्रीय जाँच एजेंसी विधेयक 2008 के लागू होने के साथ अस्तित्व में आई थी.
  • राष्ट्रीय जाँच एजेंसी को 2008 के मुंबई हमले के बाद स्थापित किया गया, क्योंकि इस घटना के बाद आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक केंद्रीय एजेंसी की जरूरत महसूस की गई.
  • इसके संस्थापक महानिदेशक राधा विनोद राजू थे जिनका कार्यकाल 31 जनवरी 2010 को समाप्त हुआ.
  • आतंकी हमलों की घटनाओं, आतंकवाद को धन उपलब्ध कराने एवं अन्य आतंक संबंधित अपराधों का अन्वेषण के लिए NIA का गठन किया गया जबकि CBI आतंकवाद को छोड़ भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराधों एवं गंभीर तथा संगठित अपराधों का अन्वेषण करती है.

विधेयक की मुख्य विशेषताएँ / The National Investigation Agency (Amendment) Bill, 2019

  • विधेयक में अपराधों की एक अनुसूची दी गई है और कहा गया है कि इन अपराधों की जाँच एक राष्ट्र-स्तरीय एजेंसी करेगी. इन अपराधों में वैसे अपराध भी सम्मिलित हैं जो आणविक ऊर्जा अधिनियम, 1962 तथा गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967 में वर्णित हैं.
  • इसमें इन अनुसूचित अपराधों पर विचार करने के लिए विशेष न्यायालयों के सृजन का प्रावधान है.
  • विधेयक के अनुसार NIA के पास अब अग्रलिखित अतिरिक्त अपराधों के अन्वेषण की शक्ति होगी – i) मानव तस्करी ii) जाली नोट से सम्बंधित अपराध iii) निषिद्ध हथियारों का निर्माण और विक्रय iv) साइबर आतंकवाद तथा v) विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 से सम्बंधित अपराध.
  • अधिकारक्षेत्र :- NIA के अधिकारियों के पास भारत-भर में जाँच से सम्बंधित वही शक्तियां होती हैं जो किसी पुलिस अधिकारी की होती है. इसके अतिरिक्त, अब NIA के भारत के बाहर किये गये अनुसूचित अपराधों की भी जाँच कर सकेंगे. यद्यपि यह जाँच अंतर्राष्ट्रीय संधियों और सम्बंधित देश के घरेलू कानूनों के अधीन ही की जायेगी. इसके लिए केंद्र सरकार NIA को निर्देश देकर जाँच करने कह सकती है मानो अपराध भारत में घटित हुआ है.
  • ऐसे मामले नई दिल्ली स्थित विशेष न्यायालय के अधिकार-क्षेत्र में आएँगे.
  • विधेयक के अनुसार केंद्र सरकार अनुसूचित अपराधों पर विचार करने के लिए सेशन न्यायालयों को विशेष न्यायालय नामित कर सकती है. इसके लिए उसे पहले सम्बंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श लेना होगा.
  • यदि एक ही क्षेत्र में एक से अधिक विशेष न्यायालय गठित होते हैं तो वरिष्ठतम न्यायाधीश के द्वारा मामलों को न्यायालयों के बीच बाँट दिया जाएगा.
  • राज्य सरकारें भी सेशन न्यायालय को अनुसूचित अपराधों पर विचार करने के लिए विशेष न्यायालय घोषित कर सकती हैं.
  • राष्ट्रीय अन्वेषण संशोधन विधेयक, 2019 उपबंध करता है कि अधिनियम की धारा 1 की उपधारा 2 में नया खंड ऐसे व्यक्तियों पर अधिनियम के उपबंध लागू करने के लिये है जो भारत के बाहर भारतीय नागरिकों के विरूद्ध या भारत के हितों को प्रभावित करने वाला कोई अनुसूचित अपराध करते हैं.
  • अधिनियम की धारा 3 की उपधारा 2 का संशोधन करके एनआईए के अधिकारियों की वैसी शक्तियाँ, कर्तव्य, विशेषाधिकार और दायित्व प्रदान करने की बात कही गई है जो अपराधों के अन्वेषण के संबंध में पुलिस अधिकारियों द्वारा न केवल भारत में बल्कि भारत के बाहर भी प्रयोग की जाती रही है.

आगे की राह

जहाँ तक एनआईए अदालतों में जजों की नियुक्ति का सवाल है, आज की तिथि में यह एक बहुत ही जटिल और लम्बी प्रक्रिया है. कई बार जज का स्थानान्तरण हो जाता है, प्रोन्नति हो जाती है तब अधिसूचना जारी करनी पड़ती है और इस क्रम में दो तीन माह बर्बाद हो जाते हैं. इसलिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को अधिनियम के अधीन अपराधों के विचारण के मकसद से एक या अधिक सत्र अदालत, या विशेष अदालत स्थापित करना चाहिए.

भारत के अंदर एनआईए पर ऐसे आरोप लग रहे हैं कि हिन्दू आतंकी संदिग्धों की भूमिका के जांच के मामले में वही पिछले कुछ वर्षों में कमजोर पड़ गई है. इस तरह के आरोपों को तब बल मिलता है जब विशेष अदालतें जांच की खामियों को सामने रखती हैं. आतंकवाद से निपटने में इसकी केंद्रीय भूमिका होने की वजह से यह जरूरी है कि इसे एक पेशेवर एजेंसी के तौर पर लोग देखें.

अपने विजन और मिशन लक्ष्यों में एनआईए ने एक लक्ष्य यह भी रखा है- “निस्वार्थ और निडर सेवा से भारत के नागरिकों का विश्वास जीतना.” इसके इस लक्ष्य में स्पष्ट बताया गया है कि एक जांच एजेंसी के रूप में एनआईए की विश्वसनीयता पुनः पूर्ववत् होनी चाहिए और सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए यथोचित कार्य करना चाहिए.

Tags : Key features of the Bill, about NIA (The National Investigation Agency (Amendment) Bill, 2019 and the need for enhanced powers.

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About the Author

Ruchira

रुचिरा जी हिंदी साहित्यविद् हैं और sansarlochan.IN की सह-सम्पादक हैं. कुछ वर्षों तक ये दिल्ली यूनिवर्सिटी से भी जुड़ी रही हैं. फिलहाल ये SINEWS नामक चैरिटी संगठन में कार्यरत हैं. ये आपको केंद्र और राज्य सरकारी योजनाओं के विषय में जानकारी देंगी.

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