धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश

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सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India – CJI) होंगे। भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित ने 11 अक्टूबर, 2022 को आयोजित सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की बैठक के दौरान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को अपने उत्तराधिकारी के रूप में नामित किया। न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ 9 नवंबर 2022 से 10 नवंबर 2024 को अपनी सेवानिवृत्ति तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रहेंगे।

ज्ञातव्य है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इससे पहले निवर्तमान (11 अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करता है। व्यावहारिक रूप से इसके लिये वरिष्ठता के आधार का पालन किया जाता है।

न्यायथीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम व्यवस्था के बारे में

कॉलेजियम व्यवस्था सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति तथा स्थानांतरण संबंधी निर्णय लेने के लिए 90 के दशक में लाई गई थी।

इससे पूर्व केंद्र सरकार अपने विवेक से वरिष्ठता के आधार पर न्यायाधीशों की नियुक्तियाँ करती थीं। कॉलेजियम व्यवस्था के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीशों की समिति न्यायिक नियुक्तियों, तबादलों के संबंध में निर्णय करती है। संविधान या किसी अन्य कानून में कॉलेजियम व्यवस्था का प्रावधान नहीं किया गया है।

प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एवं चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों से मिलकर बना कॉलेजियम (तृतीय न्यायाधीश मामले, 1998 के अनुसार), न्यायाधीशों/वकीलों के नामों के संबंध में अपनी सिफारिशें कानून मंत्रालय को भेजता है। कानून मंत्रालय इन नामों तथा अन्य तथ्यों की जांच करता है, इसके बाद या तो मंत्रालय अपने सुझावों के साथ फाइल को कॉलेजियम को वापस भेजता है या सिफारिशों को स्वीकृति देता है। यदि कॉलेजियम अपनी सिफारिशें सरकार को ‘दोबारा’ भेजता है तो सरकार को अपनी स्वीकृति देनी ही होती है।

ज्ञातव्य है कि इस प्रक्रिया की कोई निर्धारित समयावधि नहीं है। यही कारण है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी होना आम बात है। इसके अलावा इस व्यवस्था में कई अन्य खामियाँ हैं, जैसे- स्पष्टता एवं पारदर्शिता की कमी, भाई-भतीजावाद के चलते प्रतिभाशाली कनिष्ठ न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं की अनदेखी। इसमें सुधार हेतु केंद्र सरकार द्वारा कॉलेजियम व्यवस्था को ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ (99वें संशोधन अधिनियम, 2014 के माध्यम से) से प्रतिस्थापित करने का प्रयास किया गया था, लेकिन वर्ष 2015 में न्यायालय ने इसे इस आधार पर खारिज कर दिया कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिये खतरा है।

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धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ कौन हैं?

  • 11 नवंबर 1959 को जन्मे न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के पिता वाई वी चंद्रचूड़ भारत के 16वें एवं सबसे लम्बे समय तक पद पर रहने वाले (1978 से 1985 तक) मुख्य न्यायाधीश थे।
  • डी वाई चंद्रचूड़ ने वर्ष 1982 में दिल्‍ली विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने वर्ष 1999 में सेंट स्टीफन कॉलेज नई दिल्ली से अर्थशास्र और गणित विषय के साथ स्नातक (ऑनर्स) की उपाधि प्राप्त की।
  • वर्ष 1983 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से एलएलएम तथा वर्ष 1986 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से ही जुडीशियल साइंस में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
  • डी वाई चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को भारत के सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त हुए। इससे पहले चंद्रचूड़ बॉम्बे उच्च न्यायालय में न्यायाधीश एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। न्यायाधीश रहते हुए डी वाई चंद्रचूड़ सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश, इच्छामृत्यु, समलैंगिकता को अपराध से मुक्त करने, गर्भपात के अधिकार, निजता के अधिकार जैसे ऐतिहासिक निर्णय देने में शामिल रहे हैं।

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