भारत सरकार अगले साल से देश में बेचे जाने वाले नए स्मार्टफ़ोनों को अपने NavIC (नाविक) नेविगेशन सिस्टम से जोड़ना चाहती है और इसके लिए स्मार्टफोन निर्माताओं पर दबाव बना रही है.
वर्तमान में, NavIC का उपयोग सीमित है। इसका उपयोग भारत में सार्वजनिक वाहन ट्रैकिंग के लिए, गहरे समुद्र में जाने वाले मछुआरों को आपातकालीन चेतावनी अलर्ट प्रदान करने के लिए, जहाँ कोई स्थलीय नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं है, और प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित जानकारी को ट्रैक करने के लिए उपयोग किया जा रहा है। स्मार्टफोन में इसे सक्षम करना अगला कदम है जिस पर भारत जोर दे रहा है।
इस आर्टिकल में NavIC की स्थापना का विवरण दिया गया है और यह समझाने की कोशिश की गई है कि भारत क्यों चाहता है कि स्मार्टफोन निर्माता NaVIC प्रणाली को अपनाएँ और यह भी जानेंगे की कैसे यह स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली अन्य वैश्विक या क्षेत्रीय नेविगेशन सिस्टम (Global Positioning System – GPS) की तुलना (different) में अलग है।
NavIC क्या है?
- इसका पूरा नाम Navigation with Indian Constellation है.
- इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित किया गया है.
- यह एक स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली है जो भारत की मुख्य भूमि के चारों ओर 1,500 किमी. तक के क्षेत्र के विषय में स्थिति से सम्बंधित सूचना देने के लिए तैयार की गई है.
- NAVIC दो प्रकार की सेवाएँ देता है – मानक स्थिति सेवाएँ (Standard Positioning Services) जो सभी उपयोगकर्ताओं को उपलब्ध होंगी. सीमित सेवाएँ (Restricted Services) जो केवल प्राधिकृत उपयोगकर्ताओं को मिलेंगी.
- NavIC को मूल रूप से 2006 में 174 मिलियन डॉलर की लागत के साथ स्वीकृति दी गई थी। 2011 के अंत तक इसके पूरे होने की उम्मीद थी, लेकिन 2018 में पूर्ण रूप से चालू हो सका।
NAVIC का प्रयोग किन-किन कार्यों के लिए हो सकता है?
- धरती, वायु और समुद्र में नेविगेशन
- आपदा प्रबंधन
- वाहनों और पानी के जहाज़ों का पता लगाना
- मोबाइल फोन पर स्थिति की सूचना देना
- सटीक समय बताना
- मानचित्र बनाने और भूमि संरक्षण के लिए आँकड़े इकठ्ठा करना.
- हाइकर और पर्यटकों को धरती से सम्बंधित नेविगेशन में सहायता पहुँचाना.
- चालकों को दृश्य एवं श्रव्य नेविगेशन की सुविधा देना.
नाविक में कितने उपग्रह लगे हैं?
NAVIC एक क्षेत्रीय प्रणाली है और इसलिए इसके लिए आठ उपग्रह काम करेंगे और ये भारत के पूरे भूभाग और इसकी सीमाओं से 1,500 किमी (930 मील) तक की दूरी को कवर करते हैं। इन उपग्रहों में से तीन हिन्द महासागर के ऊपर भूस्थैतिक दशा में रहेंगे और चार ऐसे होंगे जो भूसमकालिक होंगे अर्थात् प्रत्येक दिन आकाश में एक ही समय और एक ही बिंदु पर दिखेंगे. धरती पर इस प्रणाली के लिए 14 स्टेशन कार्य करेंगे.
NavIC और GPS में अंतर
मुख्य अंतर इन प्रणालियों द्वारा कवर किया जाने वाला सेवा योग्य क्षेत्र है। जीपीएस दुनिया भर प्रयोग किया जाता है और इसके उपग्रह दिन में दो बार पृथ्वी का चक्कर लगाते हैं, जबकि NavIC वर्तमान में भारत और आस-पास के क्षेत्रों में उपयोग के लिए बनाया गया है।
जीपीएस की तरह, तीन और नेविगेशन सिस्टम हैं जिनमें वैश्विक कवरेज है – यूरोपीय संघ से गैलीलियो, रूस के स्वामित्व वाली ग्लोनास और चीन की बीडौ। जापान द्वारा संचालित QZSS, जापान में सेवा देने के साथ-साथ यह एशिया-ओशिनिया क्षेत्र को कवर करने वाला एक अन्य क्षेत्रीय नेविगेशन सिस्टम है।
भारत की 2021 उपग्रह नेविगेशन मसौदा नीति में कहा गया है कि सरकार दुनिया के किसी भी हिस्से में एनएवीआईसी सिग्नल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए “क्षेत्रीय से वैश्विक तक कवरेज का विस्तार” करने की दिशा में काम करेगी।
स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली आवश्यक क्यों?
स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली होने से देश की सुरक्षा के विषय में सटीक जानकारी मिलती है. इसके प्रयोग से राहत का कार्य भी अच्छे ढंग से किया जा सकता है.
विदेशी उपग्रह प्रणालियों पर निर्भरता को दूर करने के उद्देश्य से NavIC की कल्पना की गई है।
जीपीएस और ग्लोनास जैसी प्रणालियों पर भरोसा करना हमेशा विश्वसनीय नहीं हो सकता है क्योंकि वे संबंधित देशों की रक्षा एजेंसियों द्वारा संचालित होते हैं और यह संभव है कि नागरिक सेवाओं को नीचा या अस्वीकार किया जा सकता है।
नाविक एक स्वदेशी पोजिशनिंग सिस्टम है जो भारतीय नियंत्रण में है। किसी भी स्थिति में सेवा को वापस लेने या अस्वीकार करने का कोई जोखिम नहीं है.