[Sansar Editorial] मणिपुर जन सुरक्षा विधेयक, 2018 – Manipur People’s Protection Bill, 2018

RuchiraBills and Laws: Salient Features, Sansar Editorial 2018

हाल ही में मणिपुर विधान सभा द्वारा ब्रिटिश-युग की विनियामक व्यवस्था की तर्ज पर “बाहरी लोगों” ले प्रवेश और निकास को विनियमित करने के लिए एक नवीन विधेयक पारित किया गया. इस विधेयक का नाम है > मणिपुर जन सुरक्षा विधेयक, 2018 (Manipur People’s Protection Bill, 2018).

भूमिका

विदित हो कि अंग्रेजों के जमाने में पूर्वोत्तर के राज्यों – अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड – में लोगों के आवागमन को नियंत्रित करने के लिए एक अनुमति प्रणाली बनाई थी. यह विधेयक उसी प्रणाली का अनुसरण करते हुए मणिपुर में बाहरी लोगों के आने-जाने को नियंत्रित करने हेतु बनाया गया है. विधेयक के अनुसार मणिपुरी लोगों में मैतियों (Metis), पंगल मुस्लिमों (Pangal muslims), संविधान में वर्णित अनुसूचित जातियों के साथ-साथ उन सभी भारतीय नागरिकों को सम्मिलित किया गया है जो मणिपुर में 1951 के पहले से रह रहे हैं.

मणिपुर जन सुरक्षा विधेयक, 2018

  1. यह विधेयक बाहरी लोगों के अंतर्वाह से “राज्य के मूल निवासियों की पहचान के संरक्षण” का प्रयास करता है.
  2. यह “मणिपुरी” और “गैर-मणिपुरी” को परिभाषित करता है तथा मणिपुर व्यक्ति के हितों और पहचान का संरक्षण करने के लिए गैर-मणिपुरी व्यक्ति के प्रवेश और निकास को विनियमित करने की कोशिश करता है.
  3. विधेयक के अनुसार मणिपुर के जो मूल निवासियों में मितई, पंगल मुस्लिम, संविधान के अंतर्गत सूचीबद्ध मणिपुरी अनूसूचित जनजातियाँ और वे भारत के नागरिक शामिल हैं जो 1951 के पहले से ही मणिपुर में रह रहे हैं.
  4. जो व्यक्ति मणिपुरी की परिभाषा के अन्दर नहीं आते हैं उनको गैर-मणिपुरी मान लिया गया है. इन गैर-मणिपुरियों को प्राधिकारियों के सामने खुद को पंजीकृत कराने के लिए केवल एक माह का समय दिया गया है.
  5. इन बाहरी लोगों को सरकार एक पास देगी जो अधिकतम छ: महीनों के लिए होगा. जिन लोगों को व्यापार लाइसेंस दिया जायेगा वे प्रत्येक वर्ष अपना पास नया करवाएंगे. इस पास को अधिकतम पाँच साल तक बढ़ाया जा सकता है.
  6. मणिपुर यात्रा करने वाले किसी भी बाहरी आदमी को एक पास लेना जरुरी होगा.
  7. यह विधेयक तभी प्रभाव में आएगा अर्थात् यह विधेयक तभी अधिनियम बनेगा जब राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलेगी.

Manipur People’s Protection Bill, 2018 – सम्बंधित मुद्दे

  • विधेयक स्थानीय लोगों की पहचान तथा बाहरी लोगों के अंतर्वाह को रोकने के लिए 1951 ई. को आधार वर्ष वर्ष बनाता है. यदि राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद विधेयक एक अधिनियम का रूप ले लेता है तो 1951 के बाद मणिपुर में रहने वाले लोगों को विदेशी मान लिया जाएगा तथा ये बाहरी लोग न तो राज्य में मतदान कर सकेंगे और न ही उन्हें  राज्य में कोई भूमि खरीद-बिक्री सम्बन्धी अधिकार प्राप्त होगा.
  • 1951 को आधार वर्ष बनाना स्वयं में एक विवाद का मुद्दा है क्योंकि मणिपुर में रहने वाले कई जनजातीय समुदाय ऐसे हैं जिनके गाँवों के आँकड़े न तो राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर, 1951 में उपलब्ध हैं और न ही 1951 के विलेज डायरेक्टरी में.  यदि गाँवों के आँकड़े रजिस्टर में उपलब्ध हैं भी तो वे अधूरे हैं. परिणामस्वरूप अनेक जनजातीय समूहों को गैर-मणिपुरी स्वीकार किया जा सकता है, जो अनुचित है.
  • दरअसल मणिपुर 21 जनवरी, 1972 को राज्य बना था इसलिए अनेक लोग इसी वर्ष (यानी 1972) को आधार वर्ष के रूप में स्वीकार करने के पक्षधर हैं.
  • कुछ जनजातीय प्रदर्शनकारियों की राय है कि इनर लाइन परमिट (ILP) केवल मितई लोगों के हितों की रक्षा करेगा और उन्हें पहाड़ियों एवं जनजातीय भूमि में अनधिकार प्रवेश करने में सक्षम बनाएगा.

Inner Line Permit

  • ज्ञातव्य है कि 2015 में यह विधेयक पारित हो चुका था पर इसपर राष्ट्रपति की स्वीकृति नहीं मिली थी.
  • इस सन्दर्भ ध्यान देने योग्य बात है कि मणिपुर एक छोटी आबादी वाला राज्य है.
  • परन्तु यहाँ बहुत सारे पर्यटक आते हैं तथा साथ ही बांग्लादेश, नेपाल और बर्मा के निवासी भी यहाँ आकर रहने लगे हैं.
  • इससे जनसंख्या का स्वरूप असंतुलित हो गया है.
  • इस कारण यहाँ के मूल निवासी घबरा गए हैं. उन्हें डर है कि उनकी नौकरियों और आजीविकाओं को राज्य के बाहर के लोग छीन रहे हैं.
  • यह सब देखते हुए मणिपुर सरकार ने 2015 में एक विधेयक पारित किया था.
  • Inner Line Permit भारत सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जो भारत के किसी नागरिक को किसी संरक्षित क्षेत्र के भीतर सीमित अवधि के लिए प्रवेश की छूट देटा है.
  • ज्ञातव्य है कि मणिपुर भी एक संरक्षित क्षेत्र है.
  • फिलहाल Inner Line Permit की आवश्यकता भारतीय नागरिकों को तब होती है जब वह इन तीन राज्यों प्रवेश करना चाहते हैं – अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड.
  • इस विधेयक के पास हो जाने पर मणिपुर में भी यह परमिट लागू हो गया है.
  • वर्तमान में यह परमिट मात्र यात्रा के लिए निर्गत होते हैं.
  • इसमें यह प्रावधान है कि ऐसे यात्री सम्बंधित राज्य में भूसंपदा नहीं खरीद सकेंगे.

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