कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क

Sansar LochanBiodiversityLeave a Comment

हाल ही में मॉन्ट्रियल, कनाडा में आयोजित जैवविविधता पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के पक्षकारं के 15वें सम्मेलन (CoP15) में “कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क” (Global Biodiversity FrameworkGBF) को अपनाया गया है। फ्रेमवर्क में 23 लक्ष्य शामिल हैं, जो वर्ष 2010 में घोषित आईची जैव विविधता लक्ष्यों का स्थान लेंगे। इन नये लक्ष्यों को वर्ष 2030 तक के लिए निर्धारित किया गया है।

कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क के प्रमुख लक्ष्य

  • जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के कार्यों और सेवाओं के लिए विशेष महत्त के क्षेत्रों पर बल देने के साथ विश्व के कम से कम 30% स्थलीय, अंतर्देशीय जल, तटीय क्षेत्रों और महासागरों का संरक्षण और प्रबंधन करना।
  • वर्ष 2030 तक विश्व स्तर पर (थल और जल स्तर पर) 30% निम्नीकृत हुए पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्स्थापित करना
  • देशज समुदायों के लोगों के अधिकारों का सम्मान करते हुए जैव विविधता के महत्व वाले क्षेत्रों के नुकसान को शून्य के निकट लाना।
  • वर्ष 2030 तक आक्रामक विदेशी प्रजातियों के आगमन की दर को 50% तक कम करना
  • वर्ष 2025 तक जैवविविधता को कम करने वाले आर्थिक प्रोत्साहनों की पहचान करना तथा उन्हें समाप्त करना साथ ही वर्ष 2030 तक इन प्रोत्साहनों में प्रतिवर्ष 500 बिलियन डॉलर की कमी करना
  • प्रकृति आधारित समाधानों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन एवं समुद्र अम्लीकरण के प्रभाव को कम करना
  • वित्तीय संसाधन स्रोतों को बढ़ाना तथा वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष 200 बिलियन डॉलर की राशि जुटाना।
  • आनुवांशिक संसाधनों के लाभों के समान बैंटवारे को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी क़ानूनी, प्रशासनिक क्षमता निर्माण करना।
  • प्रदूषण के जोखिमों को उस स्तर तक कम करना जो जैब विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए हानिकारक न हो।
  • महिलाओं के प्रकृति संबंधी अधिकारों और प्राकृतिक संसाधनों तक उन्हें पहुँच को मान्यता देकर, लैंगिक रूप से उत्तरदायी दृष्टिकोण अपनाना।

फ्रेमवर्क के वर्ष 2050 विजन से संबंधित चार दीर्घकालिक लक्ष्य

  1. 2050 तक प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र के क्षेत्र में वृद्धि करते हुए, सभी पारिस्थितिक तंत्रों की अखंडता, कनेक्टिविटी और लचीलेपन को बनाए रखना या बढ़ाना। प्रजातियों की विलुप्त होने की दर और जोखिम को दस गुना तक कम करना।
  2. 2050 तक, वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लाभ के लिए जैव विविधता का निरंतर उपयोग और प्रबंधन करना।
  3. आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से मौद्रिक और गैर-मौद्रिक लाभ और आनुवंशिक संसाधनों पर डिजिटल अनुक्रम की जानकारी तथा आनुवंशिक संसाधनों से जुड़े पारंपरिक ज्ञान का संरक्षण एवं इससे प्राप्त लाभ को स्वदेशी लोगों और स्थानीय समुदायों के साथ उचित और समान रूप से साझाकरण को 2050 तक लगातार बढ़ाना।
  4. GBF को लागू करने के लिए वित्तीय संसाधनों, क्षमता-निर्माण, तकनीकी और वैज्ञानिक सहयोग, और प्रौद्योगिकी तक पहुंच और हस्तांतरण सहित कार्यान्वयन के पर्याप्त साधन सुरक्षित करना, जो सभी पक्षों, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए भी समान रूप से सुलभ हों।

CBD क्या है?

  • जैव-विविधता संधि (CBD) एक बहुपक्षीय संधि है और यह विश्व में कानूनी रूप से बाध्यकारी है.
  • यह समझौता Rio Conference, 1992 में हस्ताक्षरित हुआऔर इसे 29 दिसम्बर, 1993 को लागू कर दिया गया.
  • इसके तीन प्रमुख लक्ष्य हैं – i) जैव विविधता का संरक्षण ii) जैव विविधता का अक्षय उपयोग iii) आनुवांशिक संसाधन के उपयोग से उत्पन्न लाभों की उचित एवं समान साझेदारी.
  • प्रशासी निकाय– इसके प्रशासी निकाय में उन सभी देशों के प्रतिनिधि होते हैं जिन्होंने इस संधि पर हस्ताक्षर किये होते हैं.
  • ये सभी हर दूसरे वर्ष एक जगह बैठक कर के संधि की प्रगति की समीक्षा करते हैं तथा भविष्य की योजनाएँ तैयार करते हैं.
  • आज की तिथि तक 168 देश इस संधि पर दस्तखत कर चुके हैं.

Here are the notes of – Biodiversity Notes in Hindi

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