केन्या और सोमालिया के बीच समुद्री विवाद

Sansar LochanWorld

केन्या और सोमालिया के बीच समुद्री विवाद पर चल रही जन सुनवाई को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने एक बार फिर स्थगित कर दिया है.

kenya somalia maritime dispute map

विवाद का विषय क्या है?

  • हिंद महासागर में समुद्री सीमा के परिसीमन को लेकर सोमालिया और केन्या के बीच विवाद है.
  • यह विवादित क्षेत्र लगभग 1,00,000 वर्ग किमी तक फैला है और इसमें तेल और गैस के विशाल भंडार हैं.
  • सोमालिया का तर्क है कि समुद्री सीमा उसी दिशा में निर्धारित होनी चाहिए जिस दिशा में इन देशों की भू-सीमाएँ चलती हैं अर्थात् दक्षिण-पूर्व भाग.
  • दूसरी ओर, केन्या इस बात पर जोर देता है कि सीमा को तटरेखा पर लगभग 45-डिग्री कोण पर मुड़ जाना चाहिए और इसके बाद अक्षांशीय रेखा पर चलना चाहिए, जिससे कि केन्या को समुद्र का एक बड़ा हिस्सा मिल सके.

केन्या-सोमालिया समुद्री विवाद के समाधान के प्रयास

2009 में एक समझौता हुआ था जिसके अंतर्गत सोमालिया और केन्या ने एक-दूसरे को 200 समुद्री मील के आगे के कॉन्टिनेंटल शेल्फ की बाहरी सीमाओं के संबंध में संयुक्त राष्ट्र कॉन्टिनेंटल शेल्फ सीमा आयोग (UN Commission on the Limits of the Continental Shelf CLCS) को अलग-अलग आवेदन देने पर अनापत्ति व्यक्त की थी.

दोनों पक्षों ने यह भी वचन दिया था कि CLCS के सुझावों के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार वे विवाद का समाधान करेंगे. किन्तु 2014 में सोमालिया मामले को लेकर के हेग के अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में पहुँच गया और वहाँ इसकी सुनवाई होने लगी. अक्टूबर, 2019 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने सुनवाई को 8 जून, 2020 तक के लिए स्थगित कर दिया है.

अंतर्राष्ट्रीय निहितार्थ

सोमालिया और केन्या के इस विवाद पर कई देशों की नज़र है. इसका कारण यह है कि विवादित क्षेत्र में खनिज तेल और गैस की प्रचुरता है. यूनाइटेड किंगडम और नॉर्वे सोमालिया के पक्ष में हैं तो अमेरिका और फ्रांस केन्या की पीठ ठोक रहे हैं. इन सब को आशा है कि तेल और गैस के ठेके उनको मिल जायेंगे.

संयुक्त राष्ट्र कॉन्टिनेंटल शेल्फ सीमा आयोग (CLCS)

  • कॉन्टिनेंटल शेल्फ से 200 समुद्री मील से आगे की बाहरी समुद्री सीमा के निर्धारण के लिए तथा समुद्री विधि से सम्बंधित संयुक्त राष्ट्र संधि के लिए संयुक्त राष्ट्र कॉन्टिनेंटल शेल्फ सीमा आयोग (CLCS) का गठन हुआ है.
  • संयुक्त राष्ट्र की यह संधि स्पष्ट प्रावधान करती है कि इस आयोग की अनुशंसा के आधार पर ही तटीय देशों की बाहरी समुद्री सीमा निर्धारित की जायेगी.
  • इस आयोग में 21 सदस्य होते हैं. ये सदस्य भू-विज्ञान, भू-भौतिकी अथवा हाइड्रोग्राफी के विशेषज्ञ होते हैं और इनका चयन संधि पर हस्ताक्षर करने वाले पक्षकार देश अपने नागरिकों में से करते हैं. चयन में इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि विश्व के सभी भूभागों का इस आयोग में समुचित प्रतिनिधित्व हो.
Spread the love
Read them too :
[related_posts_by_tax]