अंतरराज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक, 2019

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पिछले दिनों लोक सभा में अंतरराज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक, 2019 / Inter-state River Water Disputes (Amendment) Bill पारित हो गया. इस विधेयक के द्वारा अंतरराज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 को इस ध्येय से संशोधित किया जा रहा है कि राज्यों के बीच नदी जल को लेकर होने वाले विवादों से सम्बन्धित मुकदमों को एकरूप बनाया जाए और इस विषय में उपलब्ध वर्तमान संस्थागत ढाँचे को सुदृढ़ किया जाए.

अंतरराज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक, 2019 के मुख्य प्रावधान

  • विधेयक के अनुसार केंद्र सरकार अंतरराज्यीय नदी जल विवादों को प्रेमपूर्वक निष्पादित करने के लिए एक विवाद समाधान समिति (Disputes Resolution Committee – DRC) का गठन करेगी.
  • DRC केंद्र सरकार को एक वर्ष के अन्दर अपना प्रतिवेदन समर्पित करेगी. यह अवधि छह महीने तक बधाई जा सकती है.
  • केंद्र सरकार DRC के लिए संगत क्षेत्रों से सदस्यों का चुनाव करेगी.
  • विधेयक में एक अंतरराज्यीय नदी जल विवाद पंचाट (Inter-State River Water Disputes Tribunal) के गठन का प्रस्ताव है जो उन जल विवादों पर निर्णय सुनाएगा जिनका समाधान DRC से नहीं हो सका है. इस पंचाट के एक से अधिक बेंच हो सकते हैं. वर्तमान में जो पंचाट हैं उन सभी को भंग कर दिया जाएगा और उनके पास जल विवाद के जो लंबित मामले हैं, उन सभी को नव-गठित पंचाट को सौंप दिया जाएगा.
  • इस पंचाट में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और अधिकतम छह सदस्य होंगे. ये सदस्य भारत के मुख्य न्यायाधीश के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों में से नामित किये जाएँगे.

मूल अधनियम में क्या कमी थी?

  • अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनियम, 1956 में नदी जल विवादों में न्याय-निर्णय देने के लिए कोई नियत समय-सीमा नहीं दी गई थी. न्याय-निर्णय के लिए नियत समय-सीमा नहीं होने के कारण पंचाट के द्वारा वादों के निष्पादन की गति अत्यंत धीमी रह गई.
  • मूल अधिनियम में अध्यक्ष और सदस्यों के लिए अधिकतम आयु सीमा भी नहीं निर्धारित की गई थी.
  • पंचाट में कोई रिक्ति हो जाने पर काम रुक जाया करता था.
  • मूल अधिनियम में पंचाट द्वारा छापे जाने वाले प्रतिवेदन के लिए भी कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई थी.
  • नदी बोर्ड अधिनियम, 1956 अब से पारित हुआ तब से प्रभावीन ही रह गया जबकि इसका काम जल संसाधन विकास में अंतर्राज्यीय सहयोग को सुगम बनाना था.
  • धरातल पर उपलब्ध जल का नियंत्रण केन्द्रीय जल आयोग (CWC) के पास है जबकि भूजल का नियंत्रण भारतीय केन्द्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) करता है. ये दोनों निकाय स्वतंत्र रूप से काम करते हैं और जल प्रबंधन को लेकर राज्य सरकारों के साथ विचार विमर्श के लिए कोई सामान्य मंच नहीं है.

अंतरराज्यीय नदी जल विवादों से सम्बंधित संवैधानिक प्रावधान

  1. राज्य सूची में क्रमांक 17 (Entry 17) पर जल का वर्णन है अर्थात् जल राज्य सूची में आता है. यहाँ “जल” का तात्पर्य है – जल आपूर्ति, सिंचाई, नहर, जल निकासी, बाँध, जल भंडारण एवं पनबिजली.
  2. संविधान की केन्द्रीय सूची के क्रमांक 56 (Entry 56) पर केंद्र सरकार को यह शक्ति दी गई है कि वह लोकहित में संसद द्वारा घोषित सीमा तक अंतरराज्यीय नदियों और नदी घाटियों का अधिनियमन और विकास के लिए कार्य करेगी.
  3. धारा 262 : संविधान की इस धारा के अंतर्गत किसी अंतरराज्यीय नदी अथवा नदी घाटी के जल के उपयोग, वितरण अथवा नियंत्रण के विषय में उसे विवाद अथवा शिकायत के लिए न्यायनिर्णय हेतु संसद कानून बनाकर प्रावधान करेगी. (उपवाक्य 1 – Clause 1)
  4. साथ ही संसद कानून बनाकर यह प्रावधान कर सकती है कि ऐसे विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय अथवा कोई अन्य न्यायालय का क्षेत्राधिकार नहीं होगा. (उपवाक्य 2 – Clause 2)

आगे की राह

अंतरराज्यीय नदी जल विवादों के न्याय-निर्णय हेतु एक अकेला और स्थायी पंचाट स्थापित करने का केंद्र द्वारा दिया गया प्रस्ताव नदी जल विवादों के निपटारे की प्रणाली में एकरूपता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. परन्तु इस एकमात्र कदम से पूर्ण समाधान नहीं होगा क्योंकि समस्याएँ कई प्रकार की हैं, जैसे – विधिगत, प्रशासनिक, संवैधानिक और राजनीतिक. सहकारी संघवाद के ढाँचे को सशक्त बनाने के लिए यह आवश्यक है कि विवाद संवाद के माध्यम से सुलझाए जाएँ और इसमें राजनीतिक अवसरवादिता से बचा जाए. सहयोग की भावना से कार्य करने वाले एक सशक्त एवं पारदर्शी सांस्थिक ढाँचा होना आज समय की आवश्यकता है.

Tags : Inter State River Water Disputes Act, 1956, Inter-State River Water disputes (Amendment) Bill, 2019 in Hindi. Key features, need for and significance of the bill. PIB, UPSC, The Hindu.

About the Author

Ruchira

रुचिरा जी हिंदी साहित्यविद् हैं और sansarlochan.IN की सह-सम्पादक हैं. कुछ वर्षों तक ये दिल्ली यूनिवर्सिटी से भी जुड़ी रही हैं. फिलहाल ये SINEWS नामक चैरिटी संगठन में कार्यरत हैं. ये आपको केंद्र और राज्य सरकारी योजनाओं के विषय में जानकारी देंगी.

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