भारत की प्रथम लिथियम आयन (Li-Ion) बैटरी परियोजना

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हाल ही में, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसन्धान परिषद् Council of Scientific & Industrial Research (CSIR) के तत्त्ववधान में केन्द्रीय विद्युत् रसायन अनुसन्धान संस्थान (CECRI) और RAASI सोलर पॉवर प्राइवेट लिमिटेड ने भारत की प्रथम लिथियम आयन (Li-ion) बैटरी परियोजना हेतु प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए ज्ञापन समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.

वर्तमान में, भारतीय विनिर्मिताओं द्वारा चीन, जापान और दक्षिण कोरिया तथा कुछ अन्य देशों से लिथियम आयन बैटरी का आयात किया जाता है. भारत लिथियम-आयन बैटरियों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है और 2017 में इसके द्वारा लगभग 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की Li-Ion बैटरियों का आयात किया गया था.

lithium-ion batteries

लिथियम आयन बैटरी के बारे में

  • ये रिचार्ज करने योग्य बैटरियाँ हैं, जिनका ऊर्जा घनत्व उच्च होता है और इनका उपयोग सामान्यतः उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में किया जाता है.
  • इनमें इलेक्ट्रोड के रूप में धात्विक लिथियम के स्थान पर इंटरकैलेटेड (क्रिस्टल जालक की विभिन्न परतों के मध्य व्यवस्थित) लिथियम यौगिक का उपयोग किया जाता है और बैटरी के प्रति किलोग्राम में 150 वाट-घंटे विद्युत् भंडारण करने की क्षमता होती है.
  • लेड एसिड बैटरी को उसके सम्पूर्ण जीवन काल में केवल 400-500 बार चार्ज किया जा सकता है जबकि लिथियम-आयन बैटरी को उसके सम्पूर्ण जीवनकाल में 5000 या उससे अधिक बार चार्ज किया जा सकता है.
ग्राफीन आधारित सुपरकैपेसिटर के बारे में
  • यह अपशिष्ट/परित्यक्त लिथियम आयन बैटरी द्वारा उत्पादित किया जा रहा है.
  • लिथियम आयन बैटरी से प्राप्त ग्रफीन ऑक्साइड ने कम विद्युत् धारा पर उच्च विशिष्ट धारिता प्रदर्शित की और यह एक नवीन ऊर्जा भंडारण प्रणाली है जो उच्च ऊर्जा एवं विद्युत् घनत्व को संयोजित करती है.
  • इस प्रक्रिया में ऑक्सीकरण द्वारा ग्रेफाइट का ग्राफीन ऑक्साइड में रूपांतरण और बाद में अपशल्कन होता है, जिससे यह अपचयित ग्रफीन ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है.
  • विंड टरबाइन पिच कंट्रोल, रेल, ऑटोमोबाइल, भारी उद्योग, दूरसंचार प्रणाली और मेमोरी बैकअप में सुपरकैपेसिटर का अत्यधिक उपयोग किया जा रहा है.

लिथियम आयन बैटरी का महत्त्व

  • ऊर्जा भंडारण प्र्लाली में अनुप्रयोग – इसमें श्रवण सहायक उपकरणों से लेकर कंटेनर आकार की बैटरी द्वारा गाँवों के संकुलों तक विद्युत् वितरण, इलेक्ट्रिक वाहन (2 व्हीलर, 3 व्हीलर, 4 व्हीलर और बस), प्रसंस्करण उद्योग में पावरिंग रोबोट आदि शामिल हैं. लिथियम-आयन बैटरी भौतिक तारों की आवश्यकता के बिना अर्थात् वायरलेस माध्यम से किसी भी विद्युत् अनुप्रयोग को ऊर्जा प्रदान कर सकती है.
  • इनमें व्यापक पैमाने पर उत्पादन के लिए उचित आपूर्ति शृंखला और विनिर्माण तकनीक के साथ लागत में कमी करने की क्षमता है.
  • लिथियम आयन बैटरी से सम्बंधित प्रौद्योगिकी नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन, मेक इन इंडिया और ऊर्जा सृजन के माध्यम से ऊर्जा विकल्पों में स्वच्छ ऊर्जा के अंश को बढ़ाने में सहायता कर सकती है.

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Richa Kishore

ऋचा किशोर sansarlochan.IN की सह-संपादक हैं. ये आपके साथ भौतिक, रसायन और जीव विज्ञान से सम्बंधित जानकारियाँ साझा करेंगी.

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