1935 ई. के पूर्व महात्मा गाँधी द्वारा संचालित सविनय अवज्ञा आन्दोलन की प्रगति चरम सीमा पर थी. भारतीयों को संतुष्ट करने के लिए अंग्रेजी सरकार अनेक प्रयास कर रही थी. उसी के परिणामस्वरूप 1935 ई. का भारत सरकार अधिनियम पारित हुआ. परिणामस्वरूप सविनय अवज्ञा आन्दोलन बंद हो गया. इस अधिनियम के प्रावधान के अनुसार ही 1937 ई. में निर्वाचन हुआ. कांग्रेस को आशातीत सफलता प्राप्त हुई. कांग्रेस के नेतृत्व में अनेक प्रान्तों में सरकार का गठन हुआ. इसी बीच द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हुआ और कांग्रेसी मंत्रिमंडलों ने त्यागपत्र दे दिया. स्वतंत्रता की माँग की पूर्ती करने के उद्देश्य से महात्मा गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने सितम्बर 1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन चलाया. किन्तु, उससे कोई सफलता नहीं मिली. इस आन्दोलन के सर्वप्रथम सत्याग्रही नेता विनोबा भावे को तथा सभी कांग्रेसी नेताओं को जेलों में बंद कर दिया गया. फिर भी, भारतीयों को अपने पक्ष में मिलाये रखने के उद्देश्य से अगस्त 1940 में गवर्नर-जनरल ने युद्ध की समाप्ति के बाद भारत को स्वतंत्र करने के लिए अंग्रेज़ सरकार द्वारा यथा साध्य प्रयत्न किये जाने का आश्वासन दिया. किन्तु, इसपर विश्वास नहीं होने के कारण कांग्रेस पूर्ण स्वराज्य की माँग पर अटल रही. उधर मुस्लिम लीग ने 1940 ई. में पाकिस्तान बनाने की माँग की.
क्रिप्स योजना (Cripps Mission)
सितम्बर 1941 में जापान ने मित्रराष्ट्रों के साथ युद्ध करने की घोषणा की. ब्रिटिश सरकार ने युद्ध में भारतीय सहयोग और सहायता प्राप्त करना बहुत आवश्यक समझा. इसके अतिरिक्त, उसे यह भी आशंका हुई कि उक्त स्थिति से लाभ उठाने के आशय से कहीं भारत की जनता भी उसके विरुद्ध आक्रमण न कर दे. अतः, 1942 ई. के अप्रैल में भारत की वैधानिक समस्याओं का हल करने के लिए अंग्रेज़ सरकार ने सर स्टैफोर्ड क्रिप्स को भारत भेजा. क्रिप्स ने भारत को औपनिवेशिक स्वराज्य देने तथा साथ ही भारत से अलग होकर रहने की इच्छा रखनेवाले प्रान्तों को पृथक रहने के लिए अधिकार देने की सिफारिश की. किन्तु, इन सिफारिशों से भारत का प्रत्येक राजनीतिक दल सहमत नहीं था. अतः क्रिप्स मिशन असफल रहा.
भारत छोड़ो आन्दोलन (Quit India Movement)
क्रिप्स मिशन की असफलता से भारतीयों को यह विश्वास हो गया कि अंग्रेज़ सरकार उन्हें स्वराज्य देना नहीं चाहती है. अतः, अत्यंत क्षुब्ध होकर 1942 ई. के 7 तथा 8 अगस्त को अंग्रेजों के विरुद्ध अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने अपने अधिवेशन में “भारत छोड़ो” का प्रस्ताव पास किया. इस प्रस्ताव के पास होने पर समस्त भारत में “भारत छोड़ो” के नारे बुलंद होने लगे. फलस्वरूप, 9 अगस्त को गाँधीजी के साथ-साथ अन्य नेताओं को भी बंदी बना लिया गया और कांग्रेस अवैध संस्था घोषित कर दी गई. समस्त देश में खलबली मच गई. सत्याग्रह का रूप अशांत हो गया और अशांति के वातावरण ने अपना ऐसा विकराल रूप धारण किया कि रेल, तार आदि तोड़े जाने लगे; स्टेशन, डाकघर और थाने जलाए गए. हज़ारों व्यक्ति पुलिस और सेनाओं की गोलियों के शिकार हुए और बड़ी संख्या में लोग जेल में ठूँस दिए गए. इस हिंसात्मक वातावरण को देखकर महात्मा गाँधी ने जेल में ही उपवास करना आरम्भ कर दिया. यह अशांति तीन वर्षों तक देश में बनी रही. 1944 ई. में स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण गाँधीजी को जेल से रिहा कर दिया गया. 1942 ई. की क्रांति भारत के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण क्रांति है. इसके बारे में विस्तार से यहाँ पढ़ें:– भारत छोड़ो आन्दोलन
वैवेल घोषणा (Wavell Plan)
द्वितीय विश्वयुद्ध के समाप्त हो जाने पर कांग्रेसी नेताओं को जेल से छोड़ दिया गया. उसी वर्ष, अर्थात् जून 1945 में लॉर्ड वैवेल (Lord Wavell) ने अपनी घोषणा में कहा कि ब्रिटिश सरकार भारत को पूर्ण स्वराज्य देना चाहती है और इसके लिए कार्यकारिणी में प्रधान सेनापति को छोड़कर अन्य सभी सदस्य भारतीय होंगे. पर, मुस्लिम लीग इससे असहमत थी. अतः, यह घोषणा कार्यान्वित नहीं की जा सकी.
आजाद हिन्द फौज (Azad Hind Fauj)
अंग्रेजी सेना के 70 हज़ार से अधिक भारतीय सैनिकों ने जापानी सेनाओं के समक्ष पराजित होकर आत्मसमर्पण कर दिया था. जापान की सरकार द्वारा सहायता पाकर नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की अध्यक्षता में इन 70 हजार सैनिकों ने आजाद हिन्द फौज की स्थापना की.
ब्रिटिश प्रधानमंत्री की घोषणा
19 फरवरी 1946 को भारतमंत्री लॉर्ड पेथिक लौरेंस (Lord Pethick-Lawrence) ने घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार भारत में एक मंत्रिमंडल मिशन भेजेगी, जो भारतीय नेताओं से मिलकर भारतीय स्वाधीनता की समस्या पर विचार करेगा. उसी दिन वायसराय ने भी यह घोषित किया कि मिशन में भारतमंत्री लॉर्ड पेथिक लौरेंस, सर स्टैफोर्ड क्रिप्स तथा ए.बी. अलेक्जेंडर हैं. 15 मार्च 1946 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली ने यह घोषणा की – “परिस्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है और उसके समाधार के लिए कोई नया फ़ॉर्मूला स्वीकार करना होगा. प्राचीन उपायों से समस्या का समाधान संभव न होकर गतिरोध की संभावना अधिक है.” इस घोषणा में भारतीयों की पूर्ण स्वतंत्रता की माँग स्वीकार कर ली गयी और यह घोषित किया गया कि बहुमत द्वारा समर्थित राष्ट्रीय राजनीतिक प्रगति के निषेध का अधिकार अल्पमत को नहीं दिया जायेगा.
मंत्रिमंडल मिशन का आगमन
इस घोषणा के अनुसार मंत्रिमंडल मिशन 23 मार्च 1947 को भारत पहुँचा. लॉर्ड पथिक लौरेंस ने बताया – “ब्रिटिश सरकार और ब्रिटिश राष्ट्र अपने उन वादों और वचनों को पूरा करना चाहते हैं, जो उन्होंने भारत को दिए हैं और हम विश्वास दिलाते हैं कि अपनी वार्ता के बीच हम ऐसी बाधा तथा शर्त उपस्थित न करेंगे, जो भारत के स्वाधीन अस्तित्व के मार्ग में बाधा उत्पन्न करे. अभी भारतीय स्वाधीनता की ओर जाने की राह निषकंटक नहीं है; किन्तु स्वाधीनता का जो दृश्य हमें दृष्टिगोचर हो रहा हो, उससे हमें सहयोग के पथ पर अग्रसर होने के लिए प्रेरणा प्राप्त होगी.” सर स्टैफोर्ड क्रिप्स ने बताया कि मिशन का उद्देश्य भारतीयों के हाथ में सत्ता सौंपने का उपाय ढूँढना है. भारत के लिए एक नए संविधान की रचना और केंद्र में एक अंतरिम सरकार की स्थापना करना ही मिशन का उद्देश्य बताया गया. मिशन के सदस्यों ने गवर्नर-जनरल, प्रांतीय गवर्नरों और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मिलकर विचार-विमर्श किया. इससे स्पष्ट हो गया कि भारत की वैधानिक रुपरेखा, संविधान परिषद् के निर्माण और अंतरिम सरकार के संगठन में भारतीय दलों में पर्याप्त मतभेद है.
मंत्रिमंडल मिशन ने अपनी एक योजना प्रस्तुत की. परन्तु उसे स्वीकार नहीं किया गया. अंत में माउंटबेटन ने अपनी एक योजना प्रस्तुत की और भारत की स्वतंत्रता के लिए रास्ता साफ हो गया. भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया गया और इसी के प्रावधान के अनुसार भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र घोषित कर दिया गया. इस तरह, भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन का अंतिम परिणाम भारत की आजादी माना जाता है. भारत आजाद हुआ, परन्तु उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी. भारत दो टुकड़ों में बँट गया.
17 Comments on “1935 ई. से 1947 ई. तक भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन का इतिहास”
Namaste sansarlochan sir
Main yeh kehna chahta hoon ki yeh article history section mein nahi mila, mujhe search karna pada. please try to fix it.
Thank you.
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सर आईएएस की परीक्षा में कितने समय के करंट अफेयर्स आते है
लगभग पीछले एक साथ और Prelims के पहले जितने भी महीने हैं उतना.
Thanks alot sir but i have an request plz explain after independence history means post modern history its very imp.for ias exam
Thanks sir its very help full BT sir after independence(1947) means post modern history v send kre plzzzxx
sir please hame bataye rajya saba aur loksabha ke do veses adikar
Thank u sir
thaks
Sir I am so confuse to select the language for ias preparation so plz help me
क्या आपने मेरा यह आर्टिकल पढ़ा? – -> Choose Optional Subject
Ambition hi sab kuch hai
Thank you sir.
Hame ish Constitution ko reading karke kaphi knowledge mili.
Thanku so much sir…
thank you sir
Thanks a lot sir
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