[Sansar Editorial] बिजली-चालित परिवहन की ओर भारत के बढ़ते कदम

Sansar LochanSansar Editorial 2019

इस बार के केंद्रीय बजट में इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर कर की छूट प्रदान करने की बात कही गई है. इससे साफ़ हो चुका है कि सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicle) के प्रयोग को अधिक से अधिक प्रोत्साहन देना चाहती है. सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि आने वाले समय में ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग हो. इसके लिए सरकार सस्ते ई-वाहन मुहैया कराएगी.

  • आयातित पेट्रोलियम पदार्थों पर भारत की बढ़ती निर्भरता को घटाने के लिए सरकार ने आम बजट में इलेक्ट्रिक वाहनों को विभिन्न तरह से प्रोत्साहन देने की घोषणा की है. यह अपरिहार्य भी है क्योंकि खराब वायु गुणवत्ता ने जीवन की गुणवत्ता को तेजी से प्रभावित किया है जो गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या का कारक भी बन गई है.
  • इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए लिए गये कर्ज पर डेढ़ लाख रूपये तक के ब्याज पर अतिरिक्त आयकर कटौती का प्रस्ताव शामिल है.
  • पेट्रोल एवं डीजल पर लगने वाले उपकर में एक-एक रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई है. पेट्रोलियम उत्पादों के बढ़ते आयात को हतोत्साह करने के परोक्ष उद्देश्य से ये कदम उठाए गए हैं.

fame II scheme

पृष्ठभूमि

भारत में अप्रैल मार्च 2018-19 के दौरान तेल आयात 140.47 अरब अमेरिकी डालर (9,83,147.76 करोड़ रूपये) था, जो इससे पिछले वर्ष की समान अवधि में 108.66 अरब अमेरिकी डालर (7,00320.81 करोड़ रूपये) था. डालर के लिहाज से तेल आयात में 29.27 प्रतिशत वृद्धि हुई थी. ऐसी स्थिति में यह परमावश्यक हो गया है कि जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को शीघ्र से शीघ्र समाप्त किया जाए.

बिजली के वाहनों के प्रचलन पर नीति आयोग का जोर

नीति आयोग का विचार है कि जीवाश्म ईंधनों से चलने वाले वाहनों से हटकर बिजली से चलने वाले वाहनों की दिशा में आगे बढ़ने का लक्ष्य तब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक इसके लिए समय-सीमाएँ निर्धारित नहीं की जाएँ. वर्तमान में स्वचालित वाहन उद्योग चाहता है कि बाजार की आवश्यकताओं के अनुसार इस विषय में आगे का कदम बढ़ाया जाए. परन्तु नीति आयोग का कहना है कि इस दृष्टिकोण पर चलने से भारत बिजली-चालित वाहनों के प्रयोग में अन्य देशों से, विशेषकर चीन से, पिछड़ जाएगा.

क्योंकि 2030 तक यह काम पूरा कर लिया जाना है, अतः इसकी बड़ी आवश्यकता है कि एक यथार्थवादी समय-सीमा निश्चित कर दी जाए जिसके पहले-पहले प्रारम्भ में स्कूटर, मोटर-साइकिल जैसे तिपहिया वाहन बिजली से चलने लगें और आगे चलकर सभी नई गाड़ियाँ बैटरी से चलने वाली हो जाएँ.

FAME 2 योजना

FAME India योजना का पूरा नाम है – Faster Adoption and Manufacturing of Electric Vehicles in India अर्थात् भारत में बिजली से चलने वाले वाहनों को अपनाने और उन्हें बनाने में तेजी लाने की योजना.

ई-गतिशीलता के लिए FAME योजना :- FAME योजना 1 अप्रैल, 2015 में शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य था बिजली और संकर ऊर्जा से चलने वाले वाहनों के निर्माण के तकनीक को बढ़ावा देना और उसकी सतत वृद्धि को सुनिश्चित करना. इस योजना के अंदर सार्वजनिक परिवहन में बिजली की गाड़ियों (EVs) के प्रयोग को बढ़ावा देना है और इसके लिए बाजार और माँग का सृजन करना है. इसके तहत वाहन परिक्षेत्र में 100% विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति दी जायेगी.

  • इस योजना का उद्देश्य देश में बिजली से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देना है.
  • यह योजना 1 अप्रैल, 2019 से आगामी तीन वर्षों तक चलेगी और इसके लिए 10,000 करोड़ रु. की बजटीय व्यवस्था की गई है.
  • यह योजना FAME India I (1 अप्रैल, 2015 में अनावृत) का विस्तारित संस्करण है.

फेम-इंडिया योजना फेज II के उद्देश्य

  • सार्वजनिक परिवहन में बिजली से चलने वाली गाड़ियों का अधिक से अधिक प्रयोग सुनिश्चित करना.
  • बिजली वाले वाहनों की ग्राह्यता को प्रोत्साहित करने के लिए इनके लिए बाजार बनाना और माँग में वृद्धि करना.

लिथियम आयन बैटरी के बारे में

ये रिचार्ज करने योग्य बैटरियाँ हैं, जिनका ऊर्जा घनत्व उच्च होता है और इनका उपयोग सामान्यतः उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में किया जाता है. इनमें इलेक्ट्रोड के रूप में धात्विक लिथियम के स्थान पर इंटरकैलेटेड (क्रिस्टल जालक की विभिन्न परतों के मध्य व्यवस्थित) लिथियम यौगिक का उपयोग किया जाता है और बैटरी के प्रति किलोग्राम में 150 वाट-घंटे बिजली भंडारण करने की क्षमता होती है. लेड एसिड बैटरी को उसके सम्पूर्ण जीवन काल में केवल 400-500 बार चार्ज किया जा सकता है जबकि लिथियम-आयन बैटरी को उसके सम्पूर्ण जीवनकाल में 5000 या उससे अधिक बार चार्ज किया जा सकता है.

अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर जा कर पढ़ें > लिथियम आयन बैटरी

70 लाख हाइब्रिड वाहन बेचने का लक्ष्य

वाहन-जनित प्रदूषण पर नियंत्रण के लिये सरकार ने देश में 2020 तक 60 से 70 लाख हाइब्रिड वाहन बेचने का लक्ष्य निर्धारित किया है. ‘नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान 2020’ के तहत देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से स्वीकार किये जाने और इनके विनिर्माण की कार्ययोजना बनायी गयी है. इस मिशन के तहत राष्ट्रीय ईंधन सुरक्षा में वृद्धि करने, सस्ता एवं पर्यावरण अनुकूल परिवहन उपलब्ध कराने तथा वैश्विक विनिर्माण नेतृत्व प्राप्त करने के लिये भारतीय वाहन उद्योग को सक्षम बनाने के निमित्त डिजायन किया गया है. मंत्रालय ने एक अप्रैल 2019 को तीन वर्ष की अवधि के लिये 10 हजार करोड़ रुपये के व्यय का अनुमोदन किया है.

बुनियादी ढाँचे की कमी

केंद्र सरकार चाहती है कि 2030 तक देश में सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह इलेक्ट्रिक चालित हो जाए. वहीं इस अवधि में व्यक्तिगत परिवहन वाले 40 प्रतिशत वाहन को बिजली-चालित करने का लक्ष्य है. पर इस देश में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने में सबसे बड़ी चुनौती चार्जिंग के लिए बुनियादी ढाँचे की कमी है. अभी देश में 250 चार्जिंग स्टेशन हैं और जब तक चार्जिंग स्टेशन नहीं बढ़ेंगे तब तक इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की योजना सफल होती नहीं दिखती है. यह 2030 तक सिर्फ बिजली चालित वाहन वाली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने की उम्मीद में बाधा है. पर आटोमोबाइल उद्योग के संगठन सियाम (Society of Indian Automobile Manufacturers – SIAM) को उम्मीद है कि देश की आजादी के सौंवे साल यानी 2047 तक यहाँ बिकने वाले सभी नये वाहन पूरी तरह से इलेक्ट्रिक यानी बिजली-चालित हो जाएंगे.

निष्कर्ष

बजटीय उपायों का बिजली के वाहनों के मूल्य पर तुरंत प्रभाव पड़ेगा और नए-नए मॉडल आने लगेंगे. किन्तु इन गाड़ियों को चार्ज करने के लिए तेजी से स्टेशन बनाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को मिल-जुलकर सतत प्रयास करना होगा.

बिजली के वाहन आने से जीवाश्म इंधनों पर निर्भरता घट जायेगी और उच्च प्रदूषण स्तरों से राहत भी मिलेगी. सरकार ने बताया है कि वह स्वच्छ एवं सम्बद्ध तकनीकों को लाने के लिए एक राष्ट्रीय मिशन बनाने जा रही है जिसका नाम होगा नेशनल मिशन ऑन ट्रांसफोर्मेटिव मोबिलिटी एंड बैटरी स्टोरेज. इस मिशन के पूरा होने पर देश में टिकाऊ बिजली वाहनों से सम्बंधित अवसंरचना के एक नए युग का सूत्रपात होगा.

Tags : India towards electric mobility, Budget 2019

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