[संसार मंथन] मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास – Eco-Bio-Tech GS Paper 3/Part 19

Sansar LochanGS Paper 3, Sansar Manthan

TOPICS – भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध, भारत और अमेरिका के बीच सम्बन्ध

Q1. भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों का इतिहास एक अबूझ पहेली है, जिसे सुलझाना बहुत ही कठिन कार्य है. इस कथन पर अपना मत रखें.

Syllabus, GS Paper III :  आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका.

  • अपने उत्तर में अंडर-लाइन करना है  = Green
  • आपके उत्तर को दूसरों से अलग और यूनिक बनाएगा = Yellow

उत्तर  :-

यह पता लगाना वास्तव में कठिन है कि दोनों देशों के बीच सम्बन्ध हर महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर मतभेदों और संघर्षों द्वारा चिन्हित हैं. ऐसा एक भी मुद्दा नहीं है, जिस पर दोनों देश एक समान विचार रखते हों. इतिहास के दस्तावेज बताते हैं कि भारत और पाकिस्तान ने नित्य ऐसे मार्ग अपनाए हैं, जो एक-दूसरे के विरोधाभासी थे और कभी-कभी इसमें कोई तर्क और वास्तविकता का कहीं नामोनिशान तक नहीं होता. यह सच्चाई है कि पाकिस्तान सौहार्द्रपूर्ण सम्बन्ध बनाये रखने में विफल रहा है. इसके बजाए, यह समझ में आता है कि यह रिश्ता लगातार एक दुखद कवायद और शीत युद्ध की तैयारी की ओर बढ़ गया और तनाव, प्रतिद्वन्द्विता और यहाँ तक कि युद्धों के हिंसक प्रकोप के कगार पर पहुँच गया है. जैसा कि प्रतीत होता है, वर्तमान समय में स्थिति यह है कि दोनों देशों की सेनाएँ अभी भी एक-दूसरे के साथ युद्ध विराम रेखा पर सामना कर रही हैं.

पाकिस्तान कश्मीर की माँग करता आया है. दोनों ही देश कश्मीर में अपनी सेनाओं पर भारी भरकम धनराशि खर्च कर रहे हैं. अगर यह जारी रहता है तो निकट भविष्य में समस्या के समाधान की कोई सूरत नज़र नहीं आती. पुलवामा हमले के बाद दोनों देशों के सम्बन्ध और भी कटु और शत्रुतापूर्ण हो गये हैं.

अब समय आ गया है कि हमें इन घटनाओं पर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिए. परिस्थितियों का अध्ययन और विश्लेषण करना चाहिए. समस्या को और खींचने के बजाए उसके समाधान पर ध्यान देना चाहिए ताकि दोनों देशों के बीच युद्ध का कुरूप दानव दिखाई न दे. पर यह भी एक कटु सत्य है कि पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवादी और चरमपंथी संगठन घाटी में लम्बे समय से सक्रिय हैं, जिससे मानव जीवन और सम्पत्ति का भारी नुकसान हुआ है. बिना किसी और देरी के इन कृत्यों को रोका जाना चाहिए और पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाए रखने के लिए भारत द्वारा कूटनीतिक कदम उठाये जाने चाहिएँ. नहीं तो भारत को सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक के लिए बार-बार विवश होना पड़ेगा जो एक समाधान बिल्कुल भी नहीं है.


Q2. आज के राजनैतिक परिदृश्य में भारत और अमेरिका के बीच अच्छे सम्बन्ध का होना भारत के लिए अनिवार्य क्यों है? समीक्षा करें.

भारत आतंकवाद से पीड़ित देश है. मुंबई में 26/11, बंगलौर बेकरी हमला, दिल्ली उच्च न्यायालय हमला, पुलवामा हमला आदि जैसे खतरनाक आतंकवादी हमलों और विशेष रूप से पीओके में भारत की सफल सर्जिकल स्ट्राइक के बाद नियमित रूप से जम्मू-कश्मीर में विद्यालयों को जलाने, हर दिन एलओसी पर संघर्ष विराम का उल्लंघन, कई बी.एस.एफ. जवानों की हत्या जैसे आतंकी हमलों का सामना भारत वर्षों से करता आया है.

भारत को न केवल आधुनिक तकनीक, उन्नत सैन्य हथियारों और अन्य आर्थिक लाभ के लिए, बल्कि इस्लामिक स्टेट, जैश-ए-मोहम्मद, हिज्ब-उल-मुजाहिदीन, हक्कानी आतंकी नेटवर्क, हाफ़िज़ सईद के आतंकी संगठन जैसे वैश्विक पहुँच वाले कई आतंकी संगठनों और भारत में सीमा पार से होने वाले आतंक के निर्यात को रोकने के लिए पाकिस्तान पर दबाव के लिए भी अमेरिकी समर्थन की आवश्यकता है.

अमेरिका के साथ भारत का अच्छा सम्बन्ध इसलिए भी जरुरी है क्योंकि अमेरिका के बिना भारत प्रभावी रूप से अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए नहीं रख सकता. अमेरिका के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध होने के कारण ही भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के देशों से यूरेनियम प्राप्त करने में सफल रहा है जबकि इसके लिए यह शर्त होती थी कि जो देश परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करेगा उसे ही यह ईंधन प्राप्त हो सकता है.

यह सर्वविदित है कि अपनी जनसंख्या और प्रगतिशील अर्थव्यवस्था के कारण सुरक्षा परिषद् की सदस्यता पर भारत का दावा बनता है, पर इस दिशा में अभी तक सफलता नहीं मिली है. किन्तु सुरक्षा परिषद् के सदस्यों की सहमति के बिना यह काम नहीं होगा. विदित हो कि अमेरिका भी सुरक्षा परिषद् का सदस्य है. अमेरिका से भारत के सम्बन्ध अच्छे रहेंगे तो आशा की जाती है कि भविष्य में भारत को भी सुरक्षा परिषद् का एक स्थायी सदस्य बना दिया जाएगा जो भारत के लिए एक कूटनीतिक विजय होगी. इस सन्दर्भ में उल्लेखनीय है कि अमेरिका के सहयोग से ही चीन को मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर सहमति देनी पड़ी थी.

समय की माँग है कि भारत को अपनी विदेश नीति में व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ-साथ यथार्थवादी दृष्टिकोण को अपनाते हुए सभी परिस्थितियों में अपने राष्ट्रीय हितों को साकार करने और यहाँ तक कि आवश्यकता पड़े तो शक्ति की रणनीति का भी सहारा लेते हुए अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ना चाहिए. ऐसे में यदि अमेरिका का भारत को समर्थन प्राप्त होता रहा तो भारत भी अग्रणी वैश्विक शक्ति की तरह उत्साह और आत्मविश्वास से भरे हुए सम्प्रभु राष्ट्रों में अपनी जगह बना सकेगा.


“संसार मंथन” कॉलम का ध्येय है आपको सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में सवालों के उत्तर किस प्रकार लिखे जाएँ, उससे अवगत कराना. इस कॉलम के सारे आर्टिकल को इस पेज में संकलित किया जा रहा है >> Sansar Manthan

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