[Sansar Editorial] भारत और इंडोनेशिया के बीच सम्बन्ध : India and Indonesia Relations in Hindi

Sansar LochanIndia and non-SAARC countries, International Affairs

आज हम भारत और इंडोनेशिया के बीच राजनीतिक संबंधों पर चर्चा करेंगे और जानने कि कोशिश करेंगे कि इन दोनों देशों के बीच संबंधों में कितनी घनिष्ठता है और इन संबंधों के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं? आइए पढ़ते हैं India and Indonesia Relations in Hindi.

भारत और इंडोनेशिया के बीच हाल में हुई वार्ता के परिणाम

  1. हाल ही में भारतीय प्रधानमन्त्री द्वारा इंडोनेशिया की यात्रा की गई. दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय सम्बन्धों को व्यापक सामरिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ावा देने के लिए सहमति व्यक्त की है.
  2. मुक्त खुले, पारदर्शी, नियम-आधारित (UNCLOSUnited Nations Convention on the Law of the Sea के अनुरूप), शांतिपूर्ण, समृद्ध एवं समावेशी हिन्द-प्रशांत क्षेत्र की आवश्यकता के महत्त्व पर बल दिया गया.
  3. इस क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों का उपयोग करने के लिए हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग पर एक साझा दृष्टिकोण को घोषित किया गया और निम्नलिखित विषयों पर सहमति व्यक्त की गई है –
  • व्यापार एवं निवेश सहयोग में वृद्धि करना
  • आपदा जोखिम प्रबंधन सम्बन्धी सहयोग को बढ़ावा देना
  • पर्यटन तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना

भारत-इंडोनेशिया संबंधों का महत्त्व

संचार हेतु समुद्री मार्गों का संरक्षण
दक्षिण-पूर्व हिन्द महासागर समुद्री डाकुओं की गतिविधियों, मानव तस्करी, हथियारों, ड्रग्स एवं धन की तस्करी, अवैध, असूचित और अनियमित मत्स्यन और आतंकवादियों की घुसपैठ आदि का एक बड़ा अड्डा बन गया है. इसलिए हिन्द और प्रशांत महासागर के बीच इंडोनेशिया की सामरिक अवस्थिति, प्रमुख समुद्री मार्गों के संरक्षण के लिए अति महत्त्वपूर्ण है.

सामरिक महत्त्व

हाल ही में, इंडोनेशिया ने भारतीय निवेश के लिए मल्लका जलसंधि के समीप स्थित सामरिक द्वीप सबांग तक पहुँच प्रदान करने हेतु सहमति प्रदान की है. यह भारत को हिन्द महासागर क्षेत्र में प्रमुख सुरक्षा प्रदाता बनने में सहायता करेगा.

चीन को प्रतिसंतुलित करना

इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रमकता को प्रतिसंतुलित करने हेतु क्षेत्र के विभिन्न देशों के मध्य व्यापक सहयोग की आवश्यकता है.

भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी

दक्षिण-पूर्व एशिया में जनसंख्या के साथ-साथ आर्थिक रूप से सबसे बड़ा देश होने के कारण, भारत के लिए इंडोनेशिया का समर्थन एक्ट ईस्ट पॉलिसी को सुदृढ़ता प्रदान करेगा. इसके अतिरिक्त, भारत का “सागर” (Security and Growth for All in the Region) विज़न भी इंडोनेशिया के “Global Maritime Fulcrum” के अनुरूप है.

व्यापार एवं निवेश

2017 में दोनों देशों के बीच 18.13 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ. भारत एवं इंडोनेशिया ने द्विपक्षीय व्यापार को वर्ष 2025 तक तीन गुना अर्थात् 50 बिलियन अमेरिकी डोलर तक किये जाने पर सहमति व्यक्त की है. इसके अतिरिक्त दोनों देश ब्लू इकॉनमी और क्षेत्रीय व्यापक साझेदारी (Regional Comprehensive Economic Cooperation : RCEP) को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष

दोनों देशों को धर्म आधारित आतंकवाद में वृद्धि के खतरे का सामना करना पड़ रहा है. अतः दोनों देश इस मुद्दे के समाधान हेतु विभिन्न धर्मों के मध्य आपसी संवाद (interfaith dialogues) स्थापित करने पर सहमत हुए हैं.

भारत और इंडोनेशिया सम्बन्धों के समक्ष चुनौतियाँ

इस क्षेत्र में चीन की सुदृढ़ उपस्थिति

इंडोनेशिया ने शीत युद्ध काल में चीन के साथ मित्रता की संधि की थी, इसलिए यह व्यापाक सामरिक साझेदारी के पश्चात् भी ऐसी किसी भी गतिविधि में संलग्न नहीं होगा जो चीन के लिए चिंता का कारण बने.

शीत युद्ध युग की शत्रुता

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत ने इंडोनेशिया के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित किये क्योंकि दोनों ही देश गुटनिरपेक्ष आन्दोलन के संस्थापक सदस्य थे. यद्यपि कालांतर में भारत के सोवियत संघ (USSR) तथा इंडोनेशिया के अमेरिका (USA) की ओर झुकाव के कारण दोनों के संबंधों की घनिष्ठता में कमी आई. इसके अतिरिक्त, भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान इंडोनेशिया ने पाकिस्तान का समर्थन किया था.

समुद्री सीमा के सीमांकन का कार्य अधूरा

दोनों देशों के बीच अंडमान सागर में समुद्री सीमा के सीमांकन का कार्य भी पूरा नहीं हुआ है. हालाँकि, यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने इसकी आवश्यकता को दोहराते हुए, कार्य को शीघ्र ही पूरा करने का विचार व्यक्त किया.

निम्न स्तरीय कनेक्टिविटी

निम्न स्तरीय कनेक्टिविटी के कारण दोनों देश द्विपक्षीय सम्बन्धों की क्षमताओं का पूर्ण उपयोग नहीं कर पाए हैं. दोनों देशों के मध्य सीधी एयर कनेक्टिविटी की स्थापना हाल ही में हो सकी है.

आगे की राह

भारत एवं इंडोनेशिया एशिया में अपनी सह-अस्तित्व की परम्परा के आधार पर, धार्मिक अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यक समुदायों के साथ सह-अस्तित्व का एक अनुपूरक मॉडल प्रदान कर सकते हैं. इसके लिए इंटरफेथ डायलॉग फोरम को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए.

पुनर्जीवित भारत-ब्राज़ील-दक्षिणी अफ्रीका फोरम में इंडोनेशिया के प्रवेश का समर्थन कर भारत इसकी लोकतांत्रिक महत्ता में वृद्धि कर सकता है.

भारत इंडोनेशिया को क्वाड्रीलेटरल सिक्यूरिटी डायलॉग में भी आमंत्रित कर सकता है. हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के विभिन्न सुरक्षा पहलुओं पर केन्द्रित इस संवाद में भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सम्मिलित हैं.

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