भारत ने गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहे श्रीलंका को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है. भारत के शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि भारत “भारतीय ऋण योजना” के अंतर्गत श्रीलंका के विद्यालयों (schools) को पाठ्यपुस्तकों (textbooks) के मुद्रण हेतु आवश्यक कागज और स्याही सहित आवश्यक कच्चा माल प्रदान करेगा. अनुमान है कि आगामी 4 वर्षों में भारत श्रीलंका को इसके लिए 2.9 बिलियन डॉलर प्रदान करेगा।
भारत की ओर से श्रीलंका को 4 अरब डॉलर की सहायता
डॉलर की कमी चलते श्रीलंकाई सरकार पाठ्यपुस्तकों की छपाई के लिए कच्चा माल खरीदने में असमर्थ है। पिछले वर्ष मार्च महीने में ऐसी परिस्थिति आ गई थी कि परीक्षा आयोजित करने के लिए श्रीलंका के पास पर्याप्त पेपर ही नहीं थे जिसके कारण परीक्षा को रद्द करना पड़ा और लाखों श्रीलंकाई छात्रों का जीवन अधर में चला गया.
श्रीलंका स्कूली बच्चों को मुफ्त शिक्षा योजना के तहत पाठ्यपुस्तकें और यूनिफॉर्म प्रदान करता है। यह अनुमान है कि 2023 के शैक्षणिक वर्ष में पाठ्यपुस्तक की छपाई पर लगभग 44 मिलियन डॉलर खर्च होंगे।
इधर दूसरी तरफ, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) लंका को आर्थिक संकट से बचाने के लिए विभिन्न शर्तों के साथ 4 साल में 2.9 अरब डॉलर मुहैया कराएगा। जबकि भारत अकेले बिना किसी शर्त के साथ 2022 के अंत-अंत तक श्रीलंका को 4 अरब डॉलर की सहायता देगा।
श्रीलंकाई आर्थिक संकट के पीछे कारण
कोविड 19 महामारी एवं साम्प्रदायिक हिंसक घटनाओं के कारण, श्रीलंका में पर्यटन उद्योग को काफी नुकसान हुआ. श्रीलंका के पर्यटन उद्योग का श्रीलंका के सकल घरेलू उत्पाद में अकेले 12% हिस्सा है और यह देश में भारी विदेशी मुद्रा लाता था।
कोविड संक्रमण मामलों में वृद्धि होने के बाद घोषित किए गए लॉकडाउन के दौरान कई लोग, विशेष रूप से दैनिक वेतन भोगी, और कम आय वाले परिवार, खाद्यान्न खरीदने में असमर्थ होने की शिकायत करने लगे, और कई मामलों में दूध, चीनी और चावल जैसी आवश्यक वस्तुएं, आम लोगों की पहुँच से बाहर हो गई।
खाद्य मुद्रास्फीति 21.5% की दर पर पहुँच गई है, जो एक वर्ष पहले 7.5% थी। वर्तमान सरकार के द्वारा कर की दर घटाने के चुनावी वादों के चलते, राजकोष में कमी होती चली गई, इससे राजस्व घाटे में भी बढ़ोतरी हुई। इसके साथ-साथ सरकार के द्वारा रासायनिक उर्वरकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा देने से देश के कषि उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा तथा खाद्य उत्पादों – विशेषकर चावल की कमी होने लगी, चाय के निर्यात में भी कमी आई।
श्रीलंका अपनी जरूरतों, आवश्यक वस्तुओं, जैसे- पेट्रोलियम, चीनी, डेयरी उत्पाद, गेहूं, चिकित्सा आदि की आपूर्ति के लिए आयात पर निर्भर है, जबकि दूसरी ओर देश का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घटता चला गया, जो कि नवंबर 2019 में $7.5 बिलियन से घटकर फरवरी 2022 में $2.3 बिलियन रह गया, इसके अतिरिक्त श्रीलंका सरकार के सामने आगामी वर्षों में बढ़ते जा रहे विदेशी ऋण को चुकाने की चुनौती भी बनी हुई है.
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