भारत-अफगानिस्तान के बीच सम्बन्ध – India and Afghanistan Relations

Sansar LochanIndia and its neighbours

अफगानिस्तान एक भूआबद्ध देश है जिसकी सीमा पाक-अधिकृत कश्मीर से सटी हुई है. मध्य एशिया के देशों में पहुँचने के लिए अफगानिस्तान एक महत्त्वपूर्ण देश है. अफगानिस्तान समाज अभी भी कबीलों में विभाजित है. अफगानिस्तान भारत का एक परम्परागत मित्र रहा है. अफगानिस्तान विदेशी शक्तियों के हस्तक्षेप के कारण अस्थिर राज्य बन गया. इसकी शुरुआत सोवियत संघ द्वारा 1979 में सैनिक हस्तक्षेप से हुई. सोवियत संघ का मुकाबला करने के लिए अमेरिका ने कबीलों को हथियार, प्रशिक्षण एवं अन्य संसाधन मुहैया कराये.

सोवियत सेनाओं की अफगानिस्तान से वापस के पश्चात् ये समूह आपस में संघर्षरत हो गए तथा आतंकवादी समूहों का समर्थन करने लगे. अफगानिस्तान की सत्ता पर 1996 में कट्टरपंथी मुजाहिद्दीन काबिज होने में सफल रहे जिन्हें तालिबान भी कहा जाता है.

9/11 की घटना के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में ऑपरेशन एन्ड्योरिंग फ्रीडम शुरू किया जिससे तालिबान के शासन का 2001 में अंत हो गया. वहाँ लोकतांत्रिक शासन स्थापित किया गया. पर अफगानिस्तान में आज भी अस्थिरता का वातावरण है. कबीलाई नेता आपस में लड़ते रहते हैं तथा कट्टरपंथियों की पकड़ इन समूहों में जबरदस्त है.

भारत- अफगानिस्तान के आधारभूत ढाँचे के विकास में व्यापक मदद कर रहा है. भारत ने जेरांग-देलराम सड़क परियोजना या सलमा बाँध शक्ति परियोजना स्थापित करने में, इंदिरा गाँधी शिशु स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण, काबुल में हबीबी स्कूल की स्थापना आदि में महत्त्वपूर्ण सहायता दी है. इसके अतिरिक्त भारत-अफगानिस्तान में कृषि, बैंकिंग, कंप्यूटर, खनन, स्वास्थ्य क्षेत्र आदि में सहायता के लिए बार-बार प्रतिबद्धता व्यक्त की है.

वर्ष 2014 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापस के बाद तालिबान अफगानिस्तान में अपना प्रभाव पुनः स्थापित करने का प्रयास कर रहा है. तालिबान का मुख्य नेता मुल्ला उमर अगस्त, 2015 में मारा गया जिससे तालिबान की ताकत कमजोर हुई है.

भारत अच्छा तालिबान तथा बुरा तालिबान में किये जा रहे विभाजन की आलोचना करता है. तालिबानियों को सशक्त बनाने में पाकिस्तान की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी और आज भी उन पर पाकिस्तान की सेना की अच्छी पकड़ है. अतः भारत को संदेह है कि अच्छे तालिबान के नाम पर पाक समर्थित तालिबान से समझौता इस क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा होगा. तालिबानियों का दृष्टिकोण भारत विरोधी रहा है. वे प्रायः भारतीय दूतावास एवं केन्द्रों को आतंकवादी हमले का निशाना बनाते रहे हैं.

भारत ने अफगानिस्तान से सांस्कृतिक आदान-प्रदान हेतु जून 2014 में उदार वीजा नीति की घोषणा की थी. दोनों देशों के बीच 2011 से ही सामरिक भागीदारी समझौता है. 2014 में अफगानिस्तान में राष्ट्रपति पद के चुनाव में अशरफ गनी अहमदजई नए राष्ट्रपति चुने गये. अशरफ गनी ने अप्रैल, 2015 में भारत की यात्रा की थी. इस यात्रा के दौरान भारत ने अफगानिस्तान को तीन चीतल हेलिकॉप्टर भेंटस्वरूप दिए. इसके अतिरिक्त रक्षा, कृषि, शिक्षा, ऊर्जा, सुरक्षा आदि अनेक मुद्दों पर दोनों देशों के नेताओं के बीच महत्त्वपूर्ण वार्ता हुई.

25 दिसम्बर, 2015 को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक उच्चस्तरीय शिष्टमंडल के साथ अफगानिस्तान की यात्रा की. उन्होंने अफगानिस्तान के नए संसदीय भवन का उद्घाटन भी किया. अफगान सेना के शहीद जवानों के पाँच सौ बच्चों को स्कॉलरशिप की घोषणा की. भारत ने अफगानिस्तान को चार MI 25 हेलिकॉप्टर उपहार स्वरूप प्रदान किये. दोनों ही देशों ने ईरान चाबहार पत्तन को अफगानिस्तान से जोड़ने के लिए प्रस्तावित योजना में तेजी लाने पर सहमति जताई.

भारत ने अफगानिस्तान में लघु श्रेणी के 92 विकास योजनाओं के निर्माण में सहयोग पर सहमति प्रदर्शित की. वर्तमान में अफगानिस्तान से भारत द्विपक्षीय व्यापार 1 बिलियन डॉलर से भी कम है. अफगानिस्तान, रूस तथा मध्य एशिया तक पहुँचने का सबसे लघु मार्ग प्रदान करता है. अत: अफगानिस्तान से व्यापार की व्यापक संभावनाएँ हैं. अफगानिस्तान दक्षेस का सदस्य है. भारत ने अफगानिस्तान के साथ 2005 में अधिमान्य व्यापार समझौता किया था. 

भारत-अफगानिस्तान संबंधों में चाबहार बंदरगाह की प्रासंगिकता

भारत द्वारा ईरान में बंदरगाह का विकास भारत को एक वैकल्पिक मार्ग का विकल्प प्रदान करता है. बंदरगाह पर लाइ गई वस्तुओं को आसानी से अफगान सीमा तक पहुँचाया जा सकता है तथा जरांज-डेलाराम राजमार्ग के माध्यम से अफगानिस्तान के विभिन्न भागों में वितरित किया जा सकता है.

भारत चाबहार बंदरगाह के जरिये मध्य अफगानिस्तान की हाजिगक खानों से निष्कर्षित लौह अयस्क का निर्यात कर सकता है. यह अफगानिस्तान के क्षेत्रीय एकीकरण और पाकिस्तान के प्रभाव को कम करने में सहायक होगा.

अफगानिस्तान के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए अन्य पहलें

भारत-अफगानिस्तान वायु गलियारा (India-Afghanistan Air Corridor)

विदेशी व्यापार हेतु कराची बंदरगाह पर निर्भरता को कम करने के लिए हार्ट ऑफ़ एशिया सम्मेलन, 2016 में भारत और अफगानिस्तान के बीच रियायती एयर कार्गो सुविधाओं की घोषणा की गई.

अफगानिस्तान-पाकिस्तान व्यापार और पारगमन समझौता (Afghanistan-Pakistan Transit Trade Agreement)

इस समझौते के तहत, अफगानिस्तान में उत्पादित वस्तुओं को वाघा (भारत) तक पारगमन की अनुमति प्रदान की जायेगी तथा इसके बदले में, अफगानिस्तान पाकिस्तान को मध्य एशियाई गणराज्यों (CARs) के लिए पारगमन मार्ग की अनुमति प्रदान करेगा.

अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (International North South Transport Corridor : INSTC)

हालाँकि अफगानिस्तान INSTC का सदस्य नहीं है, फिर भी INSTC चाबहार से जरांज और डेलाराम के माध्यम से अफगानिस्तान में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा. हाल ही में, भारत ने INSTC के तीव्र कार्यान्वयन के लिए रूस के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये.

INSCT वर्ष 2002 में सेंट पीटर्सबर्ग में हस्ताक्षर किया गया एक मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर है जिसके संस्थापक सदस्य ईरान, रूस और भारत हैं. बाद में INSTC का विस्तार करते हुए इसमें 11 नए सदस्यों को जोड़ा गया, जो हैं – अजरबैजान, आर्मेनिया, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकस्तान, तुर्की, यूक्रेन, बेलारूस, ओमान, सीरिया और बुल्गारिया (पर्यवेक्षक सदस्य राष्ट्र) को शामिल किया गया है.

इसका लक्ष्य समुद्री मार्ग के माध्यम से भारत और ईरान को और उसके बाद ईरान के जरिये कैस्पियन सागर से होते हुए मध्य एशिया से जोड़ना है.

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