[संसार मंथन] मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास – Eco-Bio-Tech GS Paper 3/Part 5

Sansar LochanGS Paper 3, Sansar Manthan

[no_toc] सामान्य अध्ययन पेपर – 3

भारत में चीनी उद्योग द्वारा सामना की जा रही समस्याओं को दूर करने के लिए राहत पैकेज से आगे और कुछ करने की आवश्यकता है. चर्चा कीजिए. (250 words)

  • अपने उत्तर में अंडर-लाइन करना है  = Green
  • आपके उत्तर को दूसरों से अलग और यूनिक बनाएगा = Yellow

यह सवाल क्यों?

यह सवाल UPSC GS Paper 3 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप में लिया गया है –

खाद्य प्रसंस्करण एवं सम्बंधित उद्योग – कार्यक्षेत्र एवं महत्त्व, स्थान, ऊपरी और नीचे की अपेक्षाएँ, आपूर्ति शृंखला प्रबन्धन….”.

सवाल का मूलतत्त्व

आपको पता रहना चाहिए कि चीनी उद्योग में भारत क्या समस्याएँ झेल रहा है. यदि आप इस समाचार से अवगत नहीं तो आपका उत्तर लिखना असंभव हो जायेगा. इसलिए अखबार हमेशा पढ़ते रहें और भारत की परेशानियों पर खासकर नज़र रखें.

चीनी उद्योग द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं का उल्लेख करते हुए संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए. उसके बाद इन समस्यायों को दूर करने के लिए सरकारी दृष्टिकोण और उनसे जुड़ी समस्याओं पर चर्चा कीजिये. इस मुद्दे से सम्बंधित मूल समस्याओं का उल्लेख करते समय, इसके लिए कुछ दीर्घकालिक समाधानों का सुझाव दें.

उत्तर :-

चीनी उद्योग दूसरा सबसे बड़ा कृषि आधारित उद्योग है. लगभग 50 मिलियन गन्ना किसान और ग्रामीण जनसंख्या का 7.5 प्रतिशत भारत में गन्ने की कृषि, कटाई और सम्बंधित सहायक गतिविधियों में संग्लन हैं.

भारत में चीनी उद्योग को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जैसे कि :

मूल्य निर्धारण सम्बन्धी मुद्दे

  1. इस वर्ष घरेलू स्तर पर चीनी के अत्यधिक उत्पादन के कारण, गन्ना की कीमत काफी कम हो गई थी, जिससे उचित एवं लाभकारी मूल्य (Fair and Remunerative Price) को बढ़ाने की माँग में वृद्धि हुई.
  2. सामान्यतः राजनीतिक रूप से प्रेरित राज्य सलाहकार मूल्य (SAP) केंद्र सरकार के FRP से अधिक होता है, इस प्रकार मिलों द्वारा किसानों को दी जाने वाली बकाया राशि अधिक हो जाती है.

नीतिगत मुद्दे

  1. आपूर्ति बिक्री पक्ष (लेवा चीनी, मासिक निर्गमन पद्धति, निर्यात और आयात, पैकिंग में जूट बैग की आवश्यकता).
  2. गन्ना नियंत्रण पक्ष (गन्ना के मूल्य निर्धारण से सम्बन्धित मुद्दे और मिलों के मध्यम न्यूनतम दूरी सम्बन्धी मानदंड)

चीनी मिल

अधिकांश चीनी मिलों की पेराई क्षमता सीमित है. पुरानी मशीनरी, वसूली की न्यून दर, उत्पादन की उच्च लागत लाभ की मात्रा को कर देती है और इस प्रकार मिलों को अलाभकारी और रुग्ण बना देती है.

बढ़ती प्रतिस्पर्धा

बिना किसी नियंत्रण के गुड़/खांडसारी उद्योग द्वारा गन्ना के एक तिहाई भाग का उपयोग किया जाता है, जो चीनी मिलों में गन्ने की कमी का कारण बनता है.

गन्ना उत्पादन में चक्रीयता

गन्ने का उत्पादन एकल फसल (monoculture) के रूप किये जाने के कारण, गन्ने की फसल का लगातार तीन वर्षों तक बेहतर उत्पादन होता है उसके बाद आगे के वर्षों में प्रति हेक्टेयर फसल उत्पादन में निरंतर कमी होती जाती है.

पेराई की समयावधि का कम होना

गन्ने की पेराई की अवधि 4-6 महीने की ही होती है अतः इसकी प्रकृति मौसमी है, जो श्रमिकों के लिए वित्तीय समस्याएँ उत्पन्न करती है.

अन्य मुद्दे

वितरण में क्षेत्रीय संतुलन (उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र), प्रति व्यक्ति उपभोग की निम्न दर, गन्ने की खेती वाले क्षेत्रों में जल संकट, ग्लोबल वार्मिंग के संभावित प्रभाव इत्यादि.

सरकार की प्रतिक्रिया

हाल ही में CCEA द्वारा में चीनी उद्योग से सम्बंधित संकट से निपटने के लिए 7,000 करोड़ रु. के पैकेज को स्वीकृति प्रदान की गई है. चीनी की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए चीनी मिलों पर भंडारण सीमाओं का निर्धारण किया गया है.

ये कदम तात्कालिक, अदूरदर्शी और अपर्याप्त हैं क्योंकि ये मिलों की कार्य संचालन क्षमता और दीर्घ अवधि के लिए ऋण प्राप्ति को सीमित करते हैं. बफर स्टॉक, प्रतिबंधित निर्गमन तंत्र और निर्यात प्रोत्साहन नौकरशाही द्वारा की गई विशिष्ट स्वचालित प्रतिक्रियाएँ हैं. फिर भी सरकार द्वारा इसका दीर्घकालिक समाधान नहीं किया गया है.

इस मुद्दे पर GOM द्वारा चीनी भुगतान संकट के लिए एक तीन-स्तरीय समाधान प्रस्तावित किया गया है, जैसे चीनी पर उपकर, गन्ने की कृषि करने वाले किसानों को उत्पादन सब्सिडी और इथनॉल पर GST में कमी. हालाँकि, चीनी उद्योग में विद्यमान संरचनात्मक समस्याओं के समाधान के लिए अन्य कदम उठाने की आवश्यकता है –

  1. चीनी की कीमतों के साथ गन्ना की कीमतों को युक्तिसंगत बनाने के लिए सी. रंगराजन समिति के सुझाव का क्रियान्वयन.
  2. जल मूल्य निर्धारण, सूक्ष्म सिंचाई और जलवायु स्मार्ट कृषि के माध्यम से जल उपयोग एवं संरक्षण नीतियों का क्रियान्वयन.
  3. गन्ने और चीनी नियंत्रण आदेशों के उल्लंघन की संभावना को समाप्त करना.
  4. न्यू मॉडल कॉन्ट्रैक्ट एक्ट के तहत वर्तमान नियंत्रण और सुरक्षा प्रणाली को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग प्रणाली में स्थानांतरित करना.
  5. तात्कालिक चीनी-निर्यात नीति के स्थान पर एक स्थिर निर्यात व्यवस्था उपलब्ध कराना.

इसके अतिरिक्त, सरकार द्वारा मिल मालिकों को नई तकनीक को अपनाने हेतु कर प्रोत्साहन भी प्रदान करना चाहिए और साथ ही चीनी उद्योग में नए युवा उद्यमियों को बढ़ावा देने हेतु अनुकूल वातावरण का भी निर्माण किया जाना चाहिए.

“संसार मंथन” कॉलम का ध्येय है आपको सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में सवालों के उत्तर किस प्रकार लिखे जाएँ, उससे अवगत कराना. इस कॉलम के सारे आर्टिकल को इस पेज में संकलित किया जा रहा है >> Sansar Manthan

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