“सरकार ने UGC को निरस्त कर एक नई संस्था “भारतीय उच्च शिक्षा आयोग” बनाने का निर्णय लिया है. इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी एवं नए आयोग में कौन-सी विशेषताएँ होंगी? स्पष्ट करें” —— GS Paper 2
प्रसंग
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम निरसन विधेयक, 2018) के विषय में सुझाव लेने के लिए इसे सार्वजनिक डोमेन में डाल दिया है. यह विधेयक UGC अधिनियम को निरस्त करना चाहता है. उच्च शिक्षा आयोग का उद्देश्य पूर्णतः अकादमिक मानकों और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है. आयोग के पूर्व चेयरमैन हरि गौतम की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने कहा है कि UGC न तो भारत में तीव्र गति से बढ़ रहे शिक्षण संस्थानों पर लगाम कसने में सफल हो पा रही है और न ही शिक्षा के स्तर को सुदृढ़ करने में. यद्यपि, मंत्रालय ने कमेटी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है परन्तु कई ऐसे कारण गिनाये जा सकते हैं जिनके चलते देश में उच्च शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए आयोग का पुनर्गठन करना जरुरी है.
भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI) के जरिये उच्च शिक्षा क्षेत्र में बेहतर प्रशासन के लिए नियामक एजेंसियों में सुधार की प्रक्रिया शुरू की जायेगी. वैसे, सुधार के लिए कई कदम पहले ही उठाये जा चुके हैं, जैसे :- NAAC में सुधार, विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता देने के विषय में नियम-निर्धारण, कॉलेजों को स्वायत्त स्थिति प्रदान करना, खुले दूरस्थ शिक्षा (Open Distance Learning) के लिए विनियमन, ऑनलाइन डिग्री आदि के लिए विनियमन आदि.
क्या UGC विफल रहा है?
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) उच्च शिक्षा जगत् के विकास हेतु सराहनीय कार्य करता आया है. यदि आँकड़ों की बात की जाए तो UGC की स्थापना के बाद से विश्वविद्यालयों की संख्या 40 गुणा बढ़ गई है और छात्रों के नामांकन में भी सौ गुना वृद्धि हुई है, परन्तु कई संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता का लगातार ह्रास हो रहा है. पर फिर भी UGC इस सम्बन्ध में मात्र मूक दर्शक की भूमिका अदा कर रहा है.
UGC द्वारा उठाये गए निम्नलिखित क़दमों की लोगों ने विशेष रूप से कड़ी निंदा की है –
- शिक्षकों की शिक्षण-अवधि को प्रारम्भ में बढ़ाकर पुनः इसे घटा देने का निर्णय.
- दिल्ली विश्वविद्यालय में पसंद पर आधारित क्रेडिट सेमेस्टर सिस्टम का कार्यान्वयन.
- गैर-NET छात्रवृत्ति को एम.फिल और पीएचडी छात्रों के लिए बंद कर दिया गया और फिर इसे शुरू कर दिया गया.
UGC शिक्षण संस्थानों को दिशानिर्देश देती है परन्तु इसे लागू कराने के लिए पर्याप्त अधिकार इसके पास नहीं हैं. आदेश नहीं मानने की परिस्थिति में फंड रोकने के अलावा संस्थानों को दंडित करने के अधिकार इसके पास नहीं हैं.
भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग निरसन अधिनियम), विधेयक 2018 (HECI) के मुख्य प्रावधान
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का एकमात्र उद्देश्य उच्च शिक्षा की गुणवत्ता एवं शैक्षणिक स्तर में सुधार लाना होगा और इसके द्वारा ऐसे नियम बनाए जाएँगे जिससे कि शोध एवं शिक्षण इत्यादि के लिये मानक तैयार किये जा सकें.
- यह विशेष रूप से उन संस्थानों का मार्गदर्शन करेगा जो अपेक्षित शैक्षिक स्तर को बनाए रखने में असक्षम हैं.
- इसके पास प्रस्तावित कानून में उपलब्ध वैधानिक प्रावधानों के माध्यम से अपने निर्णयों के अनुपालन को सुनिश्चित करने की शक्ति होगी.
- यदि कोई उच्च शिक्षा संस्थान नियमों एवं मानकों का जानबूझ कर या लगातार उल्लंघन कर रहा हो तो HECI के पास उस संस्थान की मान्यता समाप्त करने का पूर्ण अधिकार होगा.
- आयोग के पास इस बात का भी अधिकार होगा वह छात्रों के हितों को प्रभावित किये बिना उन संस्थानों को बंद करने का आदेश दे सके जो कि न्यूनतम मानकों का पालन नहीं कर पा रहे हों.
- आयोग को उन उच्च शिक्षण संस्थानों को सम्मानित करके उन्हें प्रोत्साहित करना होगा जो शिक्षा, शिक्षण एवं शोध के क्षेत्र में सर्वोत्तम पद्धतियाँ अपना रहे हों.
- अन्य नियामक संस्थाओं, मुख्य रूप से AICTE और NCTE, के प्रमुखों को सम्मिलित करने से आयोग और मजबूत होगा. इसके अतिरिक्त आयोग के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में विख्यात ऐसे व्यक्ति होंगे जिनमें नेतृत्व का गुण, संस्थानों का विकास करने की प्रमाणित योग्यता और उच्च शिक्षा से संबंधित नीतियों एवं कार्यों का गहन ज्ञान हो.
- विधेयक में दण्डित करने के प्रावधान भी हैं जैसे – उपाधि या प्रमाण पत्र जारी करने के अधिकार को वापस लेना, शैक्षिक गतिविधियों को रोकने का आदेश आदि. जिन मामलों में जानबूझ कर नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है ऐसे मामलों में HECI को अधिकार होगा कि वह भारतीय अपराध संहिता (IPC) की ऐसी धाराओं के तहत मुकदमा चलाए जिसमें अधिकतम तीन वर्ष के कारावास की सजा हो सकती है.
- देश में मानकों के निर्धारण और उनमें समन्वय के लिये आयोग को सलाह देने के लिये एक सलाह समिति होगी. इसमें राज्यों की उच्च शिक्षा परिषदों के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष शामिल होंगे और इसकी अध्यक्षता केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा की जायेगी.
- आयोग उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा वसूले जाने वाले शुल्क को निर्धारित करने के लिये मानक और प्रक्रिया भी बनायेगा और साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों, जैसा मामला हो, को शिक्षा को सबके लिये सुलभ बनाने के लिये जरूरी कदमों की जानकारी भी देगा.
- एक राष्ट्रीय आँकड़ा कोष के माध्यम से आयोग ज्ञान के नये उभरते क्षेत्रों में हो रहे विकास और सभी क्षेत्रों में उच्च शिक्षा संस्थानों के संतुलित विकास पर नज़र रखेगा. आयोग का ध्येय होगा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा की गुणवत्ता को प्रोत्साहित करने से संबंधित सभी मामलों की निगरानी करना.
विधेयक में प्रस्तावित परिवर्तनों के पीछे मार्गनिर्देशक सिद्धांत –
- सरकार के हस्तक्षेप को न्यूनतम कर कार्य पर ध्यान केन्द्रित करना
- अनुदान की व्यवस्था को अलग करना
- निरीक्षण पर आधारित व्यवस्था की समाप्ति
- शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर
- संस्थाओं को नियंत्रित करने का अधिकार
अधिनियम में यह होना चाहिए कि शिक्षण और अनुसंधान दोनों को एक दूसरे से मिला दिया जाए और उन्हें अलग-अलग नहीं रखा जाए, जैसा कि आजकल होता है. इनके अलग-अलग होने से न शिक्षण को लाभ हुआ और न ही शोध में सुधार हुआ.
छात्रों को शोध करने की प्रेरणा तभी मिलेगी जब उनकी पहुँच अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं तक होगी और इनका उठाना-बैठना अच्छे-अच्छे विद्वानों के साथ होगा. विद्वानों को भी इन युवा जिज्ञासु छात्रों के संसर्ग से कहीं न कहीं लाभ पहुँचेगा.
निष्कर्ष
आजकल के शिक्षण संस्थान डिग्री बाँटने के कारखानें बन कर रह गए हैं, वहाँ शिक्षा की गुणवत्ता का अभाव है. आज आवश्यकता है कि शिक्षण संस्थानों में ऊँची गुणवत्ता वाली शिक्षा मिले और उत्कृष्ट शोध हों. इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए आयोग को एक सशक्त एजेंसी के रूप में उभरना होगा.
ऐसा भी देखा गया है कि कई बार सामजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्र उच्च-स्तरीय शिक्षा को प्राप्त करने में कई दिक्कतों का सामना करते हैं. बहुधा वे निराश होकर आत्महत्या भी कर लेते हैं. UGC को इन संस्थानों पर लगाम कसना चाहिए जो पिछड़े और संपन्न वर्ग छात्रों के बीच भेद करते हों.
आज सरकार के सामने शिक्षा का बाजारीकरण खत्म करने, सरकार द्वारा वित्तपोषित समान शिक्षा व्यवस्था लागू करने, प्राथमिक से उच्च और पेशेवर शिक्षा में सभी को समान अवसर देने, सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की बड़ी चुनौती है.
इसी तरह के कुछ ज्वलंत मुद्दों को हम नियमित तौर पर सवाल और विस्तृत उत्तर के साथ आपके सामने प्रस्तुत करेंगे जिससे कि आपको मुख्य परीक्षा में कैसे लिखना है, इसकी थोड़ी-बहुत समझ प्राप्त हो. सारे आर्टिकल्स को हमने इस पेज पर संकलित करेंगे >>> Sansar Manthan
6 Comments on “[संसार मंथन] उच्च शिक्षा आयोग (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम निरसन विधेयक, 2018)”
Thanks a lot sir
Sir please ancient india question ka v mains ka note,provide kijiye
Bahut2 dhanyavad
Thanks sir, ras se related topics send kro sir
Bhai aap pura shamj gye UCG ko…😊
very Interesting