हरित साख योजना – Green Credit Scheme in Hindi

RuchiraGovt. Schemes (Hindi)

वन परामर्शदात्री समिति (Forest Advisory Committee) ने हरित साख योजना (Green Credit Scheme) के कार्यान्वयन के लिए अनुमोदन दे दिया है.

हरित साख योजना की मुख्य विशेषताएँ

  • हरित साख योजना एक जींस के रूप में वनों का व्यापार करने की अनुमति देती है.
  • इस योजना के अंतर्गत वन विभाग पुनर्वनीकरण से सम्बंधित अपने दायित्व को अ-सरकारी एजेंसियों को सौंपने का अधिकार दिया जाता है.

हरित साख योजना का कार्यान्वयन

  • यह योजना भूमि की पहचान करने और वनरोपण करने के लिए एजेंसियों को अधिकार देती है. ये एजेंसियां या तो निजी कम्पनियाँ हो सकती हैं या कोई ग्राम्य वन समुदाय (village forest communities).
  • तीन वर्षों के बाद यदि वन विभाग के सभी मानदंड पूरे होते हों तो उस भूमि को क्षतिपूरक वन भूमि (compensatory forest land) मान लिया जाएगा.
  • तत्पश्चात् यदि किसी उद्योग को वनभूमि चाहिए तो वह एजेंसी के पास पहुंचेगा और पुनर्वनीकृत भूखंड के लिए भुगतान करेगा और वह भूमि वन विभाग को दे दी जायेगी जो उसे एक वन भूमि के रूप में अभिलिखित कर लेगा.
  • इस प्रक्रिया में सम्मिलित होने वाली एजेंसी अथवा ग्राम्य वन समुदाय को वन भूखंड की सम्पदाओं का टुकड़ों-टुकड़ों में व्यापार करने का अधिकार होगा.

वर्तमान परिवेश

  1. वर्तमान में जो प्रणाली चल रही है उसके अन्दर एक उद्योग यदि कोई वन भूखंड लेता है तो उसे उसके बदले उचित आकार का गैर-वन भूखंड देना पड़ता है जिससे कि खोये हुए वन की क्षतिपूर्ति हो सके.
  2. इसके अतिरिक्त उद्योग को सम्बंधित वन भूखंड के शुद्ध वर्तमान मूल्य (Net Present Value) के समतुल्य बाजार में चल रहा दाम वन विभाग को देना पड़ता है.
  3. तब जाकर वन विभाग का यह दायित्व बनता है कि वह उसे सौंपी भूमि को समय-समय पर वृक्षारोपण करते हुए उसे फिर से जंगल के रूप में बदल डाले.

ग्रीन क्रेडिट स्कीम की आवश्यकता क्यों पड़ी?

  1. उद्योगों को यह शिकायत रहती थी कि उन्हें वांछित वनभूमि के लिए उस वनभूमि के सटे ही एक उपयुक्त गैर-वन भूखंड देना पड़ता था जो एक अति कठिन कार्य था.
  2. पिछले कई दशकों से केंद्र सरकार को 50,000 करोड़ रुपयों का राजस्व प्राप्त हो चुका है. किन्तु प्राप्त धनराशि इसीलिए बिना खर्च के पड़ी रह जाती है कि राज्य सरकारें उस धनराशि को फिर से वन लगाने के काम में खर्च नहीं कर पाती हैं.
  3. राज्यों को अगस्त, 2019 तक 47,000 करोड़ रूपये विमुक्त किये जा चुके हैं, पर इस राशि से जंगलों का कायाकल्प हुआ हो ऐसा नहीं दिखता.

योजना का माहात्म्य

यह योजना लोगों को पारम्परिक वन भूमि के बाहर पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहन देती है. हम लोगों ने सतत विकास लक्ष्य के लिए जो अंतर्राष्ट्रीय वचन दिए हैं उनको पूरा करने में इस योजना से सहायता मिलेगी. साथ ही वनरोपण से सम्बन्धित देश के अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में भी यह सहायक होगी.

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