बोड़ो समस्या के हल के लिए NDFB, ABSU के साथ समझौता

Sansar LochanGovernance

Govt signs accord with NDFB, ABSU to resolve Bodo issue

भारत सरकार के गृह मंत्रालय, असम सरकार और बोड़ो समूहों ने पिछले दिनों एक समझौते पर हस्ताक्षर किये जिसके द्वारा असम में बोड़ो लैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट (BTAD) का मानचित्र और नामकरण फिर से किया गया.

ज्ञातव्य है कि वर्तमान में BTAD जिला असम के इन चार जिलों में फैला हुआ है – कोकरझाड़, चिराँग, बक्सा और उदलगिरी.

समझौते का विहंगम स्वरूप

  • वर्तमान BTAD क्षेत्र से उन क्षेत्रों को हटाया जाएगा जहाँ बोड़ो नहीं रहते हैं और उन क्षेत्रों को जोड़ा जायेगा जहाँ बहुतायत से रहते हैं.
  • नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोड़ो लैंड अर्थात् NDFB गुटों के उन सदस्यों के विरुद्ध पंजीकृत आपराधिक वादों को असम सरकार वापस ले लेगी जिनके अपराध अजघन्य प्रकृति के हैं तथा जिन वादों में जघन्य अपराध का आरोप है उन वादों की समीक्षा की जायेगी.
  • बोड़ो आन्दोलन में जो लोग मर गये उनके प्रत्येक परिवार को पाँच लाख रुपये दिए जाएँगे.
  • बोड़ो क्षेत्र में विशेष विकास परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार 1,500 करोड़ रु. का एक विशेष पैकेज मुहैया करेगी.
  • BATD में नया क्षेत्र जोड़ने और निकालने के बारे में निर्णय करने के लिए एक समिति होगी. ऐसा करने से बोड़ो लैंड क्षेत्र में विधान सभा सीटों की संख्या वर्तमान के 40 से बढ़कर 60 हो सकती है.

बोड़ो समझौते का माहात्म्य

  • इस समझौते पर हस्ताक्षर होते ही 50 वर्ष से चलता आया बोड़ो संकट समाप्त हो जाएगा.
  • केंद्र और असम सरकार NDFB(P), NDFB(RD) और NDFB(S) के 1,500 के लगभग व्यक्तियों का पुनर्वास करेगी और उन्हें मुख्य धारा में ले आएगी.
  • समझौते के उपरान्त NDFB के सभी गुट हिंसा का मार्ग त्याग देंगे, अपने हथियार डाल देंगे और अपने सशस्त्र संगठनों को एक महीने में विघठित कर देंगे.

क्या है बोड़ो लैंड का मुद्दा?

  • 1960 के दशक से ही बोड़ो अपने लिये अलग राज्य की मांग करते आए हैं.
  • असम में इनकी ज़मीन पर अन्य समुदायों का आकर बसना और ज़मीन पर बढ़ता दबाव ही बोड़ो असंतोष के कारण हैं.
  • अलग राज्य के लिये बोड़ो आंदोलन 1980 के दशक के बाद हिंसक हो गया और तीन धड़ों में बंट गया. पहले का नेतृत्व नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोड़ो लैंड ने किया, जो अपने लिये अलग राज्य चाहता था. दूसरा समूह बोड़ो लैंड टाइगर्स फोर्स है, जिसने अधिक स्वायत्तता की मांग की. तीसरा धड़ ऑल बोड़ो स्टूडेंट्स यूनियन है, जिसने मध्यम मार्ग की तलाश करते हुए राजनीतिक समाधान की मांग की.
  • बोड़ो अपने क्षेत्र की राजनीति, अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक संसाधन पर जो वर्चस्व चाहते थे, वह उन्हें 2003 में मिला. तब बोड़ो समूहों ने हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्यधारा की राजनीति में आने पर सहमति जताई.
  • इसी का नतीजा था कि बोड़ो समझौते पर 2003 में हस्‍ताक्षर किये गए और भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत बोड़ो लैंड क्षेत्रीय परिषद का गठन हुआ.

NDFB क्या है?

  • एनडीएफबी अर्थात् नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोड़ो लैंड एक ऐसा संगठन है जिसका उद्देश्य असम से बोड़ो बहुल इलाके को अलग कर एक स्वतंत्र और संप्रभु बोड़ो लैंड देश की स्थापना है. भारत सरकार ने इस ग्रुप को आतंकी गुट की श्रेणी में डाल रखा है.
  • एनडीएफबी में दो गुट हैं, पहला आईके सांग्बिजित के नेतृत्व में एनडीएफबी(एस). जो भारत सरकार से वार्ता के पक्ष में है. वहीं, दूसरा धड़ा एनडीएफबी(आर-बी) रंजन डायमरी के नेतृत्व में जो हमेशा से संघर्ष का ही रास्ता अख्तियार करता रहा है. हालांकि पहले दोनों धड़े एक ही थे, लेकिन साल 2012 के बाद से दोनों धड़े अलग हुए हैं. ज्यादातर हमलों के लिए एनडीएफबी(आर-बी) ग्रुप ही जिम्मेदार है.
  • लगभग 28 साल पहले 1986 में बना ये संगठन सामूहिक नरसंहार के लिए कुख्यात है और ऐसे हमलों में वो अब तक हजार से भी ज्यादा लोगों की जान ले चुका है.
  • इस ग्रुप में फिलहाल 1200 के करीब आतंकी हैं, जो अक्सर सुरक्षा बलों और गैर बोड़ो समुदाय पर हमला करते रहते हैं. एक समय ये संख्या 3500 से ज्यादा थी, लेकिन भारत और भूटानी सुरक्षा बलों के अभियानों और आंतरिक फूट के चलते इसकी ताकत कम हो रही है. जिसकी बौखलाहट में इस संगठन ने अपने हमलों को तेज कर दिया है.

बोड़ो कौन हैं?

  • बोड़ोपूर्वोत्तर भारत के असम राज्य के मूल निवासी हैं और भारत की एक महत्वपूर्ण जनजाति हैं. बोड़ो समुदाय स्वयं एक बृहत बोड़ो-कछारी समुदाय का हिस्सा माने जाते हैं.
  • सन् 2011 की भारतीय राष्ट्रीय जनगणना में लगभग 20 लाख भारतीयों ने स्वयं को बोड़ो बताया था जिसके अनुसार वे असम की कुल आबादी के 5 . 5% हैं. भारतीय संविधान की छठी धारा के तहत वे एक अनुसूचित जनजाति हैं.
  • बोड़ो लोगों की मातृभाषा भी बोड़ो भाषा कहलाती है, जो एक ब्रह्मपुत्री भाषा है.
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