[Sansar Editorial] 2019 में संपन्न G20 शिखर सम्मेलन और इसके निहितार्थ

Sansar LochanSansar Editorial 2019

पिछले दिनों यूरोपीय संघ के समेत 19 देशों के नेताओं की G20 शिखर बैठक जापान के ओसका में सम्पन्न हुई.

G_20 2019 highlights

2019 में सम्पन्न G-20 बैठक के मुख्य तथ्य

  • G-20 में शामिल सारे देश समुद्र प्रदूषण प्रबंधन, लैंगिक समानता और भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए ठोस प्रयास जैसे मुद्दों पर सर्वसम्मत देखे गये. इस वर्ष के जी 20 शिखर सम्मेलन में व्यापार, ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन आदि विषयों पर अधिक जोर दिया गया.
  • भारत ने आगामी पांच वर्षों में पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा.
  • इसके अतिरिक्त, भारत ने सामाजिक क्षेत्र को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनाने का संकल्प लिया और बुनियादी ढांचे के विकास, विशेष रूप से डिजिटल बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करने का संकल्प लिया.
  • हालाँकि, भारतीय पीएम ने संसाधनों की कमी को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि “बुनियादी ढांचे में लगभग $ 1.3 ट्रिलियन निवेश की कमी है.”
  • जी -20 शिखर सम्मेलन के अवसर पर, भारत और जापान ने अहमदाबाद – कोबे सिस्टर सिटी पार्टनरशिप पर लेटर ऑफ इंटेंट का आदान-प्रदान किया.
  • भारत ने जी 20 देशों को आपदा के प्रतिरोध के सम्बन्ध में एक वैश्विक गठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया. भारत ने कहा कि आपदाओं को त्वरित और प्रभावी उपचारात्मक उपायों की आवश्यकता होती है क्योंकि वे गरीबों को सबसे अधिक प्रभावित करती हैं.
  • भारत और इंडोनेशिया ने अगले छह वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार के लिए USD 50 बिलियन का लक्ष्य रखा है.
  • जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे द्वारा सुझाए गये डिजिटल अर्थव्यवस्था शिखर सम्मेलन में भारत ने भाग लेने से इनकार कर दिया और कहा कि जी -20 घोषणा में सम्मिलित “विश्वास के साथ डाटा का मुक्त प्रवाह” के लिए अभिकल्पित योजना भारतीय रिज़र्व बैंक के डेटा स्थानीयकरण दिशानिर्देश के विरुद्ध है.
  • यू.एस. ने पेरिस समझौते की प्रशंसा करने वाले एक पैराग्राफ का विरोध किया. उनका कहना था कि इस दस्तावेज़ में व्यापार संरक्षणवाद का उल्लेख नहीं किया गया था.
  • भारतीय प्रधानमन्त्री मोदी (उनका छठा जी -20 शिखर सम्मेलन) ने रूस, अमेरिका, जापान, चीन आदि के अन्य विश्व नेताओं के साथ कई बहुपक्षीय बैठकें कीं.
  • भारत और अमेरिका ने ईरान, 5 जी संचार नेटवर्क, व्यापार और रक्षा सहित विभिन्न द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर जी -20 शिखर सम्मेलन से पहले ही चर्चा कर ली.

JAI और BRICS की त्रि-पक्षीय बैठकें

  • इसके साथ ही भारत ने दो समानांतर त्रि-पक्षीय बैठकों – रूस-भारत-चीन (RIC), जापान-S.- भारत (JAI) और एक अनौपचारिक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन – में भी भाग लिया.
  • JAI त्रिपक्षीय: तीन देशों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र, कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे के विकास के मुद्दों पर चर्चा की. यह जापान-अमेरिका-भारत (JAI) की दूसरी बैठक थी.
  • अनौपचारिक ब्रिक्स बैठक: भारत ने आतंकवाद और नस्लवाद को समर्थन देने वाले सभी माध्यमों को रोकने की आवश्यकता पर बल दिया. भारतीय प्रधानमन्त्री ने आतंकवाद को “मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा” कहा. प्रधानमन्त्री का कहना था कि आतंकवाद निर्दोषों को मारता है और आर्थिक विकास और सामाजिक स्थिरता को बुरी तरह प्रभावित करता है.
  • भारत जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए आक्रामक कदम उठा रहा है और अपनी अक्षय ऊर्जा उत्पादन में तेजी से विस्तार कर रहा है. यह पेट्रोल-डीजल के स्थान पर बिजली से चलने वाले वाहनों के निर्माण के लिए ठोस कदम उठा रहा है.

रूस-भारत-चीन (RIC)

  • रूस-भारत-चीन (RIC) में चीन के राष्ट्रपति शी ने “5G नेटवर्क, उच्च प्रौद्योगिकी, कनेक्टिविटी, ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने” का आग्रह किया. उन्होंने सर्वसम्मति के आधार पर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में सुधार करने का भी आह्वान किया.
  • चीन ने कहा कि संरक्षणवाद और एकपक्षीयता के उदय ने वैश्विक परिदृश्य की स्थिरता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है जिसने विश्व आर्थिक विकास को हमेशा पीछे की ओर ढकेला है.
  • 5G तकनीक विनिर्माण के साथ मोबाइल इंटरनेट को इंटरलिंक कर सकती है. यह “चौथी औद्योगिक क्रांति” के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है और इस क्रान्ति से कारखानों को रोबोट के द्वारा चलाया जा सकता है, चालक रहित वाहन को सड़कों पर दौड़ाया जा सकता है और दूरस्थ सर्जरी को सक्षम करने का सपना पूरा किया जा सकता है.

व्यापार तनाव को कम करना एक अन्य जरुरी चिंता है

  • सबसे अधिक इन्तजार उस समय का था जब राष्ट्रपति ट्रम्प ने चीनी शी जिनपिंग और श्री मोदी के साथ बैठकें कीं यह जानते हुए कि इन तीनों देशों के बीच व्यापार तनाव विद्यमान है. पर अंत में यह बैठक सौहार्दपूर्ण स्वर पर बिना किसी निष्कर्ष के समाप्त हुआ.
  • आशा की जाती है कि भारतीय और अमेरिकी वाणिज्य मंत्री एक बार फिर से बैठेंगे और व्यापार के मुद्दों पर गतिरोध को हल करने की कोशिश करेंगे. अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ बढ़ाने की लगी होड़ का हल जल्द ही निकाल लिया जाएगा.
  • श्री मोदी ने जी -20 बैठक में गंभीर आर्थिक अपराधियों, भगोड़े लोगों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के वित्तपोषण पर सहयोग की आवश्यकता जैसे मुद्दों को उठाया.

G20 क्या है?

  • G 20 1999 में स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय मंच है जिसमें 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की सरकारें और केन्द्रीय बैंक गवर्नर प्रतिभागिता करते हैं.
  • G 20 की अर्थव्यवस्थाएँ सकल विश्व उत्पादन (Gross World Product – GWP) में 85% तथा वैश्विक व्यापार में 80% योगदान करती है.
  • G20 शिखर बैठक का औपचारिक नाम है – वित्तीय बाजारों एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था विषयक शिकार सम्मलेन.
  • G 20 सम्मेलन में विश्व के द्वारा सामना की जा रही समस्याओं पर विचार किया जाता है जिसमें इन सरकारों के प्रमुख शामिल होते हैं. साथ ही उन देशों के वित्त और विदेश मंत्री भी अलग से बैठक करते हैं.
  • G 20 के पास अपना कोई स्थायी कर्मचारी-वृन्द (permanent staff) नहीं होता और इसकी अध्यक्षता प्रतिवर्ष विभिन्न देशों के प्रमुख बदल-बदल कर करते हैं.
  • जिस देश को अध्यक्षता मिलती है वह देश अगले शिखर बैठक के साथ-साथ अन्य छोटी-छोटी बैठकों को आयोजित करने का उत्तरदाई होता है.
  • वे चाहें तो उन देशों को भी उन देशों को भी बैठक में अतिथि के रूप में आमंत्रित कर सकते हैं, जो G20 के सदस्य नहीं हैं.
  • पहला G 20 सम्मेलन बर्लिन में दिसम्बर 1999 को हुआ था जिसके आतिथेय जर्मनी और कनाडा के वित्त मंत्री थे.
  • G-20 के अन्दर ये देश आते हैं – अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका.
  • इसमें यूरोपीय संघ की ओर से यूरोपीय आयोग तथा यूरोपीय केन्द्रीय बैंक प्रतिनिधित्व करते हैं.

G-20 व्युत्पत्ति

1999 में सात देशों के समूह G-7 के वित्त मंत्रियों तथा केन्द्रीय बैंक गवर्नरों की एक बैठक हुई थी. उस बैठक में अनुभव किया गया था कि विश्व की वित्तीय चुनौतियों का सामना करने के लिए एक बड़ा मंच होना चाहिए जिसमें विकसित और विकासशील दोनों प्रकार के देशों के मंत्रियों का प्रतिनिधित्व हो. इस प्रकार G-20 का निर्माण हुआ.

इसकी प्रासंगिकता क्या है?

बढ़ते हुए वैश्वीकरण और कई अन्य विषयों के उभरने के साथ-साथ हाल में हुई G20 बैठकों में अब न केवल मैक्रो इकॉनमी और व्यापार पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है, अपितु ऐसे कई वैश्विक विषयों पर भी विचार होता है जिनका विश्व की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जैसे – विकास, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा, स्वास्थ्य, आतंकवाद की रोकथाम, प्रव्रजन एवं शरणार्थी समस्या.

G-20 के कार्यों को दो भागों में बाँटा जा सकता है –

  • वित्तीय भाग (Finance Track)– वित्तीय भाग के अन्दर G 20 देश समूहों के वित्तीय मंत्री, केंद्रीय बैंक गवर्नर तथा उनके प्रतिनिधि शामिल होते हैं. यह बैठकें वर्ष भर में कई बार होती हैं.
  • शेरपा भाग (Sherpa Track)– शेरपा भाग में G-20 के सम्बंधित मंत्रियों के अतिरिक्त एक शेरपा अथवा दूत भी सम्मिलित होता है. शेरपा का काम है G20 की प्रगति के अनुसार अपने मंत्री और देश प्रमुख अथवा सरकार को कार्योन्मुख करना.

G-20 का विश्व पर प्रभाव

  • G-20 में शामिल देश विश्व के उन सभी महादेशों से आते हैं जहाँ मनुष्य रहते हैं.
  • विश्व के आर्थिक उत्पादन का 85% इन्हीं देशों में होता है.
  • इन देशों में विश्व की जनसंख्या का 2/3 भाग रहता है.
  • यूरोपीय संघ तथा 19 अन्य देशों का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में 75% हिस्सा है.
  • G 20 कि बैठक में नीति निर्माण के लिए मुख्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को भी बुलाया जाता है. साथ ही अध्यक्ष के विवेकानुसार कुछ G20 के बाहर के देश भी आमंत्रित किये जाते हैं.
  • इसके अतिरिक्त सिविल सोसाइटी के अलग-अलग क्षेत्रों के समूहों को नीति-निर्धारण की प्रक्रिया में सम्मिलित किया जाता है.

निष्कर्ष

G-20 एक महत्त्वपूर्ण मंच है जिसमें ज्वलंत विषयों पर चर्चा की जा सकती है. मात्र एक अथवा दो सदस्यों पर अधिक ध्यान देकर इसके मूल उद्देश्य को खंडित करना उचित नहीं होगा. विदित हो कि इस बैठक का उद्देश्य सतत विकास वित्तीय स्थायित्व को बढ़ावा देना है.  आज विश्व में कई ऐसी चुनौतियाँ उभर रही हैं जिनपर अधिक से अधिक ध्यान देना होगा और सरकारों को इनके विषय में अपना पक्ष रखना होगा. ये चुनौतियाँ हैं – जलवायु परिवर्तन और इसका दुष्प्रभाव, 5-G नेटवर्क के आ जाने से गति और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों के बीच संतुलन निर्माण और तकनीक से संचालित आतंकवाद.

अगले वर्ष G-20 की बैठक सऊदी अरब में होगी और फिर 2021 में इटली में होगी. तत्पश्चात् यह बैठक 2022 में भारत में होगी. उस समय यह देखने का विषय होगा कि भारत कौन-कौन सी योजनाएँ ले कर आता है. भारत को चाहिए कि वह G-20 की प्रणाली में व्याप्त कुछ विषमताओं को दूर करते हुए उसे पहले से अधिक कारगर बनाने का प्रयास करे.

Click for all articles >>>

Spread the love
Read them too :
[related_posts_by_tax]