फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2020 प्रतिवेदन की समीक्षा

RuchiraGovernanceLeave a Comment

हाल ही में एक अमेरिकी संगठन फ्रीडम हाउस (Freedom House) ने ‘ फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2020 ’ (The Freedom in the World 2020) नामक एक प्रतिवेदन प्रकाशित किया है. विदित हो कि यह रिपोर्ट अनेक देशों में चुनावी प्रक्रिया, राजनीतिक बहुलवाद, भागीदारी एवं सरकारी कामकाज जैसे राजनीतिक अधिकारों के संकेतकों के आधार पर अंक प्रदान करती है.

फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2020 प्रतिवेदन से सम्बंधित मुख्य तथ्य

  • इस प्रतिवेदन में फिनलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, नीदरलैंड एवं लक्जमबर्ग शीर्ष पाँच स्थानों पर हैं.
  • यह प्रतिवेदन 195 देशों और 15 क्षेत्रों में वर्ष 2019 के दौरान स्वतंत्रता की स्थिति का मूल्यांकन करती है.
  • इस प्रतिवेदन में दो संकेतकों का प्रयोग किया गया है- राजनीतिक अधिकार (0–40 अंक) एवं नागरिक स्वतंत्रता (0–60 अंक).
  • इन अंकों को देशों में व्याप्त स्वतंत्रता की इन तीन स्थितियों के आधार पर प्रदान किया जाता है –  स्वतंत्र (Free), आंशिक रूप से स्वतंत्र (Partly Free) एवं स्वतंत्र नहीं (Not Free).

भारत की स्थिति

  • इस प्रतिवेदन के अनुसार, भारत को दुनिया के स्वतंत्र’ (Free) देशों की श्रेणी में रखा गया है.
  • इस साल के फ्रीडम इन द वर्ल्ड प्रतिवेदन में भारत को 83वाँ स्थान प्राप्त हुआ है.
  • ‘स्वतंत्र’ वर्ग के रूप में वर्गीकृत देशों में सिर्फ ट्यूनीशिया को भारत से कम अंक प्राप्त हुआ है.
  • इस वर्ष भारत को 71 अंक प्राप्त हुए जो पिछले वर्ष की तुलना में 4 अंक कम है.
  • इस वर्ष विश्व के 25 सबसे विशाल लोकतंत्रों के अंक में भारत की गिरावट सबसे अधिक है.
  • भारत ने राजनीतिक अधिकार की श्रेणी में 40 में से 34 स्कोर प्राप्त किये हैं.
  • वहीं नागरिक स्वतंत्रता की श्रेणी में भारत को 60 में से मात्र 37 अंक प्राप्त हुए हैं. विदित हो कि पिछले वर्ष भारत को इस प्रतिवेदन में 75 अंक प्राप्त हुए थे.

भारत की स्थिति पिछले वर्ष की तुलना में कमजोर क्यों?

  • ऐसा अक्सर देखने को मिलता है कि भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी देशों को आवश्यकता से अधिक दिलचस्पी रहती है. इसलिए इस प्रतिवेदन में भी कश्मीर में हो रहे राजनीतिक उठा-पटक, NPR और नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के साथ-साथ विरोध प्रदर्शनों की कार्रवाई आदि को तूल दी गई है और भारत के स्थान को नीचे खिसका दिया गया.
  • प्रतिवेदन में यहाँ तक कह दिया गया कि भारत की राजनीतिक प्रणाली भेदभावपूर्ण है और धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध है.
  • फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2020 के अनुसार ने यह भी अनुमान लगाया कि यदि वर्तमान सरकार इसी तरह से जनता के साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार रखेगा तो भारत में लोकतंत्र लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता है.
  • इस प्रतिवेदन में भारत की तुलना सीधे चीन से कर दी गई. इस रिपोर्ट में कहा गया कि जिस तरह चीन ने हाल के वर्षों में में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उइगर और अन्य मुस्लिम समूहों के विरुद्ध दमनात्मक कदम उठाये हैं और चीन ऐसे आरोपों को सिरे से खारिज करता आया है, ठीक उसी प्रकार वर्तमान मोदी सरकार अपनी हिंदू राष्ट्रवादी नीतियों की आलोचना सह नहीं पाती और इन आरोपों को गलत ठहरा देती है.
  • इस प्रतिवेदन में फ्रीडम हाउस वालों को कश्मीर के इन्टरनेट शटडाउन को लेकर उनके दिल में बहुत कसक महसूस होती है. इसलिए उन्होंने रिपोर्ट में यह व्यक्तव्य दे डाला कि कश्मीर में इंटरनेट शटडाउन को एक लोकतांत्रिक देश द्वारा लगाया गया सबसे लंबा शटडाउन बताया गया.
  • इस प्रतिवेदन के अनुसार, भारत में पत्रकारों, शिक्षाविदों आदि को रोजाना जीवन में उत्पीड़न और धमकियों का सामना करना पड़ता है.  भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की स्थिति दयनीय है.

फ्रीडम हाउस

  • फ्रीडम हाउस विश्व-भर में लोकतंत्र के समर्थन और संरक्षण हेतु समर्पित सबसे प्राचीन अमेरिकी संगठन है.
  • द्वितीय विश्वयुद्ध के अंतराल अमेरिकी भागीदारी और फासीवाद के विरुद्ध लड़ाई को प्रोत्साहन देने के लिए इसे 1941 में न्यूयॉर्क में औपचारिक रूप से इसकी स्थापना हुई थी.
  • यह हाउस राजनीतिक अधिकारों एवं नागरिक स्वतंत्रता पर विश्लेषण करने के साथ-साथ मानव अधिकारों की रक्षा और लोकतांत्रिक परिवर्तन को प्रोत्साहित करने के लिए यथासंभव कार्य करती है.
  • यह अमेरिकी संस्था विश्लेषण, वकालत और कार्रवाई के संयोजन के जरिये स्वतंत्रता हेतु उत्प्रेरक के रूप में काम करती है.

Read our articles here > https://www.sansarlochan.in/polity/

Print Friendly, PDF & Email
Read them too :
[related_posts_by_tax]

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.