भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को बिक्री के 22वें चरण में, 01.10.2022 से 10.10.2022 तक अपनी 29 अधिकृत शाखाओं (संलग्न सूची के अनुसार) के माध्यम से चुनावी बॉण्ड (electoral bond) जारी करने और भुनाने के लिए अधिकृत किया गया है।
चुनावी बॉण्ड जारी होने की तारीख से 15 कैलेंडर दिनों के लिए वैध होंगे और वैधता अवधि की समाप्ति के बाद चुनावी बॉन्ड जमा किए जाने पर किसी भी प्राप्तकर्ता राजनीतिक दल को कोई भुगतान नहीं किया जाएगा। एक पात्र राजनीतिक दल द्वारा अपने खाते में जमा किए गए चुनावी बॉण्ड की राशि उसी दिन खाते में जमा हो जाएगी। चलिए समझते हैं क्या है Electoral Bond Scheme? ये सब हम सरल हिंदी (Details in Hindi) भाषा में समझने की कोशिश करेंगे.
पृष्ठभूमि
केंद्र सरकार ने चुनाव में राजनैतिक दलों के चंदों को लेकर बांड (electoral bond) की योजना का एलान किया था. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2 जनवरी, 2018 मंगलवार को बताया कि चुनावी बांड से राजनैतिक चंदे की वर्तमान प्रणाली में पारदर्शिता आयेगी.
वर्ष 2017-18 के बजट में चुनावी बॉण्ड की घोषणा की गई थी.
वर्तमान स्थिति
भारत में चुनाव में राजनैतिक दल बहुत पैसा लगाते हैं. इन पैसों का स्रोत क्या होता है? वस्तुतः इसके लिए हर दल चंदा लेता है. चन्दों के बारे में वर्तमान में यह नियम है कि 20,000 रु. से अधिक का चंदा cheque के माध्यम से दिया जाए. बीस हजार रुपये से कम का चंदा बिना किसी रसीद के दिया जा सकता है. राजनैतिक दल इस प्रावधान का भरपूर लाभ उठाते हैं. उनका अधिकांश पैसा बिना रसीद ही आता है. अर्थात् उनका अधिकांश पैसा 20,000 – 20,000 रु. कर के आता है. इस प्रकार सम्बंधित राजनैतिक दल हिसाब देने से बच जाता है. यह स्पष्ट है कि बिना रसीद के लिए-दिए गए यह पैसे काला धन ही होते हैं. जिनके पास काला धन है वे ही यह चंदा अपने स्वार्थ के लिए दिया करते हैं. यह पैसा राजनैतिक दल के पास पहुँचकर स्वयं एक नया काला धन हो जाता है. हम कह सकते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में काला धन का यह बहुत बड़ा भण्डार है. यदि काले धन को मिटाना है तो राजनैतिक चंदे की इस प्रणाली को भी मिटाना आवश्यक है.
आवश्यकता है कि किसी दल को दिया जाने वाला चंदा पाई-पाई किसी बैंक के माध्यम से लिया-दिया जाए. बहुत दिनों से इस दिशा में उचित प्रस्ताव की तैयारी चल रही थी. इसी सन्दर्भ में भारत सरकार ने चंदा आदान-प्रदान की एक नई प्रणाली लागू करने की घोषणा की है जिसमें सरकार के द्वारा चुनावी बॉण्ड (electoral bond) जारी करने का प्रावधान है. इसी के बारे में हम नीचे जानने का प्रयास करेंगे.
चुनावी बॉण्ड से सम्बंधित प्रमुख तथ्य
- ये electoral bonds भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से मिलेंगे.
- चुनावी बांड की न्यूनतम कीमत Rs.1000 और अधिकतम एक करोड़ रुपये तक होगी.
- इलेक्टोरल बांड 1,000 रु., 10,000 रु., 1 lakh रु, 10 lakh रु. और 1 crore रु. denomination के होंगे.
- हर महीने 10 दिन बांड की बिक्री होगी.
- परन्तु जिस वर्ष लोक सभा चुनाव होंगे उस वर्ष भारत सरकार द्वारा बांड खरीदने के लिए 30 दिन (extra) और दिए जायेंगे.
- बांड जारी होने के 15 दिनों के भीतर उसका इस्तेमाल चंदा देने के लिए करना होगा.
- चुनाव आयोग में registered party से पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% वोट मिले हों, उसे ही बांड दिया जा सकेगा.
- Electoral Bond राजनैतिक दल के रजिस्टर्ड खाते में ही जमा होंगे और हर राजनैतिक दल को अपने सालाने प्रतिवेदन में यह बताना होगा कि उसे कितने बांड मिले.
- चुनावी बांड देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी.
- चुनावी बांड पर कोई भी ब्याज नहीं मिलेगा.
चुनावी बॉण्ड के फायदे – Benefits of Electoral Bond in Hindi
- अक्सर ब्लैक मनी वाले पार्टी को चंदा दिया करते थे. अब यह संभव नहीं होगा क्योंकि अब कैश में transanction न होकर बांड ख़रीदे जायेंगे.
- पार्टी को बांड देने वालों की identity बैंक के पास होगी.
- अक्सर बोगस पार्टियाँ पैसों का जुगाड़ करके चुनाव लड़ती हैं. इस पर अब रोक लग सकेगी क्योंकि उन्हें पार्टी फण्ड के रूप में बांड तभी दिए जा सकेंगे जब तक उनको पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% vote मिले हों.
GS Paper 2 Question
काले धन को समाप्त करने की दिशा में Electoral Bond Scheme कहाँ तक सहायक सिद्ध हो सकती हैं? अपना मंतव्य दें.
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3 Comments on “चुनावी बॉण्ड योजना”
Thank you so much for this easiest definition….. Thnx a lot
Hame bhi padna hai. Good notes about electoral bonds in Hindi
very good article with ease language.