राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights – NCPCR), बाल अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ शिकायतों के निवारण के लिए ऑनलाइन पोर्टल “ई-बाल निदान” को नया रूप देने जा रहा है। नई सुविधाओं में शिकायत की प्रकृति के आधार पर किशोर न्याय, पॉक्सो, श्रम और शिक्षा जैसे विषयों में शिकायतों का विभाजन शामिल है।
UPSC Syllabus: यह टॉपिक GS Paper 2 के अंतर्गत सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप में आएगा.
ई-बाल निदान पोर्टल क्या है?
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत अपने शासनादेश और कार्यों को पूरा करने के लिए 2015 में ऑनलाइन शिकायत प्रणाली “ई-बाल निदान” विकसित किया था।
- यह वेब पते के साथ एक ऑनलाइन पोर्टल www.ebaalnidan.nic.in है, जिसमें कोई भी व्यक्ति किसी बच्चे के अधिकार के खिलाफ किए गए किसी भी उल्लंघन के बारे में शिकायत दर्ज करा सकता है और इस तरह के पंजीकरण के बाद शिकायतकर्ता को शिकायत पंजीकरण संख्या (registeration number) मिल जाएगी।
- इस नंबर के जारी शिकायतकर्ता द्वारा आयोग में शिकायत के निवारण की प्रगति का पता लगाया जा सकता है।
- NCPCR ने वर्ष 2022 में नई सुविधाओं को शामिल करने के लिए इस पोर्टल को नया रूप दिया है, जो शिकायतों से निपटने के दौरान शिकायतकर्ताओं के साथ-साथ आयोग के लिए भी फायदेमंद होगा.
- एनसीपीसीआर राज्य आयोगों को यूजर आईडी और पासवर्ड उपलब्ध कराएगा ताकि वे पोर्टल पर दर्ज शिकायतों को देख सकें आवश्यक कार्रवाई कर सकें। पोर्टल के पास एनसीपीसीआर से पंजीकृत शिकायतों को संबंधित राज्य आयोग को स्थानांतरित करने का विकल्प होगा।
- कुछ नई विशेषताओं में यंत्रीकृत और समयबद्ध तरीके से शिकायत की प्रकृति के आधार पर बाल अपराध न्याय, पॉक्सो, श्रम, शिक्षा आदि जैसे विषयों में शिकायतों का विभाजन, आयोग में आंतरिक निगरानी और शिकायतों का हस्तांतरण, हर स्तर पर शिकायतों की अधिक से अधिक ट्रैकिंग शामिल है।
- राज्य आयोगों को यूजर आईडी और पासवर्ड उपलब्ध कराएगा ताकि वे पोर्टल पर दर्ज शिकायतों को देख सकें और आवश्यक कार्रवाई कर सकें। इसके अतिरिक्त, पोर्टल के पास NCPCR से पंजीकृत शिकायतों को संबंधित राज्य आयोग को स्थानांतरित करने का विकल्प होगा, यदि राज्य आयोग पहले ही मामले का संज्ञान ले चुका है। यदि वे शिकायत समाधान में NCPCR की भागीदारी चाहते हैं तो राज्य आयोगों को संयुक्त जाँच का विकल्प भी प्रदान किया जाएगा।
- यह शिकायतकर्ता के लिए शिकायतों के निवारण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाता है और आयोग द्वारा मामलों के समय पर निपटान में मदद करता है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के बारे में
- NCPCR का गठन मार्च 2007 में बाल अधिकार संरक्षण आयोग (CPCR) अधिनियम, 2005 के तहत एक वैधानिक निकाय के रूप में किया गया था।
- इस आयोग में एक अध्यक्ष और 6 सदस्य होते हैं जिनमें से कम से कम दो महिलाएँ होना आवश्यक है। सभी सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है, तथा इनका कार्यकाल 3 वर्ष का होता है। आयोग के अध्यक्ष की अधिकतम आयु 65 वर्ष तथा सदस्यों की अधिकतम आयु 60 वर्ष होती है।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग के कार्य
- यह आयोग सुनिश्चित करता है कि भारत के सभी कानून, नीतियाँ, कार्यक्रम और प्रशासनिक तंत्र, संविधान में निहित बाल अधिकार के प्रावधानों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र कन्वेशन के बाल अधिकारों के अनुरूप भी हों।
- आयोग को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम, 2012 के उचित एवं प्रभावी क्रियान्वयन की निगरानी करना भी अनिवार्य है; बाल अपराध न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 और नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009, सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत निर्धारित कार्यों में से एक में आयोग को सौंपा गया है।
- आयोग बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए वर्तमान में लागू किसी कानून द्वारा या उसके तहत प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों की जांच और समीक्षा करने और उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए उपायों की सिफारिश करने का कार्य करता है।
आगे की राह
पोर्टल शिकायतकर्ता के लिए शिकायतों के निवारण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगा और आयोग द्वारा मामलों के समय पर निपटान में मदद करेगा।
Tags: Online portal ‘E-Baal Nidan’ for violation of child rights in Hindi.
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