अक्टूबर 2022 में “क्यूबा मिसाइल संकट” को 60 वर्ष हो गए हैं। इसी संकट से विश्व को पता चला कि परमाणु युद्ध कितनी सरलता से शुरू किया जा सकता है।
क्यूबा संकट की पृष्ठभूमि
क्यूबा मध्य अमेरिका में वेस्टइंडीज का सबसे बड़ा टापू है। 1959 से पूर्व वहां अमेरिकी समर्थित सरकार थी लेकिन 2 जून 1959 को फिडेल कास्त्रो के नेतृत्व में हुई साम्यवादी क्रांति ने तख्ता पलट दिया और क्यूबा अब सोवियत समर्थक बन गया।
क्यूबा मिसाइल संकट
क्यूबा में कास्त्रो की साम्यवादी सरकार को सोवियत संघ ने नाभिकीय हथियारों तथा प्रक्षेपात्रों से लैस करना शुरू कर दिया।
क्यूबा में रूसी सैनिक अड्डे की स्थापना अमेरिकी सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा संकट थी क्योंकि क्यूबा अमेरिकी मुख्य भूमि से केवल 90 मील की दूरी पर स्थित है।
अमेरिकी राष्ट्रपति कैनेडी ने क्यूबा में सैनिक अड्डे की स्थापना की निंदा करते हुए अक्टूबर 1962 को क्यूबा की नाकेबंदी की घोषणा की, जिसका उद्देश्य अमेरिकी जहाजों द्वारा क्यूबा को घेर लेना था, ताकि वहां सोवियत संघ से भेजी जाने वाली सैन्य सामग्री न पहुँच सके। कैनेडी का यह कदम सोवियत संघ के लिए स्पष्ट चुनौती था कि या तो वह क्यूबा को सैन्य सहायता बंद करें अथवा युद्ध युद्ध के लिए तैयार हो जाए।
संयुक्त राष्ट्र के दखल के बाद 29 अक्टूबर 1962 को सोवियत संघ के राष्ट्रपति ख्रुश्चेव ने क्यूबा से सोवियत सैनिक अड्डे उठा लेना स्वीकार किया। बदले में अमेरिका ने भी तुर्की और इटली से परमाणु मिसाइलों को हटाने का गुप्त समझौता किया था।
प्रभाव
इससे अमेरिका ने सबक सीखा कि लेटिन अमेरिकी राज्यों को साम्यवाद का शिकार ना होने देने के लिए यह आवश्यक है कि उन राज्यों में संयुक्त राष्ट्र के प्रभाव को बढ़ाया जाए तथा उन्हें खुलकर आर्थिक सहायता दी जाए जिससे कि वे विकसित होकर अपने पैरों पर खड़े हो सके। सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमरीका के मध्य एक हॉटलाइन सेवा शुरू की गई। वर्ष 1963 में सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमरीका और ब्रिटेन ने परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर किये।
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