CPI, WPI, IIP और GDP Deflator: Inflation के मापक in Hindi

Sansar LochanEconomics Notes, Sector of Economy

wpi_cpi

आज हम CPI, IIP, WPI और GDP Deflator के विषय में जानेंगे. ये तीनों tools का प्रयोग भारत (India) में inflation को नापने के लिए किया जाता है.

भारत में महंगाई (inflation) को कैसे measure किया जाए?

तीन प्रकार से:–

  1. WPI (थोकमूल्य सूचकांक)
  2. CPI (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक)
  3. GDP Deflator

सरकार राजकोषीय नीति बनाने के लिए, आर्थिक नीति बनाने किये इन index का प्रयोग करती है. पर ये index हैं क्या? ये क्या दिखलाते हैं? असल में ये सारे indicators विभिन्न उत्पादों के दाम को सरकार या RBI के सामने रखती हैं जिससे भविष्य में सरकार को देश के लिए उचित आर्थिक निर्णय लेने में मदद मिलती है.

इस आर्टिकल में हम आपके सामने wpi, cpi, iip और gdp deflator से सम्बन्धित कई तथ्यों को बारी-बारी से रखेंगे. पूरे आर्टिकल में इनके अंतर्गत (in their baskets)आने वाले commodities and categories की ही बात होगी जैसे इनमें से कौन से index में कितने categories/commodities को inflation measurement के लिए रखा जाता है आदि.

महंगाई मापने के लिए भारत में भी कई देशों की ही तरह कई सूचकांकों का प्रयोग किया जाता है.  इन सभी indices का प्रयोग government, exporters, importers, producers और consumers की सुविधा के लिए किया जाता है. मूलतः WPI और CPI indices का प्रयोग भारत में हो रहे price movements के लिए किया जाता है. WPI के commodity का range चूँकि बहुत विस्तृत है, इसका weighing diagram भी सटीक है…इसलिए headline inflation के लिए इसी का प्रयोग किया जाता है.

गणित के हिसाब से जब हम थोक या ख़ुदरा मूल्य सूचकांक में एक ख़ास समय पर होने वाले बदलाव को हम प्रतिशत के रूप में निकालते हैं, तो उसे ही महँगाई दर (inflation rate) कहते हैं.

WPI (Whole Sale Price Index) 

  1. इसका संकलन ऑफिस ऑफ़ इकनोमिक एडवाइजर करती है जो वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आता है.
  2. एक base year (आधार वर्ष) तय किया जाता है जो फिलहाल 2004 है.
  3. इसको calculate करने के लिए Laspeyres formula का प्रयोग किया जाता है. Laspeyres formula के बारे में अगले आर्टिकल में लिखूंगा.
  4. इस category में जो सामान आते हैं, वे हैं:–
  • प्राथमिक वस्तु (primary articles)—>> दाल, चावल, सब्जियाँ इत्यादि.
  • निर्माण उत्पाद (manufactured articles)—->> रासायनिक उत्पाद, धातु उत्पाद, खाद्य उत्पाद
  • इंधन—->> तेल, बिजली, कोयला

wpi_components

*रासायनिक उत्पाद में कार्बन और उसके यौगिक, एसिड, सोडा, सोडा ऐश, ऑक्सीजन, जिंक ऑक्साइड आदि आते हैं.

*खाद्येत्तर वस्तुओं में- रुई, जूट, ऊन, सिल्क, फाइबर आदि आते हैं.

इस पूरे लिस्ट को ऑफिसियल वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं. इस लिस्ट में आप commodities के weightage को भी जान पायेंगे. Weightage बोले तो…उन product को ऊपर रखा जाता है जिनके prices महत्त्वपूर्ण हैं. उदाहरण के लिए, WPI प्राथमिक वस्तु में सर्वप्रथम खाद्य वस्तुएँ (दाल-चावल आदि) फिर खाद्येत्तर …फिर जाकर खनिज के prices-level को रखा जाता है. दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि खाद्य वस्तुओं के दाम को सबसे अधिक प्राथमिकता दी गयी. यह प्राथमिकता,  उपभोक्ताओं के द्वारा उस ख़ास category पर expenditure करने पर निर्भर करता है. जिस category के commodities पर अधिक खर्च किया जाता है, वह ऊपर रहेगा and vice versa.

पर यह आँकड़े कहाँ से आते हैं?

  • प्राइमरी आर्टिकल का डाटा सम्बंधित मिनिस्ट्री से, केन्द्रीय/राज्य सरकार/सार्वजनिक क्षेत्र उपकरण आदि से मिल जाता है.
  • इंधन और ऊर्जा भी सम्बंधित केन्द्रीय या राज्य मंत्रालय से मिल जाता है.
  • निर्मित उत्पाद (manufactured committees) से सम्बन्धित डाटा अग्रणी निर्माण इकाईयों (manufactured units) से मिलता है.
  • कुल 676 आइटम WPI के अन्दर आते हैं.

आधार वर्ष/Base year क्या और क्यूँ होता है?

>>सबसे पहले हम आधार वर्ष के लिए सभी 676 सामानों के सूचकांक को 100 मान लेते हैं.

>>मान लीजिए हमें वर्ष 2016 के लिए चावल का WPI निकालना है. अभी-अभी हमने जिक्र किया था कि WPI का  base year 2004 है. अगर 2004 में चावल की क़ीमत 8 रूपए प्रति किलो थी और वर्ष 2016 में यह 10 रूपए प्रति किलो है तो क़ीमत में अंतर हुआ = Rs. 2

>>अब इसी अंतर को अगर हम प्रतिशत में निकालेंगे तो 25 % (2/8*100) होता है. आधार वर्ष (2004) के लिए सूचकांक 100 माना गया  है, इसलिए वर्ष 2016  में चावल का थोक मूल्य सूचकांक होगा = 100+25 = 125.

>>इसी तरह सभी 676 commodities के different WPI निकाल कर उन्हें जोड़ दिया जाता है

wpi_base_year

Calculation और Data collection में क्या दिक्कत आ सकती है?

  • कैलकुलेशन करते समय जब office of economic adviser को अगर यह लगता है कि अर्थव्यवस्था में किसी विशेष सामान की उपयोगिता अधिक है तो सूचकांक में उसकी weightage (भारांक) को artificially बढ़ा दिया जाता है जिससे हमारा विश्वास इन figures से उठ जाता है और इन सब tools की निंदा होने लगती है.
  • पर data collection में कई दिक्कतें भी आती हैं. सरकार डाटा देने का काम manufactured units पर छोड़ देती है. वे इस कार्य को लेकर इतने गंभीर नहीं होते हैं और अक्सर अनियमित होते हैं. इसलिए आर्थिक सलाहकार ने अब data collection का कार्य NSSO (National Sample Survey Organisation) को सौंप दिया है. अब NSSO manufactured units से उनके data को collect कर वेबपोर्टल पर डाल देती है.

Headline और Core WPI (wholesale price index) में अंतर

  1. Headline WPI वह इंडेक्स है जिसमें प्राथमिक वस्तु, निर्मित उत्पाद और इंधन के आँकड़े शामिल रहते हैं.
  2. Core WPI में हमें प्राथमिक वस्तु और इंधन सम्मिलित नहीं होते. इसमें केवल non-food निर्मित उत्पाद को जोड़ा जाता है. Non-food निर्मित उत्पाद का अर्थ हुआ—beverages, tobacco & tobacco products, textiles, wood & wood products, paper & paper products,  leather & leather products, rubber & plastic products,  chemicals & chemical products, non-metallic mineral products , basic metals, alloys & metal products, machinery & machine tools, transport, equipment & parts etc.

WPI के आँकड़े (figures) कब-कब प्रकाशित किये जाते हैं?

1.  साप्ताहिक —>>> हर गुरुवार को: प्राथमिक वस्तुओं (primary articles) और पेट्रोलियम, डीजल आदि इंधन के दाम जोड़े जाते हैं.

2. मासिक —>>> महीने के 14वें दिन में सभी उपभोक्ता वस्तुओं के दाम  (prices of all consumer goods) जोड़े जाते हैं..

3. अंतिम रूप से —>>>अंतिम रूप से सभी वस्तुओं के दाम जानने के बाद हर दूसरे महीने (8वाँ सप्ताह) में भी आँकड़े पेश किये जाते हैं.

CPI (Consumer Price Index) 

  1. इसमें 2011 में एक रिफार्म किया गया.
  2. रिफार्म में—कृषि मजदूर, ग्रामीण मजदूर, औद्योगिक श्रमिक और शहरी गैर-श्रम कर्मचारी की श्रेणी को हटाकर मोटे तौर पर तीन categories में बाँट दिया गया—> शहरी+ग्रामीण+(शहरी+ग्रामीण)
  3. 2011 के पहले कृषि, ग्रामीण और औद्योगिक श्रमिक की category को (Labor Bureau) श्रम और रोजगार मंत्रालय देखती थी और औद्योगिक श्रमिक की category को केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO).  पर 2011 के बाद इन सभी को CSO (Central Statistical Organisation) द्वारा ही तैयार किया जाता है.
  4. जनवरी 2015 को इसके  base year को बदलकर 2010 से 2012 कर दिया गया.
  5. CPI के आँकड़े NSSO द्वारा ही संकलित किये जाते हैं और web portal पर डाल दिए जाते हैं.
  6. बीहड़ गाँवों में जहाँ NSSO की पहुँच नहीं है वहाँ डाक अधिकारी यह जिम्मेदारी ले लेते हैं.
  7. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को संज्ञान में रख कर इसके आंकड़े मासिक और वार्षिक निकाले जाते हैं. वार्षिक आँकड़े जब निकाले जाते हैं तो चार्ट में एक महीने पीछे के CPI आँकड़े दिए रहते हैं (फरवरी को जनवरी का, मार्च में फरवरी का ….etc). राज्य और केंद्र शाषित प्रदेश के द्वारा दिए गए आँकड़े अलग से तभी प्रकाशित किये जाते हैं जब उनके पास कम से कम 80% आवश्यक डाटा हो.

अन्य indices के calculation की ही तरह, CPI को base year और current year से कैलकुलेट करते हैं. Base year में commodities in a given basket का क्या price था और current year में क्या price है….बस CPI इसी की तुलना कर के inflation rate को percentage form में दिखाता है.

क्या CPI Headline और Core CPI भी होता है?

हाँ, होता है. CPI Headline में निम्नलिखित categories के आँकड़ों को जोड़ा जाता है—>>

  1. खाद्य पदार्थ
  2. इंधन और ऊर्जा
  3. आवास
  4. कपडे, जूते आदि…
  5. और कई तरह के चीजें— शिक्षा, यातायात, संचार आदि.

(ऊपर के लिस्ट में से) Core CPI में सिर्फ खाद्य पदार्थ के आँकड़ों को जोड़ा जाता है.

IIP (Index of Industrial Production)

  1. यह CPI जैसा ही है.
  2. पर इसका उपयोग औद्योगिक क्षेत्र के commodities के लिए ही किया जाता है जिसमें किसी खास अवधि में उत्पादन की स्थिति के बारे में जानकारी दी जाती है.
  3. Reference month के 6 महीने के बाद हर महीने प्रकाशित किया जाता है. जैसे यदि reference month जनवरी है…तो छः महीने बाद मई, जून, जुलाई आदि महिनों में आँकड़े प्रकाशित किये जाते हैं.
  4. IIP अल्पावधि संकेतक (indicator) है. इसका रिजल्ट वर्ष के अंत में ASI ( Annual Survey of Industries) प्रस्तुत करती है.
  5. IIP के basket में कुल 682 आइटम्स को रखा गया है.
  6. इनके आँकड़ो को भी NSSO संकलित करती है.
  7. IIP अर्थव्यवस्था में हो रहे उत्पादन की मात्रा को दिखाती है.
  8. इन आँकड़ो का use सरकार policies बनाने में करती है. इन आँकड़ो का प्रयोग औद्योगिक संघ, अनुसंधान संस्थान आदि भी करती है.
  9. IIP का डाटा दो रूप में पेश किया जाता है–>>

a) Sector-wise= निर्मित उत्पाद, खनिज, बिजली.

b) Goods-wise= आवश्यक वस्तुएँ जैसे- डीजल, केरोसिन, यूरिया, सीमेंट, लौह उत्पाद, बिजली आदि. पूँजीगत वस्तुएँ जैसे- फैक्ट्री में प्रयोग किये जाने वाले मशीनरी, ट्रांसफार्मर, प्रिटिंग मशीन आदि. मध्यवर्ती वस्तुएँ जैसे- धागा, कील, नल, पाइप, बल्ब आदि. उपभोक्ता के प्रयोग में आने वाली वस्तुएँ (जो तीन साल से अधिक प्रयोग में लाये जा सकें) जैसे- टीवी, फ्रीज, वाशिंग मशीन, मोबाइल आदि. गैर-टिकाऊ वस्तुएँ जैसे- चीनी, चायपत्ती, शराब आदि.

WPI और CPI में अंतर – Difference between WPI and CPI

[table id=9 /]

cpi wpi iip

 

GDP Deflator

  1. GDP deflator की गणना CSO (Central Statistical Organisation) ही करता है जो सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अधीन है.
  2. इसका base year 2011 है.
  3. इसे implicit price deflator के नाम से भी जाना जाता है.
  4. GDP deflator को महंगाई मापने  (inflation measurement) के लिए सबसे भरोसेमंद और व्यापक नंबर माना जाता है मगर RBI या भारत सरकार इसका प्रयोग पॉलिसी बनाने के लिए इसलिए नहीं कर पाती क्योंकि GDP deflator का डाटा तीन महीने (quarterly) पर आता है नाकि साप्ताहिक या मासिक रूप से.
  5. जीडीपी deflator इसलिए भी विश्वसनीय है क्योंकि इसमें केवल घरेलू उत्पादों के prices की गणना की जाती है. WPI में consumers द्वारा खरीदे गए foreign goods को भी जोड़ दिया जाता है.
  6. GDP Deflator में goods and services दोनों को सम्मिलित किया जाता है जबकि अन्य WPI में केवल वस्तुओं को.

All Economics Articles Available Here >> Economics in Hindi

Read them too :
[related_posts_by_tax]