हाल ही में “चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा प्राधिकरण” (China-Pakistan Economic Corridor Authority) के सन्दर्भ में दोहराया है कि कनेक्टिविटी परियोजनाओं में क्षेत्रीय स्वायत्तता का ध्यान रखा जाना चाहिए।
चीन-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर (CPEC) के बारे में
- CPEC चीन के One Belt One Road (OBOR) कार्यक्रम का एक अंग है.
- CPEC 51 अरब डॉलर की कई परियोजनाओं का समूह है.
- प्रस्तावित परियोजना के लिए पाकिस्तान सरकार को जिन संस्थाओं द्वारा धन मुहैया कराया जाएगा, वे हैं – EXIM बैंक ऑफ़ चाइना, चाइना डेवलपमेंट बैंक और इंडस्ट्रियल & कमर्शियल बैंक ऑफ़ चाइना.
- चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का उद्देश्य पाकिस्तान के बुनियादी ढांचों को तेजी से विस्तार करना और उन्नत करना है जिससे चीन और पाकिस्तान के बीच आर्थिक संबंध मजबूत हो जाएँ.
- CPEC अंततोगत्वा दक्षिणी-पश्चिमी पाकिस्तान के ग्वादर शहर को चीन के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र Xinjiang को राजमार्गों और रेलमार्गों से जोड़ेगा.
- CPEC की लम्बाई 3,000 km है जिसमें राजमार्ग, रेलवे और पाइपलाइन बिछेगी.
- इस 3,000 किलोमीटर लम्बे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) में राजमार्ग, रेलवे और पाइपलाइन का निर्माण सम्मिलित है.
चीन-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर को लेकर भारत का विरोध
- इस परियोजना में भारत की ‘संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता’ की अनदेखी की गई है, क्योंकि यह भारत के दावे वाले क्षेत्र से होकर गुजरता है।
- चीन ने CPEC की सुरक्षा के नाम पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 30,000 सैनिकों की नियुक्ति की शुरुआत कर दी है।
- भारत के अनुसार चीन की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के उद्देश्य अस्पष्ट हैं अर्थात् चीन के एजेंडे में पारदर्शिता की कमी है।
- भारत का मानना है कि CPEC केवल एक आर्थिक परियोजना नहीं बल्कि पाकिस्तान पर राजनीतिक नियंत्रण स्थापित करने की चाल है।
Click here for – International Relations Notes in Hindi