Chief Risk Officer (CRO) for NBFCs – The Hindu

Sansar LochanThe Hindu

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 5,000 करोड़ रू. से अधिक की सम्पदा रखने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों (NBFC) को निर्देश दिया है कि वे एक मुख्य जोखिम अधिकारी (CRO) की नियुक्ति करें.

Chief Risk Officer का कार्य

  • जोखिम अधिकारी का सबसे प्राथमिक काम जोखिमों का पता लगाना, इनका आकलन करना तथा इनका निराकरण करना होगा.
  • सभी ऋण उत्पाद (खुदरा अथवा थोक) पर CRO का सत्यापन आवश्यक होगा.
  • CRO ऐसे उत्पादों को संभावित जोखिम की दृष्टि से समीक्षा करेगा.
  • परन्तु ऋण प्रस्तावों के विषय में CRO की भूमिका एक परामर्शी की ही भूमिका होगी.

CRO अपना प्रतिवेदन किसे देगा?

  • RBI ने निर्देश दिया है कि CRO सीधे या तो प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी को या जोखिम प्रबंधन समिति (RMC) को अथवा बोर्ड को प्रतिवेदन देगा.
  • CRO गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनी के व्यवसाय विभाग से प्रतिवेदन का रिश्ता नहीं रखेगा और उसे व्यवसाय से सम्बंधित कोई लक्ष्य भी नहीं दिया जाएगा.

नियुक्ति एवं स्थानान्तरण

  • CRO के रूप में नियुक्त होने वाला व्यक्ति सम्बंधित गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनी में एक वरिष्ठ अधिकारी होगा और उसके पास जोखिम प्रबंधन के क्षेत्र में समुचित व्यवसायिक योग्यता एवं अनुभव होगा.
  • CRO की नियुक्ति बोर्ड के अनुमोदन के साथ एक विशेष समयावधि के लिए होगी.
  • CRO केवल अपना काम देखेगा और उसे कोई दूसरा दायित्व नहीं सौंपा जाएगा.
  • CRO को निर्धारित समयावधि पूरी होने के पहले पद से तभी स्थानांतरित अथवा हटाया जा सकता है जब इसके लिए बोर्ड अपना अनुमोदन दे दे.
  • यदि CRO को समय के पूर्व स्थानांतरित किया जाता है अथवा हटाया जाता है तो इस विषय में भारतीय रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय के गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग को सूचित करना होगा जिसके अधिकार-क्षेत्र में सम्बंधित गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनी का पंजीकरण हुआ है.

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