Chanakya Niti: केवल छात्र जीवन के लिए

Sansar LochanSuccess Mantra

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आज मैं विशेषकर छात्रों के लिए, चाणक्य के कुछ बोल, नीतियाँ (neeti/niti/quotes/vachan) आपके सामने रखूँगा.  छात्रों (students) के लिए Chanakya thoughts बहुत अनमोल हैं. इन विचारों को हमेशा आँख के सामने रखना चाहिए. ये उत्साहवर्धक होते हैं. हमें चाणक्य के विचारों को ग्रहण करके उन्हें अपने जीवन में उतारना भी चाहिए. ये मात्र पढ़ने के लिए नहीं हैं. आप यदि चाहें तो Chanakya Niti को PDF में भी download कर सकते हैं. नीचे download link दिया हुआ है.

Chanakya Niti

१. काम, क्रोध, लोभ, स्वाद, श्रृंगार (रति) कौतिक (मनोरंजन), अतिनिद्रा एवं अतिसेवा- विद्या की अभिलाषा रखने वाले को इन आठ बातों का त्याग कर देना चाहिये।

२. पुस्तकों में लिखी विद्या और दूसरों के पास जमा किया गया धन कभी समय पर काम नहीं आते। ऐसी विद्या या धन को न होने के बराबर ही समझना चाहिए।

३. आलसी व्यक्ति या छात्र का न तो वर्तमान होता है और न भविष्य।

४. इस बात को बाहर मत आने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है, इसे रहस्य ही बनाये रखना अच्छा है और इस काम को करने के लिए दृढ रहिये जब तक कार्य सफल नहीं हो जाता.

५. कभी भी उनसे मित्रता नहीं कीजिये जो आपसे कम या ज्यादा प्रतिष्ठा के हों. ऐसी मित्रता कभी आपको प्रसन्नता नहीं देगी.

६. जल के एक-एक बूँद के गिरने से धीरे-धीरे घड़ा भर जाता है। इसी प्रकार सभी विद्या, धर्म और धन-संचय धीरे-धीरे ही होता है।

७. कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न कीजिये – मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल हो पाऊंगा? जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढ़ना उचित है.

८. जब आप किसी काम की शुरुआत करते हैं तो असफलता से मत डरें और उस काम को ना छोड़ें. जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं वो सबसे प्रसन्न होते हैं और उन्हीं की उन्नति होती है.

९. सुख की अभिलाषा रखने वालों को विद्या प्राप्ति की आशा का त्याग कर देना चाहिये, विद्यार्थी को सुख की आशा का त्याग कर देना चाहिए। सुखार्थी के पास विद्या कहाँ, विद्यार्थी को सुख कहाँ?

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१०. ‘विद्वान की प्रशंसा सभी लोगों में होती है। वह सर्वत्र पूजा जाता है। विद्या से सभी प्रकार का लाभ प्राप्त होता है, विद्या की पूजा सर्वत्र होती है। इसीलिए अधिक से अधिक ज्ञान अर्जन कीजिये.’

११. ऐसी गाय से क्या लाभ, जो न गर्भिणी होती हो, न दूध देती हो। ऐसे पुत्र का क्या लाभ, जो न विद्या से युक्त हो, न जिसमें ईश्वर-भक्ति हो।

१२. प्रवासकाल में विद्या मित्र होती है, घर में पत्नी मित्र होती है, रोगी के लिए औषधि मित्र होती है और मृत्यु के बाद धर्म ही मित्र होता है।

१३. ‘धन से हीन होने पर कोई हीन नहीं हो जाता। वह निश्चय ही धनी है, यदि उसके पास विद्या है। जिसके पास विद्यारूपी रत्न नहीं है, वह प्रत्येक वस्तु से हीन है। उसका धन भी निरर्थक ही है।’

१४. पुस्तकों के पढ़ने से विद्या नहीं आती, वह गुरू के सान्निध्य से प्राप्त होती है। केवल पुस्तकों के ज्ञान को प्राप्त करने वाला विद्वान, सभा में उसी प्रकार अप्रतिष्ठत होता है, जिस प्रकार कोई दुराचारिणी स्त्री गर्भधारण करने पर भी समाज में सम्मानित नहीं होती।

१५. जिसके पास न विद्या है, न तप है, न दान है और न धर्म है, वह इस मृत्युलोक में पृथ्वी पर भार स्वरूप मनुष्य रूपी मृगों के समान घूम रहा है। वास्तव में ऐसे व्यक्ति का जीवन व्यर्थ है. वह समाज के किसी काम का नहीं है। 

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आशा है कि आपको Chanakya Niti का यह संकलन मजेदार और रोचक लगा होगा. ये विशेषतः छात्रों (students) के लिए समर्पित है. ये शिक्षाप्रद चाणक्य की नीतियाँ आपके जीवन में सफलता लाएगी.

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