हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने ऑनलाइन, पॉइंट ऑफ सेल मशीनों से और ऑनलाइन लेनदेन में उपयोग किये जाने वाले सभी क्रेडिट एवं डेबिट कार्ड के लिये टोकनाइजेशन (Card Tokenization) लागू कर दिया है। हालाँकि अभी इसे अनिवार्य नहीं किया गया है।
कार्ड टोकनाइजेशन क्या है?
क्रेडिट एवं डेबिट कार्ड की डिटेल को एक यूनिक वैकल्पिक कोड से बदल देना टोकनाइजेशन कहलाता है। उपयोगकर्ता को यह कोड दिए जाने के बाद हर बार कार्ड से लेनदेन करते समय उसे उसका नंबर, सीवीवी (CVV) व एक्सपायरी डेट जैसी जानकारी दर्ज नहीं करनी होगी।
कैसे काम करेगा टोकनाइजेशन?
- सबसे पहले कार्ड होल्डर को टोकन रिक्वेस्टर की ऐप (कोई भी ऑनलाइन शॉपिंग ऐप जहां आप कार्ड सेव करना चाहते हैं) पर टोकनाइजेशन के लिए आवेदन करना होगा। इसके बाद वह ऐप कार्ड नेटवर्क को आवेदन भेजेगी, जहाँ से उस कार्ड के लिए एक टोकन जारी होगा.
- इसमें कार इश्यूर (बैंक, अन्य वित्तीय संस्थान) की सहमति होगी। कार्ड होल्डर का यूनिक टोकन सर्वर पर सेव कर लिया जाएगा। जब कार्ड होल्डर ऐप या वेबसाइट पर लेनदेन करेगा तो वह वीजा, मास्टरकार्ड या अन्य किसी भी पेमेंट गेटवे को मेसेज भेजेगा।
- इसके बाद ये पेमेंट गेटवे कार्ड टोकन की मांग करेंगे तथा जानकारी बैंक को आगे बढ़ा देंगे और ट्रांजेक्शन पूरी हो जाएगी।
- कार्ड होल्डर से टोकनाइजेशन के लिए कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा।
आवश्यकता क्यों?
उल्लेखनीय है कि अमेज़न, फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स दिग्गज अपने साथ कार्ड के संवेदनशील विवरण जैसे कार्ड नंबर, समाप्ति तिथि और सीवीवी इन कंपनियों के डेटाबेस में संग्रहीत कर लेते हैं। लेकिन यदि डेटाबेस हैक कर लिया जाये तो कार्ड के डेटा के चोरी या गलत उपयोग का खतरा उत्पन्न हो जाता है।
अन्य तथ्य
आरबीआई के डेटा के अनुसार जुलाई 2022 के अंत तक भारत में 8 करोड़ क्रेडिट कार्ड जारी किए जा चुके हैं। इसके अलावा देश में 92.81 करोड़ डेबिट कार्ड है।
वर्ष 2021-22 के दौरान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किये गए भुगतान लेन-देन मात्रा के संदर्भ में 27% बढ़कर 223.99 करोड़ हो गया है।
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