[Sansar Editorial] कार्बन उत्सर्जन की रोकथाम में मिट्टी की उपयोगिता

Sansar LochanClimate Change, Environment and Biodiversity, Sansar Editorial 2018

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बिजली, यातायात और उद्योग क्षेत्रों में होने वाले ग्रीन हाउस गैस (GSG) के उत्सर्जन को रोकने के प्रयास किये जाते रहे हैं. अब  इस सन्दर्भ में एक नई अवधारणा सामने आई है. वैज्ञानिक अब इस विषय में रुचि ले रहे हैं कि कैसे मिट्टी का उपयोग कार्बन डाइऑक्साइड को खपाने में किया जाए. जैसा कि हम जानते हैं कि आज की तिथि में वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड आवश्यकता से अधिक जमा हो गया है और हमारे समुद्र भी अम्लीय हो चले हैं, इसलिए अब भूमि से ही आसरा है.

मिट्टी का आर्गेनिक पदार्थ क्या है?

धरती पर आर्गेनिक कार्बन के भंडार जहाँ-तहाँ पाए जाते हैं, जैसे – भू-पर्पटी पर, समुद्र में, वातावरण में और भूमि आधारित पारिस्थितिकी तंत्र में. जहाँ तक भूपर्पटी की बात है, इसमें मोटा-मोटी 23-44 गीगाटन आर्गेनिक कार्बन होता है. एक गीगाटन एक बिलियन टन के बराबर होता है. इस प्रकार सच पूछा जाए तो आर्गेनिक कार्बन का सबसे बड़ा भण्डार धरती के नीचे ही है. मिट्टी में आर्गेनिक पदार्थ मात्र 2-10% ही होता है. परन्तु खेती की मिट्टी के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कार्यकलाप में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है.

मिट्टी का कार्बनिक पदार्थ (SOM) मुख्यतः कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का बना होता है परन्तु इसमें कम-कम मात्रा में अन्य पोषक पदार्थ भी होते हैं, जैसे – नाइट्रोजन, फोस्फोरस, गंधक, पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीसियम. मिट्टी का कार्बनिक पदार्थ फसलों की पोषकता में अपना योगदान देता ही है, इसका महत्त्व आगे लिखे कार्यों के लिए भी है –

  1. मिट्टी की संरचना का निर्धारण
  2. आद्रता की मात्रा का निर्धारण
  3. प्रदूषक पदार्थों का क्षरण
  4. ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन
  5. सोइल बफरिंग (Soil Buffering)

मिट्टी के आर्गेनिक पदार्थ में सजीव तथा निर्जीव दोनों प्रकार के अवयव् होते हैं. इसमें कटी हुई फसलों के अवशेष तो होते ही हैं, साथ में मुख्य रूप से ऐसी विनष्ट वस्तुएँ भी होती हैं जो हजारों वर्ष पुरानी हो सकती हैं. आर्गेनिक पदार्थों में विद्यमान कार्बन को यदि मिट्टी में जमा कर दिया जाए तो इससे ग्रीनहाउस गैस की मात्रा में कमी आएगी और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न संकटों को कम किया जा सकेगा.

SOC क्या है?

Soil Organic Carbon (SOC) मिट्टी में पहले 3 ft तक पाया जाता है. यह पौधों, पशुओं, जीवाणुओं, पत्तों और लकड़ी से बनता है. SOC की मात्रा इन कारणों से कम-ज्यादा हो सकती है, जैसे – तापमान, वर्षा, वनस्पति, मृदा प्रबन्धन तथा भूमि के उपयोग में परिवर्तन.

आज के जलवायु परिवर्तन के युग में मिट्टी ऐसा प्राकृतिक संसाधन है जिसपर सबसे बड़ा खतरा मंडरा रहा है. मिट्टी कार्बन का सबसे बड़ा भण्डार है. इसमें जितना कार्बन है उतना वायुमंडल और धरती पर उगी हुई वनस्पति को मिला देने पर भी नहीं होता है.

जलवायु परिवर्तन का SOC पर प्रभाव तथा रोकथाम

  1. जलवायु परिवर्तन से SOC के भंडार का क्षरण हो सकता है.
  2. जलवायु परिवर्तन तथा कुप्रबन्धन से SOC के मुख्य स्थल पहले से अधिक ग्रीनहाउस गैस को वायुमंडल में मुक्त कर सकते हैं.

जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए SOC का प्रबन्धन कैसे किया जाये, इसके लिए जलवायु परिवर्तन को विभिन्न प्रबन्धन रणनीतियों, व्यवहारगत परिवर्तनों एवं तकनीकी आविष्कारों का सहारा लिया जा सकता है.

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यदि soil carbon भण्डार में एक टन की भी वृद्धि की जाती है तो प्रति हेक्टर कई किलोग्राम अधिक फसल उपजाई जा सकती है. इसके लिए निम्नांकित उपाय करने चाहिएँ –

  1. खेती योग्य भूमि पर फिर से जंगल लगाना अथवा नए जंगल लगाना
  2. खेती के क्षेत्र को घटाना
  3. फसल चक्र अपनाना
  4. फसल को ढंकना
  5. आर्गेनिक खेती
  6. रासायनिक खाद के साथ-साथ पारम्परिक खाद का भी प्रयोग करना
  7. स्थानीय पारिस्थितिकी में बदलाव या ह्रास से बचना
  8. जिस खेत में पानी टिकता नहीं है उसमें जल के रुकाव की व्यवस्था करना
  9. खराब हो गई भूमि और बेकार पड़ी भूमि में सदाबहार पेड़ लगाना
  10. ऐसी फसलें लगाना जो अधिक उत्पादन दें और जिनसे अधिक पत्ते, पराली अदि (biomass) प्राप्त हों
  11. सूखी भूमि की सिंचाई की तकनीक को अपनाना
  12. चावल की ऐसी जातियाँ लगाना जो या तो आनुवंशिक रूप से संशोधित (genetically modified – GM Modified) हों अथवा प्राकृतिक रूप से विकसित हुई हों तथा जिनकी जड़ें मिट्टी के बहुत अन्दर न जाएँ.

कार्बन सोखने की मिट्टी की क्षमता बढ़ने पर किसानों को लाभ मिलेगा ही, साथ ही पूरा समाज भी लाभान्वित होगा. इसलिए आज आवश्यकता है कि कार्बन के मृदा भंडारों में वृद्धि की जाए.

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