Background and details of Nepal New Constitution हिंदी में पढ़ें

Sansar LochanIndia and its neighbours, International Affairs

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आज क्यों चर्चा में है नेपाल? Why is Nepal in news these days?

500 मील तक फैली हुई बुद्ध की भूमि नेपाल (Nepal, the land of Buddha) आज फिर चर्चा में है. भूकंप त्रासदी के बाद कई वर्षों से हो रही राजनैतिक उठा-पटक के बाद नेपाल एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में स्थापित हो गया और नेपाल में एक नया संविधान लागू हुआ (introduction of new constitution in Nepal). दूसरी तरफ नेपाल के ही कुछ लोग इस संविधान का विरोध भी कर रहे हैं। विरोध करने वालों में से मुख्यत: मधेसी समुदाय के हैं (Madhesi people are protesting against the new constitution of Nepal).

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Source: Picture Wikipedia

 

मधेसी कौन हैं? Who are Madhesis?

मधेसी लोग (madhesi people) प्रमुखतः भारतीय मूल (they are mostly of Indian descent) के लोग हैं जो नेपाल के तराई क्षेत्र (Tarai area of Nepal) में रहते हैं। ये लोग मुख्य रूप से हिन्दू धर्म (Hindi religion) का पालन करते हैं.  नेपाल की आधी से ज्यादा आबादी मधेसी लोगों की है.

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मधेसी क्या चाहते हैं? What do Madhesi people  want?

मधेसी नेपाल के नए संविधान से संतुष्ट नहीं है (not satisfied with the new constitution of Nepal) क्योंकि नेपाल के नए संविधान में उनकी उपेक्षा होती हुई दिखाई दे रही है. उनकी मांगें इस प्रकार हैं (Madhesi people’s demand are)—

  1. अंतरिम संविधान (interim constitution) के Article 63(3) को नए सविंधान में पुनः डाला जाए. इस आर्टिकल के अनुसार चुनाव के लिए बने चुनाव क्षेत्र (Nepal constituency) नेपाल की जनसंख्या, भूगोल और विशिष्टिता के अनुसार निर्धारित किये गए थे और जहां तक सवाल मधेसियों का था, उनको उनकी जनसंख्या के प्रतिशत के अनुसार चुनाव क्षेत्र में जगह मिलना था. पर नेपाल के नए संविधान में जो लागू हो चुका है, उसमें कहीं भी इसका जिक्र नहीं है (Madhesis are not to be allotted constituencies on the basis of their population under Article 84 of the new Constitution of Nepal). इसी बात का मधेसी विरोध कर रहे हैं कि उन्हें भी चुनाव क्षेत्र में उनकी जनसंख्या के आधार पर जगह मिलनी चाहिए जैसा अंतरिम संविधान में जिक्र था.
  1. नए संविधान के Article 283 में ऐसा जिक्र है कि नेपाल के केवल वही नागरिक देश के राष्ट्रपति (President), प्रधानमंत्री (Prime Minister), मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice), स्पीकर ऑफ़ नेशनल असेंबली (Speaker of National Assembly), नेशनल असेंबली के मुख्य सचिव (Chief Secretary of National Assembly), Head of Province, मुख्यमंत्री (Chief Minister), प्रांतीय सभा का अध्यक्ष (Speaker of Provincial Assembly), सुरक्षा संस्थानों का प्रमुख (Chief of Securities Bodies) के लिए चुने जा सकेंगे जो नेपाल के मूल निवासी हों (only those will be selected for these important posts who are Nepalese by descent). इस क्लॉज़ पर मधेसियों को इसीलिए आपत्ति है क्योंकि उनको वहाँ की नागरिकता उनके जन्म और naturalization के आधार पर (on the basis of birth and naturalization) मिली है इसीलिए वे इस नए संविधान के अनुसार इन महत्त्वपूर्ण पदों पर आसीन हो नहीं सकते.
  1. Article 11(6) में जिक्र (mention) है कि यदि कोई नेपाली विदेशी महिला से शादी कर ले तो उसके वंशज नेपाल के नागरिक स्वतः नहीं हो जायेंगे. इसके लिए एक लम्बी प्रक्रिया से उन्हें गुजरना होगा. इसका भी मधेसी विरोध कर रहे हैं और माँग कर रहे हैं कि वंशजों को नागरिकता स्वतः मिले.
  1. नए संविधान में चुनाव क्षेत्र में बदलाव की सीमा बढ़ाकर 20 साल कर दी गयी है. मधेसी माँग कर रहे हैं कि इसे घटाकर 10 साल किया जाए. आपको जानना चाहिए कि भारत में हर 10 साल में चुनाव क्षेत्र में बदलाव किया जाता है. 10 साल में इसीलिए क्योंकि यहाँ हर दस साल में सेन्सस होता है (In India census is organized every 10 years).

 

अंतरिम संविधान क्या होता है? What is interim or provisional constitution?

अंतरिम और लिखित संविधान दोनों अलग चीजे हैं. संविधान बनने तक के लिए, प्रशासन की व्यवस्था चलाने के लिए निर्मित अस्थायी संविधान को अंतरिम संविधान कहते हैं.

यह लिखित संविधान या अंतिम संविधान के लिए ड्राफ्ट (as the draft of constitution) के रूप में भी काम आता है.

आपको मालूम है कि भारत की ड्राफ्टिंग समिति (drafting committee) के अध्यक्ष कौन थे?

 

भारत क्या चाह रहा है? What does India want from Nepal’s new constitution?

भारत भी नेपाल के नए संविधान (new constitution of Nepal) से संतुष्ट नहीं है क्योंकि नेपाल के नए संविधान में मधेसियों की उपेक्षा होती हुई दिखाई दे रही है (negligence of madhesis rights). उसने मधेसियों की मांगों (demands of madhesi people) के अनुसार संविधान में आवश्यक संशोधन करने करने के लिए नेपाल सरकार (Nepal government) से अनुरोध किया है.

 

थोड़ा-सा नेपाल में लोकतंत्र का इतिहास A brief History of Democracy of Nepal

नेपाल का राजपाठ सदियों से राजपरिवार ही चला रहे थे. 1940 के दशक में नेपाल में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन की शुरुआत हुई. 1947 में जब भारत को स्वतंत्रता मिली तब नेपाल के कुछ युवकों, जो बनारस, कलकत्ता, पटना आदि से पढ़कर नेपाल गए थे, ने भी मांग की कि हमारे यहां भी लोकतंत्र होना चाहिए। उन्होंने राणाशाही को खत्म करने की कसम खायी.

1951 में जाकर नेपाल में राजा त्रिभुवन, राणा परिवार और नेपाली कांग्रेस के बीच एक समझौता करके एक नया मंत्रिमंडल गठित किया गया जिसमें राणा परिवार के 5 और नेपाली कांग्रेस के 5 मंत्री हुए.

संक्षेप में जनता को पहली बार शासन में भागीदारी मिली. यह व्यवस्था 1960 तक चली. उस वर्ष राजा महेंद्र ने मंत्रिमंडल भंग कर के एक दल-रहित पंचायत व्यवस्था लागू करने के लिए संविधान की घोषणा की और कहा कि यही व्यवस्था नेपाल की परम्पराओं के अनुरूप है. 20 वर्ष के बाद 1980 में इस व्यवस्था पर जनमत संग्रह भी हुआ जिसमें इसकी पुष्टि की गयी.

परन्तु नेपाल में दल आधारित संसदीय प्रणाली हो इसके लिए जन आन्दोलन चलता रहा. 1990 में नेपाली कांग्रेस तथा कुछ वामदलों ने मिलकर जन आन्दोलन (Jan Andolan) चलाया.

अंततः राजा को झुकना पड़ा और 1991 में पहली बार संसद के लिए चुनाव हुए. इस चुनाव में नेपाली कांग्रेस को बहुतमत मिला और इसकी सरकार बनी.

1996 से माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने नेपाल की संसदीय राजतंत्र को समाप्त करने के उद्देश्य से एक हिंसक आन्दोलन चलाया जिसमें हज़ारों लोगों की हत्या हुई. इसी बीच में राज परिवार के अन्दर आपसी संघर्ष के कारण राजा एवं उनके समस्त परिवार की हत्या कर दी गयी और राज परिवार के ज्ञानेंद्र राजा बन गए. इन्होनें मंत्रिमंडल को भंग कर के सभी नेताओं को जेल में डाल दिया.

फिर भी मार काट एवं उत्पात नहीं रुके. अंत में 2006 में राजा को फिर से संसदीय प्रणाली बहाल करनी पड़ी. एक सात दलों का मंत्रिमंडल बनाया गया जिसमें माओवादी भी शामिल थे. इस सरकार ने राजा के सभी अधिकार छीन लिए और नेपाल को संघीय प्रजातान्त्रिक गणतंत्र घोषित कर दिया.

2008 में राजा ज्ञानेंद्र महल छोड़ कर चले गए और राम बरन यादव (Ram Baran Yadav) राष्ट्राध्यक्ष बने. इसी साल 2008 में संविधान सभा (constitution assembly) के लिए एक चुनाव भी हुआ जिसमें माओवादियों (Maoists) को हल्का बहुमत मिला और प्रचंड दहल प्रधानमंत्री हुए. पर दी गयी समय-सीमा (timeline) के अन्दर संविधान निर्माण (making of constitution) करने में यह सभा असफल हो रही थी. फलस्वरूप इसे भंग कर दिया गया और सुप्रीम कोर्ट के मुख्यन्यायाधीश (Chief Justice of Supreme Court) को प्रधानमंत्री बनाकर एक अंतरिम सरकार बनायी गयी.

2014 में दोबारा चुनाव हुए जिसमें नेपाली कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में उभरी, पर उसे बहुमत नहीं मिल सका. अतः सभी दलों को मिलाकर एक अंतरिम सरकार (interim government) बनायी गयी जिसमें प्रधानमंत्री के रूप में नेपाली कांग्रेस के सुशील कोइराला (Sushil Koirala) चुने गये.

इसी बीच संविधान निर्माण का कार्य चालू रहा और अंततः प्रचंड बहुमत से एक नए संविधान को अंगीकृत किया गया और 20 सितम्बर, 2015 (2072, according to Vikram Samwat calendar) को इसकी घोषणा कर दी गयी.

 

[stextbox id=”download”]Summary of the article in English[/stextbox]

We discussed today why Nepal is in the news these days. The introduction of a new constitution in Nepal has brought about an atmosphere of dissatisfaction among Madhesi people. Madhesi people reside in the Tarai area of Nepal. The Tarai area is the area which shares Nepal’s boundary with India. The states of Uttar Pradesh, Bihar and West Bengal touch the lower and eastern boundaries of the Himalayan Kingdom. We have also shown a map of Nepal as well as a map showing areas where Madhesi people reside.  Madhesi people are in fact originally Indians. They form more than 50 percent of population in Nepal and are almost all Hindus. They have been feeling deprived of many rights that they think must be mentioned in the new constitution of Nepal. They are demanding for some changes in the newly introduced constitution. We have described the demands of Madhesi in this article. We also have given in brief the history of Nepal’s democracy. We discussed the political scenario of Nepal from 1940s to the current year. We talked about the role of Maoists and Nepali Congress party in the history Nepalese democracy.  

 

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