अप्रैल, 1876 ई० में लॉर्ड नॉर्थव्रुक के स्थान पर लॉर्ड लिटन को भारत के गवर्नर-जनरल के पद पर नियुक्त किया गया. उस समय लॉर्ड लिटन के समक्ष दो मुख्य कठिनाइयाँ थीं और उन्हीं के कारण भारत में उसका शासन सफल नहीं हो सका. सर्वप्रथम, गवर्नर-जनरल का पद ग्रहण करने के पहले लिटन को भारत की परिस्थितियों को समझने का अवसर … Read More
लॉर्ड रिपन (1880-1884 ई०) की नीतियाँ एवं सुधार
कम्पनी के शासन समाप्त होने के बाद भारत में जितने भी वायसराय आये, उनमें लॉर्ड रिपन का विशिष्ट स्थान है. वह उदार विचारों का था. वह शान्ति, अहस्तक्षेप तथा स्वायत्त शासन के गुणों में विश्वास रखता था और ग्लैडस्टनयुग का सच्चा उदारपंथी थी. लॉर्ड विलियम बेन्टिंक की भाँति उसने राजनीतिक और सामाजिक सुधार करने में अधिक अभिरुचि दिखलाई. यद्यपि अंगरेज … Read More
लिच्छवि साम्राज्य
वृज्जि या वज्जि संघ 16 महाजनपदों में से एक था. यदि आपने महाजनपद के बारे में नहीं पढ़ा, तो यह पोस्ट पढ़ें > महाजनपद. यह महाजनपद मगध के उत्तर में स्थित था. यह संघ आठ कुलों के संयोग से बना था और इनमें चार (विदेह, ज्ञातृक, वज्जि तथा लिच्छवि) कुल अधिक प्रमुख थे. वैशाली इस संघ की राजधानी थी. लिच्छवि … Read More
कोरियाई युद्ध विराम समझौता (KPA) और असैन्यीकृत जोन (DMZ)
संयुक्त राष्ट्र कमान (United National Command – UNC) ने पिछले दिनों बताया कि मई 3, 2020 को उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया ने गोलीबारी करके युद्ध विराम समझौते (Korean Armistice Agreement) का उल्लंघन किया है. उसने बताया कि यह ठीक से कहा नहीं जा सकता कि पहले किसने गोली चलाई और यह जान-बूझकर हुआ या गलती से. संयुक्त राष्ट्र कमान … Read More
साहित्य के क्षेत्र में प्राचीन भारत का योगदान
प्राचीन भारत ने विश्व को अनेक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ प्रदान किये. उदाहरणार्थ, यहाँ चार वेदों की रचना हुई. ऋग्वेद उनमें प्राचीनतम वेद है. ऋग्वेद के अतिरिक्त तीन और वेद हैं जिनके नाम यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद भी उनकी देन हैं. इनके अलावा अनेक धार्मिक ग्रन्थ भी हैं, जैसे “ब्राह्मण” (वेद मन्त्रों की व्याख्या करने वाले ग्रन्थ), आरण्यक (ब्राह्मण ग्रन्थों के ही … Read More
कला के क्षेत्र में प्राचीन भारत की देन
प्राचीन भारत की कलाएँ आज भी कलाकारों के लिये प्रेरणा के साधन हैं. हमारे देश के शिल्पकारों ने अनेक क्षेत्रों में कलाकृतियाँ कीं. (1) जहाँ तक वास्तुकला का सम्बन्ध है, हड़प्पा संस्कृति की नगर योजना आज भी नगर निर्माण के लिये आदर्श है. उनकी जल-निकास योजनायें प्रशंसनीय थीं. वह लोग चित्रकला, मूर्तिकला व नृत्यकला से भी परिचित थे. उनकी समकालीन … Read More
[Video] मध्यकालीन भारत Ch. 3 – पाल, प्रतिहार और राष्ट्रकूट वंश
हम पहले ही उल्लेख कर चुके हैं कि सम्राट हर्ष की मृत्यु (647 ई०) के उपरान्त उत्तरी भारत में छोटे छोटे राज्यों का विकास हुआ. उसके बाद कोई भी राजा सारे उत्तरी भारत को अपने अधीन नहीं रख सका. फिर भी साम्राज्य स्थापित करने की इच्छा समाप्त नहीं हुई. 750 ई०–1000 ई० तक दो बड़े राज्य पाल तथा प्रतिहार उत्तर … Read More
हर्ष और उसका काल – Harsha’s Kingdom
गुप्त लोगों ने उत्तर प्रदेश और बिहार स्थित अपने सत्ता-केन्द्र से उत्तर और पश्चिम भारत पर छठी शताब्दी ई० के मध्य तक (लगभग 160 वर्षों तक) शासन किया. हूणों के आक्रमणों ने गुप्त साम्राज्य को कमजोर बना दिया. इसके पतन के बाद उत्तर भारत फिर अनेक छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित हो गया. श्वेत हुणों ने कश्मीर, पंजाब और पश्चिमी भारत … Read More
मौर्योत्तर काल में व्यापार और नगर
मौर्योत्तर काल के विषय में सम्पूर्ण जानकारी मौर्यों का साम्राज्य ई०पू० 185 में पूरी तरह ध्वस्त हो गया. देश में अनेक विदेशी शक्तियों (शक, कुषाण आदि) तथा देशी वंशजों (शुंग वंश, कण्व वंश, सातवाहन वंश, पाण्ड्य वंश, चोल वंश तथा चेर वंश आदि) ने अपने-अपने राज्य स्थापित कर लिए. शकों, कुषाणों, सातवाहनों का प्रभाव काल लगभग 200 ई०पू० से 200 ई० … Read More
गंग वंश का इतिहास
पल्लवों के समकालीन राज्यों में एक गंग वश का साम्राज्य था. इसे तलनाड का गंग वंश भी कहा जाता है. अनुश्रुति के अनुसार, गंग राजवंश इक्ष्वाकु वंश से उत्पन्न हुआ था. इन्होंने अपनी ऐतिहासिक महत्ता स्थापित करने के लिए स्वयं को गंग वंश कहलवाया. क्योंकि वे प्राचीन काल में गंगा नदी के किनारे से आये थे. इनकी दो शाखाएँ थीं. … Read More