मणिपुर में दक्षिण-पूर्वी साइबेरिया और उत्तरी चीन से आने वाले प्रवासी पक्षी अमूर फाल्कन के शिकार पर प्रतिबंध लगाया गया है.
ज्ञातव्य है कि शीत ऋतु से ठीक पूर्व मणिपुर के तामेंगलोंग जिले में अमर फाल्कन का आगमन शुरू हो गया है।
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अमूर फाल्कन
इसे स्थानीय रूप से अखुईपइना के नाम से जाना जाता है। अफ्रीका दक्षिणी भाग इनका शीतकालीन प्रवास स्थल है। दक्षिण-पूर्वी साइबेरिया और उत्तरी चीन से अफ्रीका तक की यात्रा के दौरान अक्तूबर- नवंबर माह में ये पक्षी पूर्वोत्तर भारत के नागालैंड, मणिपुर एवं अन्य राज्यों में रुकते हैं। भारत में अमूर फाल्कन वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित है। जबकि इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की रेड लिस्ट में यह पक्षी लीस्ट कंसर्न (Least Concern) श्रेणी में आता है।
अन्य तथ्य
उल्लेखनीय है कि नागालैंड के लॉन्गलेन्ग ज़िले के पर्यावरणविद् “नुक्लु फोम’ का चयन “व्हिटली अवार्ड्स-2021′ के लिये किया गया था, जिसे ग्रीन ऑस्कर के रूप में भी जाना जाता है। नुक्लू फोम ने “अमूर फाल्कन’ पक्षियों को स्थानीय शिकारियों से बचाने के लिये एक नए “जैव विविधता शांति गलियारे” की स्थापना की है। इस शांति गलियारे का उद्देश्य पर्यावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए समुदायों, नीति निर्माताओं और वैज्ञानिकों को एक साथ एक मंच पर लाना है।
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