अलीगढ़ आन्दोलन – Aligarh Movement in Hindi

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अलीगढ़ आन्दोलन के जनक सर सैयद अहमद खां थे. यह आन्दोलन सर सैयद खां के नेतृत्व  में शुरू किया गया था. इन्होंने समाज सुधार और आधुनिक शिक्षा, वैज्ञानिक और तकनीकी विकास पर अधिक जोर दिया था. चलिए जानते हैं अलीगढ़ आन्दोलन (Aligarh Movement) के विषय में in Hindi. इस आन्दोलन के प्रणेता/जनक कौन थे, यह कब शुरू हुआ आदि की भी चर्चा करेंगे.

सर सैयद अहमद खां

सर सैयद अहमद खां का जन्म 1816 ई. में एक संपन्न परिवार में हुआ था वे अरबी और फारसी  के अच्छे जानकार थे. 1857 ई. के विद्रोह में  सैयद अहमद खां अंग्रेजों के प्रति वफादार रहे थे और अपनी पुस्तक “असबाब-ए-ग़दर” में उन्होंने यह प्रमाणित करने की चेष्टा की थी कि 1857 ई. का विद्रोह मुसलमानों द्वारा संचालित नहीं था. कंपनी सरकार की सेवा उन्होंने 1837 ई. में स्वीकार कर ली थी. कम्पनी सरकार के प्रति वफादार रहने के उपलक्ष में उन्हें “सर” की उपाधि प्राप्त हुई थी. सर सैयद अहमद राष्ट्रवादी थे. वे हिंदू-मुस्लिम एकता के समर्थक थे और हिंदू और मुसलमान को भारतमाता की आँखों के दो तारे मानते थे. एक-दूसरे के विरोध को वे विनाश का परिचायक मानते थे.

परन्तु राष्ट्रवाद के समर्थक सर सैयद अहमद खां जब मि. बैंक के संपर्क में आये तो वे सम्प्रदायवाद के पृष्ठपोषक बन गए. मुसलामानों के अधःपतन से दुःखी होकर सर सैयद अहमद ने सोचा कि मुसलामानों का कल्याण अंग्रेजों के साथ मित्रता के माध्यम से ही संभव हो सकता है. अंग्रेजों के मन से मुसलामानों के प्रति अविश्वास के भाव को दूर करने के लिए उन्होंने “Loyal Muhammadans of India” नामक एक पत्र का प्रकाशन किया.

अलीगढ़ आन्दोलन की नींव

सैयद ने मुसलामानों में आधुनिक शिक्षा की आवश्यकता को महसूस किया और 1875 में अलीगढ़ में एक स्कूल शुरू की शुरुआत की जो बाद में 1877 ई. में “Muhammadan Anglo Oriental College” बना और इसी कॉलेज ने बाद में 1920 ई. में वर्तमान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का रूप ले लिया. मुसलमानों के बीच अंग्रेजी शिक्षा का प्रचार किया गया और अंग्रेजी शासन की प्रशंसा की गई.

कांग्रेस के विरोध में सर सैयद अहमद खां ने 1886 ई. में मुस्लिम शिक्षा सम्मलेन (Muslim Educational Conference) नामक एक संस्था की स्थापना की जिसका एकमात्र उद्देश्य मुसलामानों को कांग्रेस से अलग रखना था. बनारस के राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्द के सहयोग से सैयद अहमद ने यूनाइटेड पेट्रियोटिक एसोसिएशन (The United Patriotic Association) नामक एक संस्था की स्थापना की. यह संस्था ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति वफादारी व्यक्त करती थी और कांग्रेस का विरोध करती थी. कांग्रेस के विरोधी रवैया को मुसलामानों के लिए वे अहितकर मानते थे. पुनः 1893 ई. में “मुस्लिम एंग्लो ओरिएण्टल सुरक्षा परिषद्” की स्थापना की गई. इस परिषद् का लक्ष्य मुसलमानों  सरकार  प्रति वफादार रखना, ब्रिटिश शासन को सुदृढ़ करना और अंग्रेजों के सहयोग से मुसलामानों के लिए अधिकार प्राप्त करना था.

अलीगढ़ मुसलमानों का गढ़ बन गया था. मुसलमानों को साम्प्रदायिकता का पाठ पढ़ाने वालों में बैंक मोरिसिन और आर्चिवाल्ड जैसे अंग्रेज़ प्राचार्यों की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण थी. अलीगढ़ आन्दोलन ने भारत में साम्प्रदायिकता को विकसित किया.

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सर सैयद अहमद खां

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