चीता का पुनः स्थापन एवं कुनो पालपुर नेशनल पार्क

Sansar LochanBiodiversityLeave a Comment

प्रधानमंत्री मोदी 17 सितंबर को दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाये गये 8 चीतों के पहले बैच को मध्य प्रदेश के “कुनो पालपुर नेशनल पार्क” में छोड़ेंगे। भारत में एशियाटिक चीता (Asiatic cheetah) विलुप्त हो चुके थे. अब भारत सरकार फिर से चीता को भारत में लाने हेतु प्रतिबद्ध है. इसके लिए मध्य प्रदेश के कूनो-पालपुर वन्यजीव अभयारण्य (Kuno-Palpur Wildlife Sanctuary) को चुना गया है.

ज्ञातव्य है कि भारत में आखिरी चीता इसके प्राकृतिक आवास में वर्ष 1947 में छत्तीसगढ़ में देखा गया था। इसकी मृत्यु के बाद, वर्ष 1952 में इस जीव को भारत में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।

सर्वोच्च न्यायालय ने जनवरी 2020 में केंद्र सरकार को भारत में उपयुक्त निवास स्थान पर अफ्रीकी चीतों के पुनः स्थापन (Reintroduction) की अनुमति दे दी थी. इसके अंतर् अगले 5 वर्षों में 50 चीता देश में लाये जायेंगे। ‘पुनर्स्थापन’ से तात्पर्य, किसी प्रजाति को उस क्षेत्र में छोड़ने से है, जहां वह जीवित रहने में सक्षम हो।

कुनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान

  1. यह मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित है।
  2. वर्ष 2018 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया, इसका क्षेत्रफल 749 वर्ग किलोमीटर है। 
  3. कूनो नेशनल पार्क में भेड़िया, बन्दर, भारतीय तेंदुआ, जंगली सूअर तथा नीलगाय जैसे जानवर पाए जाते हैं।
  4. यहाँ विभिन्‍न प्रकार के 174 पक्षियों की प्रजातियाँ विद्यमान है, वहीं सैंकड़ों प्रजातियां वन्य जीवों की हैं। पक्षियों की 12 प्रजातियां तो दुलर्भ श्रेणी में मानी गई हैं।
  5. केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय के निर्देश पर वर्ष 2010 में भारतीय वन्य जीव संस्थान (वाईल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट) ने भारत में चीता पुनर्स्थापना के लिए संभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया, जिसमें 10 स्थलों के सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर अभ्यारण्य जो वर्तमान में कूनो राष्ट्रीय उद्यान है, सर्वाधिक उपयुक्त पाया गया।
  6. अफ़्रीकी चीते के अतिरिक्त गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान से कुछ एशियाई शेरों को भी यहाँ स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है।

भारत में चीता को फिर से लाने की योजना (CHEETAH REINTRODUCTION PROGRAMME) क्या है?

देहरादून में स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान ने आज से आठ वर्ष पहले यह योजना बनाई थी और कहा था कि इसमें 260 करोड़ रु. खर्च होंगे. उस योजना के अनुसार मध्य प्रदेश के नौरादेही में 150 वर्ग किलोमीटर का एक बाड़ा बनाया जाएगा जिसको बनाने में ही 25 से 30 करोड़ लग जाएँगे. ये बाड़े बहुत ही ऊँचे होंगे.

नौरादेही ही क्यों?

  • मध्य प्रदेश के नौरादेही अभयारण्य (Nauradehi sanctuary) को चीताओं के लिए एक उपयुक्त अभयारण्य माना गया है क्योंकि यहाँ के जंगल उतने घने नहीं है कि उनके आने-जाने में रुकावट हो.
  • साथ ही ये जिन जीवों का शिकार करते हैं वे यहाँ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. इसलिए पूर्व में यह योजना बनी थी कि अफ्रीका के नामीबिया से 20 चीते लाकर यहाँ रखे जाएँ पर यह योजना वर्षों से लंबित पड़ी है.
  • हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण को इस योजना को फिर से लागू करने के लिए अनुरोध किया था.

चीता के बारे में मुख्य तथ्य

  • इस चीता का वैज्ञानिक नाम Acinonyx jubatus है.
  • यह बड़ी बिल्लियों की सबसे प्राचीन प्रातियों में से एक है जिसका इतिहास पाँच मिलियन वर्ष पहले के मियोसीन युग (Miocene era) तक जाता है.
  • चीता अफ़्रीकी महाद्वीप और मध्य ईरान का मूल निवासी है.
  • यह 80 से 128 km प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ सकता है, जो इसे दुनिया का सबसे तेज जमीनी जीव बनाता है.
  • वर्तमान में दुनिया-भर में लगभग 7100 चीते (अफ़्रीकी और एशियाई) हैं.
  • IUCN की लाल सूची में एशियाई चीते को संकटग्रस्त (vulnerableसूची में रखा गया है.
  • चीता भारत में अँधाधुंध शिकार के कारण विलुप्त हो चुका है.
  • देश का अंतिम चीता 1947 में छत्तीसगढ़ में मर गया था.
  • चीता को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था.
  • IUCN की लाल सूची में एशियाई चीते को विकट रूप से संकटग्रस्त (critically endangered) श्रेणी में रखा गया है क्योंकि यह अब मात्र ईरान में देखा जाता है.

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