[Sansar Editorial 2022] EWS कोटा विवाद | 103वाँ संविधान संशोधन अधिनियम क्या है?

RuchiraBills and Laws: Salient Features, Sansar Editorial 20221 Comment

आर्थिक रूप से कमज़ोर सवर्णों (EWS) को आर्थिक आधार पर सार्वजनिक नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10% कोटा प्रदान करने के लिये किये गये 103वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 के विरुद्ध लाई गई याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय की पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा सुनवाई की गई। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने संविधान के 103वें संशोधन (103rd amendment) को चुनौती दी गई है और अनुच्छेद 15 और 16 में परिवर्तन की पेशकश की है जो समानता के अधिकार से संबंधित है और आरक्षण का आधार प्रदान करता है।

पृष्ठभूमि

अगस्त 2020 में इस मामले पर 3 न्यायाधीशों वाली खंडपीठ के समक्ष हुई पिछली सुनवाई में खंडपीठ ने कहा था कि “संविधान के अनुच्छेद 145(3) और सर्वोच्च न्यायालय नियम, 2013 के आदेश XXXVIII नियम 1(1) से स्पष्ट है, जिन मामलों में कानून की व्याख्या संबंधी प्रश्न शामिल हैं, उन्हें संवैधानिक प्रावधानों की व्याख्या के लिये संविधान पीठ द्वारा सुना जाना चाहिये। इसलिए इस मामले से जुडी सभी याचिकाओं को 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास हस्तांतरित कर दिया था।

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103वें संविधान संशोधन अधिनियम के विरुद्ध याचिकाकर्ताओं के तर्क

  1. आरक्षण की व्यवस्था को गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम की तरह लागू नहीं किया जा सकता है।
  2. ईडब्ल्यूएस कोटा लागू होने से पहले जो आरक्षण मौजूद थे, वे जाति-पहचान पर आधारित नहीं थे, बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन पर आधारित थे। वहीं, 103वें संशोधन में कहा गया है कि अन्य पिछड़ी जाति के लोग ईडब्ल्यूएस कोटा के हकदार नहीं हैं और यह केवल आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों के लिए उपलब्ध है।
  3. स्व-घोषणा के आधार पर और केवल पिछले एक वर्ष की आय के आधार पर किसी को भी गरीब के रूप में आंकना EWS योजना की सबसे बड़ी कमी है। किसी की भी एक वर्ष की आय 8 लाख से कम होने पर उसे गरीब नहीं कहा जा सकता है। जिस देश में लोग 5% से कम आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं उस देश में ऐसी कोई भी योजना व्यावहारिक रूप से लागू होने योग्य नहीं है. ऐसी अवास्तविक, मनमानी और अव्यवहारिक योजना को संविधान का हिस्सा बनाना संविधान का अपमान है.
  4. आरक्षण का उद्देश्य उन वर्गों को प्रतिनिधित्व या सशक्तीकरण प्रदान करना है, जिन्हें ऐतिहासिक रूप से शिक्षा और रोजगार तक पहुँच से वंचित रखा गया था।
  5. केवल आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता क्योंकि ‘खराब व्यक्तिगत धन प्रबंधन’ के कारण आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ व्यक्ति या जुए में सब कुछ हार चुके लोग भी EWS के दायरे में आ जायेंगे।
  6. इंदिरा साहनी निर्णय के बाद संसद को पिछड़े वर्गों के अतिरिक्त किसी भी वर्ग को आरक्षण देने का अधिकार नहीं था, लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए EWS आरक्षण की व्यवस्था की गई। इस निर्णय में न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि “पिछड़े वर्ग का निर्धारण केवल आर्थिक कसौटी के संदर्भ में नहीं किया जा सकता है।”
  7. EWS आरक्षण के दायरे में वे परिवार आते हैं, जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 8 लाख रूपये से कम है। जबकि PEW रिसर्च इंस्टिट्यूट के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार 93.7% परिवारों की वार्षिक आय 3,00,000 रूपये से भी कम है। ऐसे में EWS वर्ग में गरीबो (लक्षित लाभार्थियों) के साथ-साथ शीर्ष 6% धनी व्यक्तियों के भी बड़े वर्ग को शामिल कर लिया गया है।
  8. अक्टूबर 2021 में सर्वोच्च न्यायालय ने भी आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS) की पहचान करने हेतु वार्षिक आय सीमा के रूप में 8 लाख रुपए तय करने में सरकार द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया था।
  9. आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS) के लिये लागू किये गए आरक्षण के प्रावधान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लागू की गई 50% की सीमा का उल्लंघन करते हैं। 
  10. OBC, SC, ST वर्गों के गरीब लोगों को EWS आरक्षण के दायरे से बाहर रखा गया है, यह गरीबों में भी भेदभाव करने जैसा है।
  11. 103वें संशोधन को प्रस्तावित करने से पहले कोई जनसांख्यिकीय अध्ययन नहीं किया गया था और यह मात्र एक “लोकलुभावन योजना” थी।

EWS कोटा को लेकर सरकार की तरफ से तर्क

अगस्त 2020 में इस मामले पर खंडपीठ के समक्ष हुईं पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने तर्क दिया था कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) में देश का एक बड़ा वर्ग शामिल है, इसमें गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवार भी शामिल हैं। सामाजिक उत्थान के लिये आरक्षण की व्यवस्था करना आवश्यक है, क्योंकि इस वर्ग में आने वाले लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है।

103वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 के बारे में

  • वर्ष 2019 में 103वें संविधान संशोधन के माध्यम से भारतीय संविधान में अनुच्छेद 15 (6) और अनुच्छेद 16 (6) सम्मिलित किया गया, ताकि अनारक्षित वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण का लाभ प्रदान किया सके।
  • संशोधन के बाद शामिल संविधान का अनुच्छेद 15 (6) राज्य को खंड (4) और खंड (5) में उल्लिखित लोगों (एससी/एसटी और एसईबीसी आरक्षण के अंतर्गत नहीं आते) को छोड़कर देश के सभी आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लोगों की उन्नति के लिये विशेष प्रावधान बनाने और शिक्षण संस्थानों (अनुदानित तथा गैर-अनुदानित) में उनके प्रवेश हेतु एक विशेष प्रावधान बनाने का अधिकार देता है. हालाँकि इसमें संविधान के अनुच्छेद 30 के खंड (1) में संदर्भित अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को शामिल नहीं किया गया है।
  • संविधान का अनुच्छेद 16 (6) राज्य को यह अधिकार देता है कि वह खंड (4) में उल्लिखित वर्गों को छोड़कर देश के सभी आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लोगों के पक्ष में नियुक्तियों या पदों के आरक्षण का कोई प्रावधान करें. यहाँ आरक्षण की अधिकतम सीमा 10% है, जो कि मौजूदा आरक्षण के अतिरिक्त है।

Tags: 103 rd amendment in Hindi. EWS quota explained. Article 15 (6), Article 16 (6), Aricle 30 (1)

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