भारत में टिड्डी दल का हमला – Locust attack in Hindi

Sansar LochanBiodiversity

पाकिस्तान की सीमा से लगे राजस्थान के कुछ क्षेत्र हर वर्ष टिड्डियों के हमले का ख़ामियाज़ा उठाते हैं परन्तु गत तीन दशकों में ऐसा प्रथम बार हुआ है जब टिड्डियों का हमला इतना व्यापक है और टिड्डियों के ये दल उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक में प्रवेश कर चुके हैं.

पिछले कुछ सप्ताहों से पश्चिम और दक्षिण एशिया तथा पूर्व अफ्रीका के कई देशों में टिड्डियों का आक्रमण (locust attacks) देखा जा रहा है.

इनसे कौन-से देश प्रभावित हो रहे हैं?

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने टिड्डियों के प्रकोप के तीन हॉटस्पॉट का पता लगाया है जहाँ परिस्थिति अत्यंत ही खतरनाक बताई जा रही है, ये हैं – हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका, लाल सागर क्षेत्र और दक्षिण-पश्चिम एशिया.

इन हॉटस्पॉट में स्थिति अभी क्या है?

  1. इन तीनों में हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका को दुष्प्रभावित क्षेत्र बताया जा रहा है जहाँ FAO के अनुसार, खाद्य सुरक्षा और रोजगार पर अभूतपूर्व खतरा मंडरा रहा है.
  2. यूथोपिया और सोमालिया से निकलर ये टिड्डी दल दक्षिण में केन्या और अफ्रीका 14 अन्य देशों तक चले गये हैं.
  3. लाल सागर क्षेत्र में इन टिड्डियों का प्रकोप सऊदी अरब, ओमान और यमन में देखा जा सकता है.
  4. दक्षिण-पश्चिम एशिया में इनसे ईरान, पाकिस्तान और भारत में क्षति की सूचना मिल रही है.
  5. पाकिस्तान और सोमालिया ने पिछले दिनों टिड्डियों के प्रकोप को देखते हुए आपातकाल घोषित कर दिया है.

टिड्डी क्या होते हैं?

टिड्डी छोटे श्रृंगों वाले ग्रासहोपर होते हैं जो उत्पाती भीड़ बनाकर लम्बी दूरी तक (1 दिन में 50 किलोमीटर तक) चले जाते हैं और इसी बीच उनकी संख्या तेजी से बढ़ती जाती है.

भारत में चार प्रकार के टिड्डे पाए जाते हैं –

  1. मरुभूमि टिड्डा (Schistocerca gregaria)
  2. प्रव्राजक टिड्डा (Locusta migratoria)
  3. बम्बई टिड्डा (Nomadacris succincta)
  4. पेड़ वाला टिड्डा (Anacridium)

टिड्डे कैसे क्षति पहुँचाते हैं?

ये हजारों के झुण्ड में आते हैं और पत्ते, फूल, फल, बीज, छाल और फुनगियाँ सभी खा जाते हैं और ये इतनी संख्या में पेड़ों पर बैठते हैं कि उनके भार से ही पेड़ नष्ट हो जाते हैं.

भारत और विश्व-भर में सबसे विध्वंसकारी कीट मरुभूमि टिड्डा होता है. इसका एक वर्ग किलोमीटर तक फैला छोटा झुण्ड एक दिन में उतना ही अनाज खा जाता है जितना 35,000 लोग खाते हैं.

टिड्डी नियंत्रण के उपाय

  • टिड्डियों को नष्ट करने के लिए मुख्य रूप से वाहनों के माध्यम से ओर्गेनोफोस्फेट (organophosphate) रसायन का छिड़काव किया जाता है. यह छिड़काव हाथ से चलने वाले स्प्रेयर से भी किया जाता है और कभी-कभी हेलीकॉप्टर से भी.
  • कभी-कभी कुछ ऐसे जीव और परजीवी भी हैं जो इन टिड्डियों को खाते हैं और वे उनका खात्मा नहीं कर पाते हैं क्योंकि टिड्डी दल एक स्थान से दूसरे स्थान तक तेजी से चले जाते हैं.
  • टिड्डियों का कम आक्रमण होने पर यांत्रिक विधि से टिड्डियों का नियंत्रण किया जा सकता है. इसमे खाइयां खोद कर या शाखाओं के साथ हॉपरों को गिरा कर या पीट कर नियंत्रित कर सकते है, लेकिन यह बहुत अधिक श्रम का काम है.
  • जहर युक्त चारे द्वारा: टिड्डियों के नियंत्रण के लिए इस विधि का परयोग 1950 के दशक में बहुत होता है. इस विधि में गेहूँ के भूसे या मक्के के दानों में कीटनाशकों की धूल मिलाकर टिड्डियों के आक्रमण वाली जगह या उनके रास्तों में डाल दिया जाता है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

  • इस साल भारत में टिड्डी दल का पहला हमला राजस्थान के गंगानगर में 11 अप्रैल को हुआ था. ये टिड्डियां पाकिस्तान से भारत में दाख़िल हुईं थीं. टिड्डे की एक प्रजाति रेगिस्तानी टिड्डा सामान्यत: सूनसान इलाक़ों में पाई जाती है. ये एक अंडे से पैदा होकर पंखों वाले टिड्डे में तब्दील होता है. लेकिन कभी-कभी रेगिस्तानी टिड्डा ख़तरनाक रूप ले लेता है. जब हरे-भरे घास के मैदानों पर कई सारे रेगिस्तानी टिड्डे इकट्ठे होते हैं तो ये निर्जन स्थानों में रहने वाले सामान्य कीट-पतंगों की तरह व्यवहार नहीं करते हैं.
  • टिड्डी नियंत्रण (Locust Control) के लिए सरकारी स्तर पर कीटनाशक छिड़काव (Pesticides Spray) के साथ अब किसानों को अपने खेतों को टिड्‌डी दलों के हमलों से बचाने के लिए अनुदान (Subsidy On Pesticides) देना चाहिए.
  • ऐसा प्रावधान किया जाना चाहिए जिससे किकिसान किसी भी लाइसेंस धारक ग्राम सेवा सहकारी समिति, क्रय-विक्रय सहकारी समिति, लैम्प्स, कीटनाशी निर्माता, पंजीकृत विक्रेता से रसायन संपूर्ण कीमत अदा कर खरीद सके.
  • कृषि विभाग की ओर से अनुदान राशि का कृषक के खाते में ऑनलाइन भुगतान किया जाना चाहिए ताकि उन्हें दस्तावेजों को जमा करने के लिए अनावश्यक लम्बी कतार में खड़ा न होना पड़े.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

  • इफको ऐप – टिड्डियों के प्रकोप से फसल को बचाने के लिए इफको किसान के विशेषज्ञों की सलाह दी जाती है. इफको किसान ऐप के माध्यम से भी फसल सुरक्षा के उपाय बताए जाते हैं.
  • वयस्क टिड्डे सबसे अधिक हानिकारक और लंबी दूरी की यात्रा करने सक्षम होते हैं.

Spread the love
Read them too :
[related_posts_by_tax]