राजस्थान में नदियाँ और झीलें – Rivers and Lakes of Rajasthan

Sansar LochanPCS, RPSC

आज हम राजस्थान की नदियों और झीलों (rivers and lakes of Rajasthan) के बारे में चर्चा करेंगे. ये topic आपके RPSC/RAS परीक्षा के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है. धीरे-धीरे हमारा प्रयास रहेगा कि हम RAS के पूरे Syllabus को cover करेंगे.

भौगोलिक दृष्टि से राजस्थान के दो प्रमुख भाग हैं – एक पश्चिमोत्तर और दूसरा दक्षिण-पूर्वी.  पश्चिमोत्तर भाग में रेगिस्तान और दक्षिण-पूर्वी भाग में मैदानी व पठारी भाग आते हैं. इन दोनों भागों के मध्य अधवर्ती पर्वत की श्रीखंलाएँ दिल्ली से आरम्भ होकर सिरोही तक विस्तृत हैं. उत्तर की तरफ ये श्रेणियाँ अधिक चौड़ी नहीं है, परन्तु अजमेर से जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं, ये श्रेणियाँ चौड़ी और ऊँची हो जाती है. डूगरपुर, वासवाड़ा, उदयपुर और सिरोही जिले लगभग इन श्रेणियों से ढके हुए हैं. अरावली पहाड़ का सबसे ऊँचा भाग सिरोही जिले में है जो आबू पहाड़ के नाम से विख्यात है. इसी पर्वतमाला की एक अलग श्रेणी अलवर, अजमेर और हाडौती (कोटा-बूंदी) की श्रेणियाँ राजस्थान के पठारी भाग का निर्माण करती हैं.

राजस्थान में नदियाँ

राजस्थान का पश्चिमोत्तर भाग समतल है. देखा जाए तो इसका अधिकांश भाग मरुस्थल ही है जिसमें बीकानेर, मारवाड़ और जेसलमेर के रेगिस्तान हैं. यह area उपजाऊ नहीं है. राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी भाग में जगह-जगह मैदानी भाग है. इस भाग में कई नदियाँ बहती हैं इसलिए यह क्षेत्र उपजाऊ है. इस भाग में बहने वाली नदियाँ मुख्य रूप से मध्य भारत से आती हैं जिनमें चम्बल, काली सिंध (Kali Sindh), पार्वती और माही प्रमुख हैं. राजस्थान में बहने वाली सबसे बड़ी नदी चम्बल है. 

  • चम्बल नदी मध्य प्रदेश से निकलकर भैसरोडगढ़, कोटा, केशवराव-पाटण में बहकर यमुना में जा मिलती है. चम्बल नदी कालीसिंघ, झालावाड और कोटा के क्षेत्र को सींचती हैं.
  • पार्वती नदी टोक तथा कोटा में बहती हुई चम्बल में जा मिलती है. माही नदी डूंगरपुर और बासवाडा के जिलों में बहती हुई गुजरात में घुसकर खम्बात की खाड़ी में मिल जाती है.
  • बनास नदी (Banas River) कुम्भलगढ़ से निकलकर उदयपुर, जयपुर, बूंदी, टोक और करौली जिलों से बहती हुई ग्वालियर में प्रवेश करते हुए चम्बल में मिल जाती है.
  • लूनी नदी अजमेर के निकट से निकलकर जोधपुर जिले में बहती हुई रण में मिल जाती है.

राजस्थान की प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल:-

  1. चम्बल नदी – Janapav Hills, MP
  2. बनास नदी – Khamnor Hills
  3. पार्वती नदी – Vindhyachal
  4. घग्घर नदी – Kalka Hills, H.P.
  5. सोम नदी –  Bicha Meda, Udaypur
  6. कान्तली नदी – Khandela Hills, Sikar
  7. जाखम नदी – Pratapgarh District
  8. कोयरी नदी – देवास, उदयपुर
  9. माही नदी – विंध्याचल  पर्वत (झाबुआ, M.P.)
  10. लूनी नदी – नागपहाड़, अरावली पर्वत, अजमेर
  11. काकनी नदी – कोसी की पहाड़ियाँ, जैसलमेर
  12. Banganga River – Bairath Hills, Jaipur

राजस्थान में झीलें

राजस्थान का उत्तर-पश्चिमी भाग सूखा मैदान है तो स्पष्ट है कि झीलों की उपस्थिति राजस्थान के इस भाग में तो कम-से-कम होगी नहीं. हाँ, यहाँ छोटे जलाशय जरुर हैं. पर ये जलाशय गर्मियों में सूख जाते हैं. यहाँ आस-पास रहने वाले लोग पानी और घास की खोज में इधर-उधर घूमने के लिए विवश हो जाते हैं. हालाँकि जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर में इधर-उधर के पानी को रोककर तालाबों को बनाया जाता है. जोधपुर और उसके नजदीकी क्षेत्रों में मीठे पानी की कृत्रिम झीलों में जसवत सागर, सरदार समंद (Sardar Samand Lake), एडवर्ड समंद (Edward Samand) आदि प्रमुख हैं. बीकानेर और उसके नजदीकी क्षेत्रों में  गजनेर, कोलायत, छापर आदि झीलें हैं.

जेट समंद और ब्रह्मसर जैसलमेर की, आनासागर (Ana Sagar Lake) अजमेर की, जेट सागर (Jet Sagar) और सूरसागर बूंदी की और गेप सागर (Gap Sagar Lake) डूंगरपुर की प्रमुख झीलें हैं. अलवर, भरतपुर आदि जिलों में भी झीलें पाई जाती हैं. ये झीलें इन क्षेत्रों एन सिंचाई के उपयोग में भी आती हैं.

कृत्रिम बाँध बनाकर उदयपुर और उसके आस-पास अनेक झीलों को बनवाया गया था. इनमें सबसे बड़ी झील जयसमुद्र है. इस झील के भर जाने पर इसकी लम्बाई 1 मील और चौड़ाई लगभग 6 मील हो जाती है. इसके अलावे, उदयपुर में पीछोला और उसके आस-पास उदयसागर, करेडा का तालाब बहुत ही सुन्दर हैं. काकरोली के पास राजसमुद्र झील और उसके बाँध पर नौ चौकियाँ (nauchowki – nine ghats) और अजमेर के अनासागर की बारादरी (Baradari) देखने में रमणीय हैं.

आजकल नदियों को बाँध कर झील बनाने का कार्य राजस्थान में जोरों से चल रहा है. इन झीलों में से कुछ तो सिंचाई के काम आती हैं और कुछ बिजली उत्पादन में प्रयोग में आती हैं.

प्राकृतिक झीलें

राजस्थान में कुछ प्राकृतिक झीलें भी हैं जो खारी हैं. इनमें साम्भर (Sambhar Salt Lake) झील सबसे बड़ी है. सांभर झील जब पूर्ण रूप से भर जाती है तो इसकी लम्बाई 20 मील और चौड़ाई 2 से 7 मील तक हो जाती है. इसका पूरा क्षेत्रफल 10 मील तक फ़ैल जाता है. डीडवाना और पंचभद्रा झीलें खारे पानी की झीलें हैं. छापर और लूणकरणसर (Lunkaransar) में भी खारे पानी की झीलें हैं. चूँकि ये खारे पानी की झीलें हैं इसलिए इन झीलों से नमक बनाया जाता है जो जोधपुर और बीकानेर के आमदनी का बड़ा स्रोत है.

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